Biggest Train Accident in India: ओडिशा के बालासोर में हुआ ट्रेन हादसा भारत में कोई नहीं बात नहीं है। इससे पहले भी भारत में बड़े ट्रेन हादसे हुए हैं। कई मीडिया रिपोर्ट्स में तो इतना तक दावा किया गया है कि वर्ष 1981 में बिहार में हुआ ट्रेन हादसा, भारता का सबसे बड़ा और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेन हादसा था।
7 डिब्बों में सवार कोई भी जिंदा नहीं बचा
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जून 1981 में देश का सबसे बड़ा ट्रेन हादसा हुआ था। यह हादसा बिहार में हुआ था। बताया जाता है कि यात्रियों से खचाखच भरी एक पैसेंजर ट्रेन मानसी से सहरसा के लिए जा रही थी। तभी बागमती नदी के पुल संख्या 51 से गुजरते वक्त हादसे का शिकार हो गई।
पुल के टूटते ही पूरी ट्रेन नदी में समा गई थी। इस हादसे में करीब 750 लोगों की मौत हुई थी। कहा जाता है कि ट्रेन के 7 डिब्बों में सवार कोई भी यात्री जीवित नहीं बचा था। कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि 1981 का बिहार ट्रेन हादसा भारत का पहले और विश्व का दूसरा सबसे बड़ा ट्रेन हादसा था।
पंजाब में गई थी 212 लोगों की जान
नवंबर 1998 में पंजाब में भी एक भीषण ट्रेन हादसा हुआ था। यहां जम्मू-तवी सियालदह एक्सप्रेस खन्ना इलाके में हादसे का शिकार हो गई थी। बताया गया है कि ट्रेन के तीन डिब्बे डीरेल हो गए थे। हादसे में 212 लोगों की मौत हो गई थी।
ब्रह्मपुत्र मेल और अवध-असम एक्सप्रेस में हुई थी टक्कर
अगस्त 1999 में गैसल (पश्चिम बंगाल) में भी ट्रेन हादसा हुआ था। यहां ब्रह्मपुत्र मेल और अवध असम एक्सप्रेस की टक्कर हो गई थी। इस हादसे में 285 लोगों की मौत हुई थी।
रफीगंज में पुल पर डीरेल हुई थी ट्रेन
सितंबर 2002 में रफीगंज (बिहार) में ट्रेन हादसा हुआ था। यहां हावड़ा राजधानी एक्सप्रेस धावे नदी के पुल पर डीरेल हो गई थी। इसके बाद कई डिब्बे नदी में गिर गए थे। इस हादसे में करीब 140 लोगों की मौत हो गई थी।
मथुरा में गोवा संपर्क क्रांति ने मेवाड़ एक्सप्रेस में मारी थी टक्कर
अक्टूबर 2009 में मथुरा के राष्ट्रीय राजमार्ग पर बाजना पुल के पास आगरा-दिल्ली रेल मार्ग पर ट्रेन हादसा हुआ था। यहां गोवा संपर्क क्रांति एक्सप्रेस ने सिग्नल तोड़ते हुए आगे चल रही मेवाड़ एक्सप्रेस में टक्कर मार दी थी।
हादसे में करीब 15 लोगों की दर्दनाक मौत हुई थी। हादसे के बाद राहत कार्य में स्थानीय पुलिस कर्मियों, रेलवे स्टाफ के साथ सेना के जवानों को भी लगाया गया था। बताया जाता है कि इस हादसे की जांच कई वर्षों तक चली थी।