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150 पुलिसकर्मियों ने ली सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन की तलाशी, 2 बहनों से जुड़ा है मामला, हाईकोर्ट ने दिया था आदेश

Police Searches Isha Foundation : एक रिटायर्ड प्रोफेसर ने आरोप लगाया था कि उनकी 2 बेटियों को सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन में बंदी बनाकर रखा जा रहा है। इसे लेकर मद्रास हाईकोर्ट की ओर से आदेश जारी किए जाने के बाद पुलिस ने सर्च ऑपरेशन चलाया।

Edited By : Gaurav Pandey | Updated: Oct 1, 2024 17:20
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Sadhguru
Sadhguru (X/SadhguruJV)

तमिलनाडु के थोंडामुथुर में स्थित ईशा फाउंडेशन के आश्रम में पुलिस ने बड़ा सर्च ऑपरेशन चलाया है। कोयंबटूर के असिस्टेंट डिप्टी सुपरिटेंडेंट रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में 150 पुलिस अधिकारियों की टुकड़ी ने सद्गुरु के इस आश्रम में तलाशी ली। पुलिस ने यह एक्शन मद्रास हाईकोर्ट के एक आदेश पर लिया जिसमें फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों पर रिपोर्ट मांगी गई थी। सोमवार को हुए इस सर्च ऑपरेशन में 3 डीएसपी रैंक के अधिकारी भी शामिल थे।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया कि ऑपरेशन का फोकस वहां रहने वाले लोगों के विस्तृत वेरिफिकेशन और वहां मौजूद सभी कमरों की तलाशी पर रहा। बता दें कि हाईकोर्ट ने कोयंबटूर ग्रामीण पुलिस को आदेश दिया था कि वह जांच करके रिपोर्ट दाखिल करे। अदालत ने यह आदेश रिटायर्ड प्रोफेसर डॉ. एस कामराज की ओर से दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया था। कामराज का दावा है कि उनकी दो बेटियों को फाउंडेशन में बंदी बनाकर रखा गया है।

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फाउंडेशन पर ब्रेनवॉश का आरोप

डॉ. कामराज के अनुसार उनकी बेटियों गीता कामराज (42) और लता कामराज (39) को सद्गुरु की ईशा फाउंडेशन के कोयंबटूर स्थित आश्रम में बंदी बनाकर रखा गया है। उनका आरोप है कि यह संगठन लोगों का ब्रेनवॉश कर रहा है, उन्हें भिक्षु बना रहा है और उनके परिवार वालों के साथ उन्हें संपर्क नहीं करने दे रहा है। सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने ईशा फाउंडेशन के संस्थापक सद्गुरु उर्फ जग्गी वासुदेव के जीवन में स्पष्ट जाहिर होने वाले विरोधाभासों पर भी सवाल खड़े किए थे।

अपनी बेटी की शादी कर चुके और…

जस्टिस एसएम सुब्रमण्यम और जस्टिस वी शिवगणनम ने कहा कि अपने अनुयायियों के बीच सद्गुरु के नाम से मशहूर जग्गी वासुदेव अपनी खुद की बेटी की शादी कर चुके हैं और वह अच्छी तरह से सेटल भी है। लेकिन, फिर वह बाकी युवतियों को सिर मुंडवाने, सांसारिक जीवन त्यागने और योग केंद्रों में सन्यासियों की तरह जीवन व्यतीत करने के लिए क्यों प्रोत्साहित कर रहे हैं। बता दें कि मामले में ईशा फाउंडेशन का कहना है कि किसी को भी यहां रहने के लिए मजबूर नहीं किया जा रहा है।

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Written By

Gaurav Pandey

First published on: Oct 01, 2024 05:20 PM

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