90-Hour Workweek: लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन के रविवार सहित 90 आवर्स वर्कवीक के प्रस्ताव ने लोगों के बीच हलचल मचा दी है। इस सुझाव ने लोगों की चिंता बढ़ा दी, क्योंकि कुछ समय पहले ही EY की एक कर्मचारी की मौत के बाद वर्कलोड से हो रही समस्या को हाइलाइट किया गया था। यह कर्मचारी केवल 4 महीनों में बहुत ज्यादा काम के कारण बहुत दबाव में थी। ऐसे में इस तरह का प्रस्ताव समस्या के बिल्कुल विपरीत है। हालांकि बहुत से ऐसे देश हैं, जो वर्क लाइफ बैलेंस को महत्व देते है। यहां हम टॉप देशों के बारे में बताएंगे, जिनके वर्किंग आवर्स कम हैं।
किस देश में है सबसे ज्यादा वर्किंग आवर्स?
ग्लोबल लेवल पर वर्किंग आवर्स अलग-अलग होते हैं। भूटान सबसे लंबे वीक आवर्स वाले देशों की लिस्ट में सबसे ऊपर है। इंटरनेशनल लेबर आग्रेनाइजेशन (ILO) ने बताया कि भूटानी कर्मचारी हर हफ्ते 54.4 घंटे काम करते हैं, उसके बाद UAE के कर्मचारी 50.9 घंटे और लेसोथो के कर्मचारी 50.4 घंटे काम करते हैं।
इन देशों में है कम वर्किंग आवर्स
वहीं अगर हम उन देशों की बात करें, जिसमें वर्किंग आवर्स कम होते हैं तो इस लिस्ट में पहला नाम वानुअतु का है। ये सबसे कम वर्क वीक वाला देश है, जहां कर्मचारी औसतन केवल 24.7 घंटे काम करते हैं। वानुअतु के केवल 4% वर्कफोर्स ही वीकली 49 घंटे से अधिक काम करते हैं। यहां हम आपके लिए उन देशों के बारे में बता रहे हैं, जिनका वीकली वर्किंग आवर्स कम हैं।
सबसे कम काम के घंटे वाले अन्य देशों में किरिबाती (27.3 घंटे), माइक्रोनेशिया (30.4 घंटे) और नीदरलैंड (31.6 घंटे) शामिल हैं, जो अपनी वर्क लाइफ बैलेंस पॉलिसी के लिए जाने जाते हैं।
भारत लिस्ट में कहां?
भारत की बात करें तो यह दुनिया के सबसे ज्यादा काम करने वाले देशों की लिस्ट में 13वें स्थान पर है, जहां कर्मचारी एक हफ्ते में औसतन 46.7 घंटे काम करते हैं। 51% से ज्यादा भारतीय कर्मचारी हफ्ते में 49 घंटे या उससे ज्यादा काम करते हैं, जो लंबे समय तक काम करने के मामले में देश को दुनिया में दूसरे नंबर पर रखता है। मेडीबडी और सीआईआई के सर्वे में पाया गया कि 62% भारतीय कर्मचारी बर्नआउट का अनुभव करते हैं, जो ग्लोबल एवरेज 20% से तीन गुना ज्यादा है।
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