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बेंगलुरु में न्यूरोसर्जन पर डॉग को दूसरी मंजिल से फेंकने का आरोप, तीन महीने में दूसरी बार हो चुकी घटना

बेंगलुरु में एक डॉक्टर पर गंभीर आरोप लगे हैं कि उसने एक कुत्ते को अपनी बिल्डिंग की दूसरी मंजिल से फेंक दिया। यह घटना 20 अप्रैल को हुई थी और कुत्ते को पहले भी ऐसी ही घटना का सामना करना पड़ा था। पुलिस ने डॉक्टर के खिलाफ जांच शुरू कर दी है।

Author Edited By : Ashutosh Ojha Updated: Apr 25, 2025 19:04
dog thrown from building
dog thrown from building

बेंगलुरु में एक न्यूरोसर्जन डॉक्टर पर आरोप है कि उसने एक कुत्ते को अपनी बिल्डिंग की दूसरी मंजिल से फेंक दिया। यह घटना 20 अप्रैल को हुई थी। उस कुत्ते का नाम ‘स्कूबी’ था और उसे लक्कासंद्रा के ब्रिंडावन अपार्टमेंट्स में लोग देख रहे थे। यह वही कुत्ता था जिसे फरवरी में भी ऊपरी मंजिल से फेंका गया था और उस वक्त भी वह घायल हो गया था। पुलिस ने इस मामले में डॉक्टर सागर बल्लाल के खिलाफ शिकायत की है।

आरोप और पुलिस द्वारा कार्रवाई

22 अप्रैल को 22 वर्षीय छात्र आयुष बैनर्जी ने डॉ. बल्लाल के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। पुलिस ने आरोपित न्यूरोसर्जन के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 325 के तहत मुकदमा दर्ज किया, जिसमें जानवर को नुकसान पहुंचाने या उसे मारने का आरोप है। यह अपराध साबित होने पर पांच साल की सजा और जुर्माना हो सकता है। पुलिस के अनुसार, 20 अप्रैल को हुए इस घटना में स्कूबी को दूसरी बार ऊपरी मंजिल से फेंका गया था। इससे पहले फरवरी में भी इस तरह की घटना हुई थी, जब कुत्ता घायल अवस्था में नीचे गिरा था।

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पहली घटना और कुत्ते का इलाज

निवासियों ने उस समय कुत्ते को बेंगलुरु के एक पशु चिकित्सालय में इलाज के लिए भेजा था। स्कूबी को रीढ़ की हड्डी में फ्रैक्चर और अन्य चोटें आई थीं, लेकिन इलाज के बाद उसे 16 अप्रैल को फिर से अपार्टमेंट में भेज दिया गया। शिकायत के अनुसार, इस बार कुत्ते को रात के करीब 2.30 बजे एक कार पर गिरते हुए देखा गया, जिससे कार का कांच टूट गया और कुत्ते को गंभीर चोटें आईं। इसके बाद निवासियों ने डॉ. बल्लाल को घटना के बाद अपने अपार्टमेंट में प्रवेश करते हुए देखा, लेकिन उनका फोन का जवाब नहीं मिला।

डॉ. बल्लाल का पिछला रिकॉर्ड

आरोप है कि डॉ. बल्लाल 2022 में इंदौर में एक आवारा कुत्ते की हत्या के मामले में भी शामिल थे। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार एक CCTV फुटेज में उन्हें कुत्ते को गर्दन से पकड़ते हुए देखा गया था। हालांकि मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने अप्रैल 2024 में इस मामले की FIR को खारिज कर दिया क्योंकि यह केवल शक के आधार पर दर्ज की गई थी और इसमें कोई ठोस प्रमाण नहीं था।

First published on: Apr 25, 2025 07:04 PM

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