ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की तीनों सेनाएं अपने-अपने बेड़े को ज्यादा से ज्यादा मजबूत करने में लगी हुई हैं। क्योंकि युद्ध की शुरुआत कब और कैसे हो जाए, इसका कोई समय नहीं होता है। इजराइल और ईरान के बीच चल रहे युद्ध के बीच भारतीय रक्षा मंत्रालय और ज्यादा सावधानी बरत रहा है। इसी को देखते हुए इंडियन आर्मी चीफ ने उत्तराखंड का दौरा भी किया है और बॉर्डर की सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया है। अभी भारतीय वायुसेना भी लगातार अपने एयर डिफेंस सिस्टम पर काम कर रही है। इसी का नतीजा है कि जल्द वायुसेना के बेड़े में अगली पीढ़ी का एयरक्राफ्ट तेजस Mk 1A शामिल होने वाला है।
भारतीय वायुसेना प्रमुख ने नाराजगी दिखाई
आपको बता दें, किसी भी लड़ाकू विमान के बेड़े में शामिल होने से पहले उसकी फ्लाइंग टेस्ट की जाती है। यह टेस्टिंग 72 घंटों की होती है और उसके बाद ही उसे शामिल किया जाता है। एयरक्राफ्ट तेजस Mk 1A की फ्लाइंग टेस्ट की प्रक्रिया भी जल्द शुरू होने वाली है। पिछले महीने भारतीय वायुसेना प्रमुख अमरप्रीत सिंह ने एचएएल पर अपनी नाराजगी दिखाई थी। वायु प्रमुख ने साफ तौर पर कहा था कि हमें हथियार और लड़ाकू विमान मिलने में देरी क्यों हो रही है। हमारे पास अगर एयर डिफेंस सिस्टम ही नहीं होगा तो दुश्मन के हमलों का जवाब किस तरह से देंगे। इसी नाराजगी के बाद एचएएल ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी है और लड़ाकू विमान के सप्लाई करने में लगी है।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ फरवरी 2021 में 83 तेजस Mk 1A विमानों का सौदा 48 हजार करोड़ रुपए में हुआ था। इनकी डिलीवरी मार्च 2024 में होनी थी। अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक से मिलने वाले इंजन F404 IN20 की सप्लाई में देरी की वजह से डिलीवरी देने में डेढ़ साल से ऊपर की देरी हो चुकी है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड सूत्रों के मुताबिक, इस अप्रैल 2025 से नए इंजन मिलने शुरू हो जाएंगे। अगले तीन महीने के अंदर ही वायुसेना को 12 तेजस Mk 1A विमान सौंप दिए जाएंगे।
2047 तक पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनना
भारत की तीनों सेनाओं का एक मात्र लक्ष्य साल 2047 तक पूरी तरह से आत्मनिर्भर बन जाने का है और इस दिशा में लगातार काम भी हो रहा है। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड के साथ 180 तेजस Mk 1A का सौदा किया है। पहली खेप 83 विमानों की है जबकि दूसरी खेप में 67 हजार करोड़ रुपए में 97 विमानों का सौदा हुआ है। तेजस वायुसेना से बाहर होने वाले MiG-21, MiG-27 और जगुआर का जगह लेगा। भारतीय वायुसेना से मिली ताजा जानकारी के मुताबिक, एक बेड़े में 42 विमान होते हैं लेकिन इनकी संख्या घटकर अब सिर्फ 30 ही रह गई है। एक दशक में तेजस Mk 1, Mk 1A, Mk 2 के 350 से ज्यादा जेट वायुसेना में शामिल होंगे। पहला तेजस Mk 2 साल 2028-29 में मिल सकता है।
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