India Air Pollution life Threat Alert air pollution in Delhi NCR: वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति का सामना कर रहे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (National Capital Region) में रहने वाले 4 करोड़ से अधिक लोगों के लिए अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी से बुरी खबर आ रही है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार, भारत विश्व का दूसरा सर्वाधिक प्रदूषित देश है, जबकि दिल्ली पहला शहर, जहां वायु प्रदूषण खतरनाक स्थिति में है।
रिपोर्ट कर रही खतरनाक स्थिति की ओर इशारा
अमेरिका की शिकागो यूनिवर्सिटी द्वारा जारी ताजा रिपोर्ट दिल्ली के साथ-साथ एनसीआर के शहरों को लेकर भी बहुत ही खतरनाक स्थिति की ओर इशारा कर रही है। एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स (Air Quality Life Index) के मुताबिक, भारत दुनिया का दूसरा प्रदूषण देश है तो राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सबसे प्रदूषण शहर।
सच बात तो यह है कि दिल्ली और एनसीआर में वायु प्रदूषण की स्थिति कमोबेश एक सी है। ऐसे में दिल्ली ही नहीं एनसीआर के शहर भी खतरे की जद में हैं। यह रिपोर्ट ऐसे समय में सार्वजनिक हुई है, जब आगामी 9 और 10 सितंबर को दिल्ली के प्रगति मैदान में जी-20 शिखर सम्मलेन होने जा रहा है, जिसमें अमेरिका और चीन समेत 20 देशों के दिक्कज नेता-प्रतिनिधि शामिल होने आ रहे हैं।
घट रही दिल्ली के लोगों की उम्र
शिकागो यूनिवर्सिटी की ताजा रिपोर्ट दिल्ली-एनसीआर के 4 करोड़ लोगों के लिए बेहद डरावरी तस्वीर पेश करती नजर आ रही है। रिपोर्ट के अनुसार, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के करीब 4 करोड़ लोगों की उम्र 11.9 वर्ष कम हो रही है। यह भी कम चौंकाने वाली बात नहीं है कि पिछले वर्ष यह आंकड़ा 10 वर्ष का था।
नहीं दिखाई दे रहा धरातल पर काम
सरकार और संबंधित विभाग अथवा प्राधिकरण लाख दावें करें, लेकिन दिल्ली-एनसीआर के वायु प्रदूषण में कुछ खास कमी नहीं आई है और अगर आई भी है तो यह कागजों में ही है। धरातल पर अगर काम नजर आता तो शिकागो यूनिवर्सिटी की रिपोर्ट दिल्ली-एनसीआर की इतनी भवानक तस्वीर न सामने लाती।
गाजियाबाद, गुरुग्राम समेत एनसीआर के शहर भी बेहाल
बता दें कि दिल्ली की आबादी 2 करोड़ है, जबकि एनसीआर के शहरों की आबादी भी 2 करोड़ के आसपास। ऐसे में दिल्ली-एनसीआर में 4 करोड़ से अधिक लोग रहते हैं। जिनके स्वास्थ्य के लिए वायु प्रदूषण खतरनाक रूप लेता जा रहा है। दिल्ली के अलावा गुरुग्राम, नोएडा, गुरुग्राम, फरीदाबाद समेत करीब-करीब सभी शहर भीषण वायु प्रदूषण की चपेट में हैं।
भारत में सर्वाधिक है पीएम 2.5 का स्तर
रिपोर्ट यह भी कहती है कि समूच भारत में कहीं कोई ऐसी जगह नहीं है, जहां पर विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानदंडों पर स्वच्छ हवा पाई गई हो। यहां पर बता दें कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, पीएम 2.5 का स्तर 5 माइकोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से कम होनी चाहिए, वहीं इसके उलट भारत देश में यह अधिक है।
अपने ही मानदंडों पर खरा नहीं भारत
यहां तक कि भारत ने स्वयं मानक बनाया है कि प्रति व्यक्ति 40 माइको ग्राम होनी चाहिए, वहीं यह इससे भी ज्यादा है। कहने का मतलब भारत में कहीं भी स्वच्छ हवा नहीं है।
पूरे दक्षिण एशिया का हाल बेहाल
जहां वायु प्रदूषण के कारण दिल्ली वालों की जिंदगी 11 साल छोटी हो रही है, वहीं शिकागो विश्वविद्यालय के एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट ने एयर क्वालिटी लाइफ इंडेक्स में बताया है कि बढ़ते वायु प्रदूषण से दक्षिण एशिया में लोगों की जिंदगी 5 साल छोटी हो रही है। कुल मिलाकर वायू प्रदूषण के मामले में पूरे दक्षिण एशिया की स्थिति बेहद गंभीर है।