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इनकी कलम से हिल गई थीं अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें, एक-एक शब्द आजादी के मतवालों में भर देता था जोश…

भूपेंद्र राय/नई दिल्ली। 15 अगस्त के दिन देश 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। भारत को आजाद कराने में अनगिनत आजादी के दीवानों ने बड़ी-बड़ी कुर्बानियां दी हैं। आजादी की लड़ाई में केवल नेताओं, स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों ने ही भाग नहीं लिया था, बल्कि लेखकों और कवियों ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया […]

Edited By : Bhoopendra Rai | Updated: Aug 7, 2022 12:42
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10 Indian poet and writer
10 Indian poet and writer

भूपेंद्र राय/नई दिल्ली। 15 अगस्त के दिन देश 75वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है। भारत को आजाद कराने में अनगिनत आजादी के दीवानों ने बड़ी-बड़ी कुर्बानियां दी हैं। आजादी की लड़ाई में केवल नेताओं, स्वतंत्रता सेनानियों और क्रांतिकारियों ने ही भाग नहीं लिया था, बल्कि लेखकों और कवियों ने भी बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया था।

अंग्रेजों को भगाने में कलमकारों ने बखूबी भूमिका निभाई। उन्होंने अपने शब्दों से क्रांतिकारियों से लेकर देश के आम लोगों के अंदर जोश भरा। दरअसल, स्वतंत्रता आंदोलन को अहिंसक बनाए रखने के गांधी के संकल्प की वजह से भारत में आजादी की अधिकतर लड़ाई कलम से लड़ी गई। यह कलम ही थी, जिसने जनमानस को सचेत किया।

एक तरफ जहां लेखक और साहित्यकारों ने वंदे मातरम् जैसी महान और अमर रचनाओं से आजादी की लड़ाई में नई जान फूंकी तो वहीं दूसरी तरफ कवियों ने अपने शब्दों से युवाओं के अंदर आजादी का जोश भरने का काम किया। इस खबर में हम आपके लिए उन कवियों और लेखकों के बारे में जानकारी दे रहे हैं, जिन्होंने कलम के जरिए देश की स्वतंत्रता में अपने-अपने स्तर पर योगदान दिया है।

जंगे-आजादी में कलमकारों की कहानी

1. रविंद्रनाथ टैगोर

एशिया के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता कविगुरु रवीन्द्रनाथ टैगोर का आजादी की लड़ाई में अहम योगदान रहा है। उन्होंने राष्ट्रीय गान ‘जन गण मन’ लिखा। इसके साथ ही उन्होंने अपनी कविताओं और रचनाओं के जरिए देश के युवाओं में देश प्रेम की भावना जागृत किया। उन्होंने जलियांवाला बाग हत्याकांड के विरोध में नाइटहुड की उपाधि त्याग दी थी।

2. बंकिम चंद्र चटर्जी

आजादी की लड़ाई में बंकिम चंद्र चटर्जी का खास योगदान है। भारत के राष्ट्रगीत वंदे मातरम् के रचयिता और बंगाल के लोकप्रिय उपन्यासकार बंकिम चंद्र चटर्जी ने अपनी रचनाओं के माध्यम से अंग्रेजों की नाक में दम कर दिया था। 1874 में इनके द्वारा लिखा गया देश प्रेम से ओत-प्रोत गीत वंदे मातरम् भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के दौरान क्रांतिकारियों का प्रेरणा स्रोत और मुख्य उद्घोष बन गया था। इस गीत ने देश के लोगों की रगों में उबाल ला दिया था।

3. सुभद्रा कुमारी चौहान

राष्ट्र प्रेम प्रेरक महिलाओं में सुभद्रा कुमार चौहान का नाम बड़े ही आदर और सम्मान के साथ लिया जाता है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में बढ़-चढ़कर भाग लिया था। सुभद्रा ने स्वतंत्रता संग्राम में भगत सिंह और अन्य क्रांतिकारियों के साथ मिलकर काम किया। वह मूलत: कवि थी। इन्हें क्रांति गीत लिखना बेहद पंसद था। तत्कालीन पत्र -पत्रिकाओं में उग्र रचनाएं छापकर वे देशवासियों के विद्रोह की भावना को जागृत करने का प्रयास करती थीं। इन्होंने झांसी की रानी लक्ष्मी बाई पर ऐतिहासिक कविता लिखी थी।

4. राम प्रसाद बिस्मिल

काकोरी कांड के नायक राम प्रसाद बिस्मिल का आजादी में अहम योगदान है। उन्होंने अपनी कृतियों के जरिए युवाओं के अंदर देश प्रेम की भावना जगाई। आजादी की लड़ाई के दौरान इनके द्वारा लिखा गया गीत सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है, जोर कितना बाजुए कातिल में है, युवाओं की जुबान पर था। उन्होंने अपने गीत के जरिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ लड़ने का आह्वान किया था।

5. मैथली शरण गुप्त

राष्ट्रकवि मैथिली शरण गुप्त ने अपनी रचनाओं के जरिए आजादी के मतवालों में जोश भरने का काम किया था। उन्होंने राष्‍ट्रीयता का प्रचार-प्रसार कर भारत के रणबांकुरों को स्वतंत्रता आंदोलन से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने बहुत सरल शब्दों में देश के लोगों की चेतना को झकझोर कर रख दिया था। उनकी देश भक्ति की कविताओं को लोग आज भी पढ़कर रोमांचित हो उठते हैं।

6. भारतेंदु हरिश्चंद्र

आजादी की लड़ाई में भारतेंदु हरिश्चं‍द्र ने अहम भूमिका निभाई थी। जहां देश में अनेक मोर्चों पर लोग आजादी के लिए संघर्षरत थे। उन्होंने साहित्य के माध्यम से बड़े साहित्यकारों को इस दिशा में एकजुट किया था। इनके द्वारा रचित भारत दर्शन देश प्रेम की भावना से ओत प्रोत थी। उन्होंने अग्रेजों द्वारा देश की जनता पर किए जा रहे जुल्मों का जमकर विरोध किया था। उन्होंने ‘अंधेर नगरी चौपट राजा’ नामक व्यंग्य के जरिए राजाओं की निरंकुशता और ब्रिटिश सरकार के जुल्मों का सटीक वर्णन किया था।

7. मुंशी प्रेमचंद्र

मुंशी प्रेमचंद्र ने अपनी कृतियों के माध्यम से देश के लोगों को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जागृत किया था। प्रेमचंद ने अपनी रचनाओं के माध्यम से देश की जनता में ऐसा जन-जागरण का अलख जगाया कि वह अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ हुंकार भरने लगी। उनकी ‘रंगभूमि’ और ‘कर्मभूमि’ उपन्यास देश प्रेम की भावना से ओत-प्रोत था।

8. रामधारी सिंह दिनकर

राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर ने भी अपनी रचनाओं के जरिए अंग्रेजी हुकूमत की जड़ें हिलाकर रख दी थीं। इन्हें आधुनिक युग के श्रेष्ठ वीर रस के कवि के रूप में भी जाना जाता है। दिनकर ने अपनी रचनाओं के जरिए अग्रेंजों द्वारा भारतीय जनता पर किए जा जुल्म का जमकर विरोध किया था। इन्हें विद्रोही कवि के रूप में भी जाना जाता था।

9. माखनलाल चतुर्वेदी

माखनलाल चतुर्वेदी एक कवि, लेखक, पत्रकार स्वतंत्रता सेनानी। आजादी की लड़ाई में माखनलाल चतुर्वेदी का भी योगदान है। उनकी कविताओं में उनके देश प्रेम की भावना बहुत अच्छे से दिखाई देती है। उन्होंने अपनी कविताओं से युवाओं के दिलों में देश प्रेम की भावना जागृत किया था। प्रभा और कर्मवीर नाम के प्रचलित पत्र में उन्होंने संपादन किया था। अपने इस पत्र के माध्यम से उन्होंने ब्रिटिश शासन जमकर विरोध किया।

10. मोहम्मद इकबाल

मोहम्मद इकबाल ने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ मुस्लिम समाज को जगाया और क्रांति के लिए प्रेरणा दी। इनके द्वारा रचित ‘सारे जहां से अच्छा हिदुस्तां हमारा’ ने आजादी की लड़ाई लड़ रहे युवाओं में जोश भर दिया था।

First published on: Aug 07, 2022 12:01 PM
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