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जुबान में हकलाहट क्यों होती है? जानें कारण और इलाज

जुबान में हकलाहट, जिसे अंग्रेजी में स्टटरींग कहा जाता है, एक प्रकार का स्पीच डिसऑर्डर है, जिसमें बोलते समय किसी शब्द, अक्षर या ध्वनि को बार-बार दोहराया जाता है, खिंचाव आता है या बोलने में असमर्थता महसूस होती है। यह समस्या बच्चों से लेकर बड़ों तक किसी भी उम्र में हो सकती है, लेकिन अधिकतर यह बचपन में ही शुरू होती है।

Author Edited By : Namrata Mohanty Updated: Apr 28, 2025 06:22

आपने देखा होगा कुछ लोग बार-बार एक शब्द को दोहराते है या उन्हें बोलने में दिक्कत होती है। इसे हकलाना कहते हैं। हकलाना एक ऐसी स्थिति है जो तब होती है जब बोलने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली मांसपेशियां आपके बोलते समय हिलने लगती हैं। यह आपके बोलने के प्रवाह को बाधित करता है और उसमें रुकावट, आवाज और शब्दों पर अटकने का कारण बनता है। यह स्थिति आमतौर पर बच्चों को होती है लेकिन किसी भी उम्र में इसका असर देखा जा सकता है। आइए जानते हैं इसका कारण और बचाव के तरीके।

हकलाहट के कारण

हकलाने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, जिनमें शारीरिक, मानसिक और सामाजिक पहलू शामिल हैं।

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1. ब्रेन फंक्शनिंग

होमियोपेथी स्पेशलिस्ट डॉक्टर हेमंत श्रीवास्तव बताते हैं कि मस्तिष्क के वाणी केंद्र में गड़बड़ी होने से, नर्व सिस्टम का विकास धीमा होने से और अनुवांशिकता के कारण यह हो सकता है। (जिनके माता-पिता या परिवार के सदस्य हकलाते हैं, उनमें संभावना अधिक होती है।

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2. मनोवैज्ञानिक कारण

अत्यधिक तनाव, भय और आत्मविश्वास की कमी के साथ-साथ इमोशनल डिसबैलेंस या किसी दुर्घटना का असर होने से भी हकलाने की समस्या हो सकती है। कम उम्र में बोलने की जल्दबाजी से भी बच्चों को ये समस्या हो सकती है।

3. पर्यावरणीय कारण

बच्चों पर पढ़ाई या बोलचाल में अत्यधिक दबाव पड़ने से, घर या स्कूल में डर का माहौल होने और हंसी उड़ाना या मजाक बनाने से भी बच्चे के अंदर यह परेशानी पैदा हो जाती है।

हकलाहट के प्रभाव

हकलाहट से सिर्फ बोलने में दिक्कत नहीं होती है बल्कि यह कई बार पीड़ित को व्यक्तिगत तौर पर भी आघात पहुंचा देता है, जिस वजह से वो लोगों से और सोशल लाइफ से दूर होने लगता है। इस समस्या से इन लोगों में

  • आत्म-विश्वास की कमी होना।
  • लोगों से बातचीत से बचना।
  • नौकरी, पढ़ाई और रिश्ते बनाने से डरना।
  • मानसिक तनाव, डिप्रेशन और इनफेरियोरिटी कॉम्पलेक्स।

हकलाहट के प्रकार

  • 1. ध्वनि या शब्दों को दोहराना।
  • 2. ध्वनि में खिंचाव आना।
  • 3. बोलने में रुकावट या वाणीदोष, जिसमें व्यक्ति कुछ बोल नहीं पाता है।

इलाज और समाधान

हकलाहट का कोई स्थायी इलाज नहीं है, लेकिन नियमित अभ्यास, चिकित्सा और समर्थन से इसे काफी हद तक कंट्रोल किया जा सकता है।

1. स्पीच थैरेपी

किसी पेशेवर विशेषज्ञ द्वारा बोलने की गति को नियंत्रित करने का प्रशिक्षण लिया जा सकता है।
सांस और उच्चारण करने का अभ्यास भी किया जा सकता है।

2. मनोचिकित्सा

डर और चिंता को दूर करने के लिए थेरेपी साइकैट्रिस्ट की मदद लें। वे आत्म-विश्वास बढ़ाने वाले अभ्यासों को भी करवाते हैं।

3. होम रेमेडी

  • शीशे के सामने बोलने का अभ्यास करें।
  • ग्रुप एक्टिविटी में हिस्सा लें।
  • पॉजिटिव सोच अपनाएं।
  • धीरे-धीरे बोलना सीखें।
  • तनाव कम करने के उपायों को अपनाएं।

फैमिली रखें कुछ बातों का ध्यान

डॉक्टर कहते हैं कि हकलाहट कोई अभिशाप नहीं है, बल्कि यह एक चुनौती है जिसे समझदारी, अभ्यास और सही मार्गदर्शन से पार किया जा सकता है। माता-पिता व घर के अन्य सदस्य प्रभावित इंसान की मदद कर उन्हें इस परेशानी से बाहर निकालने में मदद कर सकते हैं।

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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।

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Edited By

Namrata Mohanty

First published on: Apr 28, 2025 06:22 AM

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