Religious Census: जातीय जनगणना के बाद अब धार्मिक जनगणना की मांग उठी है। उत्तर प्रदेश में कन्नौज से भाजपा सांसद सुब्रत पाठक ने धर्म के आधार पर जनगणना कराए जाने की मांग की है। इसके लिए उन्होंने गुरुवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लेटर लिखा है। भाजपा सांसद पाठक ने मुस्लिमों को मिले अल्पसंख्यक के दर्जे पर सवाल उठाया है। उन्होंने कहा कि धार्मिक जनगणना के बाद अगर मुस्लिम की जनसंख्या ज्यादा हो तो उनका अल्पसंख्यक का दर्जा खत्म किया जाए।
क्यों जरूरी धार्मिक जनगणना?
सुब्रत पाठक का कहना है कि आजादी के समय हिंदुओं यानी बहुसंख्याकों की आबादी 93 फीसदी थी। जबकि अल्पसंख्यकों का हिस्सा केवल 7 फीसदी था। आजादी के 75 साल पूरे हो चुके हैं। देश की आबादी 140 करोड़ हो चुकी है। वर्तमान में 200 से अधिक जिले मुस्लिम बाहुल्य हो चुके हैं।
सुब्रत पाठक ने कहा कि जाति जनगणना से पहले धार्मिक आधार पर जनसंख्या की गणना आवश्यक है। इससे पता चलेगा कि देश भर में अल्पसंख्यक समाज में मुस्लिम, ईसाई, सिख, बौद्ध, जैन और पारसियों की वास्तविक संख्या क्या है? पिछले 75 साल में इनकी संख्या में कितना इजाफा हुआ है?
विरोधी दल जातीय जनगणना की कर रहा डिमांड
बिहार में जातीय जनगणना का काम 80 फीसदी हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी भी मिल चुकी है। इसके बाद यूपी में जातीय जनगणना की मांग तेज पकड़ रही है। अखिलेश यादव की पार्टी समाजवादी पार्टी और NDA में सहयोगी ओम प्रकाश राजभर लंबे समय से जातीय जनगणना की मांग कर रहे हैं। गुरुवार को यूपी विधानसभा में भी ये मुद्दा जोर-शोर से उठा। सपा विधायक संग्राम सिंह यादव ने लिखित सवाल के जरिए यह मुद्दा उठाया था।
योगी बोले- हम नहीं कराएंगे जातीण जनगणना
संग्राम सिंह के सवाल के जवाब में सीएम योगी ने विधान परिषद में कहा कि सरकार यूपी में जातीय जनगणना नहीं कराएगी। ये मुद्दा केंद्र सरकार का है।
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