प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के 11 साल पूरे होने पर भारतीय जनता पार्टी ने मोदी सरकार के 11 साल बाद संकल्प से सिद्धि तक शीर्षक से एक वृहद स्तर का जनसंपर्क अभियान शुरू करने का ऐलान किया है। यह अभियान 9 जून से 21 जून तक चलेगा और इसका उद्देश्य सरकार की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाना बताया गया है। भाजपा की तरफ से तमाम बीजेपी के प्रदेश अध्यक्षों को एक लेटर भी भेजा गया है। बता दें कि यह अभियान केवल 11 साल की उपलब्धियों को दर्शाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भाजपा के लिए 2029 तक के रोडमैप की शुरुआत भी हो सकती है।
ऑपरेशन सिंदूर से भावनात्मक जुड़ाव की कोशिश
भाजपा के तरफ से एक पत्र तमाम बीजेपी के प्रदेश अध्यक्षों को भेजा गया है। जिसमें हाल ही में हुए ऑपरेशन सिंदूर का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री मोदी के साहसिक नेतृत्व और भारतीय सेनाओं की सटीक कार्रवाई की सराहना की गई है।
लोकतंत्र की रक्षा के नाम पर विपक्ष को घेरने की तैयारी
भाजपा इस बार अपने अभियान में आपातकाल के 50 वर्ष पूरे होने को एक प्रमुख हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने जा रही है। पत्र में इंदिरा गांधी के नेतृत्व में लगाए गए आपातकाल को लोकतंत्र पर सबसे बड़ा हमला बताते हुए कहा कि कांग्रेस को कटघरे में खड़ा किया गया है। पार्टी के निर्देश हैं कि 5 जून से कांग्रेस विरोधी अभियान की शुरुआत कर आने वाले दो महीनों तक इसका प्रचार किया जाए।
विकास या सिर्फ प्रचार?
इस अभियान में डिजिटल प्रतियोगिताओं, ग्रामीण चौपालों, प्रोफेशनल मीट, पीपीटी प्रदर्शनियों और प्रेस वार्ताओं से लेकर हर मंडल में ‘गैर-राजनीतिक’ योग दिवस तक के आयोजन प्रस्तावित हैं। आयुष्मान भारत योजना की सफलता को घर-घर पहुंचाने की जिम्मेदारी सांसदों और विधायकों को दी गई है।
क्या 2029 की तैयारी शुरू?
यह अभियान केवल 11 साल की उपलब्धियों को दर्शाने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह भाजपा के लिए 2029 तक के रोडमैप की शुरुआत भी हो सकती है। यह कार्यक्रम भाजपा को न केवल जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को सक्रिय करने का अवसर देगा, बल्कि राष्ट्रीय विमर्श पर भी पार्टी के नियंत्रण की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। जब एक सत्ताधारी दल सत्ता में रहते हुए खुद के लिए मंच तैयार करता है, तो यह सवाल उठता है कि क्या यह लोकतांत्रिक संवाद है या एकतरफा प्रचार? भाजपा का यह राष्ट्रव्यापी कार्यक्रम इसी सवाल के केंद्र में है।