शुगर की बीमारी के मामलों की बढ़ती संख्या सिर्फ एक देश तक सीमित नहीं है। हालांकि, भारत डायबिटिक कैपिटल माना जाता है मगर ये रोग दुनियाभर में फैला हुआ है। सबसे हैरानी की बात यह है कि शुगर की बीमारी अब कम आयु के लोगों को भी होने लगी है। यह बीमारी लाइफस्टाइल से जुड़ी होती है। भारत में तो खान-पान भी काफी वाइड वैरायटी का होता है, जो कहीं न कहीं सेहत को नुकसान पहुंचा देता है। यहां किसी को खाने से रोकना पाप के बराबर है। खास तौर पर मीठा खाने की इच्छा को दबाना किसी चुनौती से कम नहीं होता है। लेकिन क्या हो अगर कोई ऐसा प्राकृतिक स्वीटनर मिल जाए जो मीठा तो हो ही, साथ ही शुगर लेवल भी न बढ़ाए? स्टीविया एक ऐसा ही प्राकृतिक विकल्प है, जो डायबिटीज के मरीजों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है।
चीनी से कई गुना मीठी
SAAOL हार्ट सेंटर के डायरेक्टर डॉक्टर बिमल छाजेड़ के मुताबिक, स्टीविया एक हर्बल स्वीटनर है, जो उत्तर और दक्षिण अमेरिका में उगने वाले एक खास पौधे से पाया जाता है। भारत में इसे ‘मीठी तुलसी’ के नाम से भी जाना जाता है। इसकी पत्तियां सामान्य चीनी से 50 से 300 गुना ज्यादा मीठी होती हैं, लेकिन इन पत्तों में कैलोरी बिल्कुल नहीं होती है, जिसका कारण पत्तों में मौजूद स्टीवियोल ग्लाइकोसाइड नामक तत्व का होना है। यह तत्व ही इसे प्राकृतिक रूप से मीठा बनाता है।
शुगर लेवल नहीं बढ़ाता
कई रिसर्च में इस बात की पुष्टि हो चुकी है कि स्टीविया के सेवन से ब्लड शुगर लेवल पर कोई असर नहीं पड़ता है। साल 2018 में हुई एक रिसर्च में बताया गया है कि इन पत्तियों को खाने से 60 से 120 मिनट के अंदर ही ब्लड शुगर का स्तर कम हो गया और इसका असर इंसुलिन रिलीज होने से पहले ही दिखने लगा था। एक अन्य शोध में पता चला कि ड्राई स्टीविया लीव्स के पाउडर के नियमित सेवन से डायबिटीज के मरीजों का उपवास और भोजन के बाद ब्लड शुगर लेवल कम हो गया।
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इन समस्याओं को भी करें दूर
स्टीविया के पत्ते न केवल शुगर के मरीजों के लिए फायदेमंद है, बल्कि यह हमें कई अन्य स्वास्थ्य लाभ भी प्रदान करते हैं। इन पत्तियों में मौजूद एंटीऑक्सिडेंट्स शरीर को फ्री-रेडिकल्स से बचाने में मदद करते हैं। ये पत्ते भूख को भी नियंत्रित करते हैं, जिससे बार-बार मीठा खाने की क्रेविंग्स कम होती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि स्टीविया कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करने में मदद कर सकती है। स्टीविया हृदय संबंधी रोगों के खतरे को कम कर सकता है।
FDA से भी मिली मंजूरी
अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (FDA) ने स्टेवियोल ग्लाइकोसाइड को ‘सामान्य रूप से सुरक्षित होने का दर्जा दिया है। इसका मतलब है कि इसे खाने-पीने की चीजों में मिलाने की अनुमति है। यही वजह है कि अब बाजार में हेल्दी फूड्स में स्टेविया का इस्तेमाल किया जाता है।
मधुमेह रोगियों के लिए कितना सुरक्षित?
हालांकि स्टीविया को मधुमेह रोगियों के लिए सुरक्षित माना जाता है, लेकिन हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है। कुछ लोग इसके प्रति संवेदनशील हो सकते हैं, इसलिए इसे खाने से पहले डॉक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है।
कैसे करें सेवन?
स्टीविया का इस्तेमाल कई तरह से किया जा सकता है। इसे चाय, कॉफी या दूसरी ड्रिंक्स में मिलाकर पी सकते हैं। इसके अलावा, इसे फलों या दही में मिलाकर इसे खा सकते हैं। स्टीविया लीव्स के पाउडर और टैबलेट भी बाजार में मिलती है, जिसे आसानी से खरीदर कर डाइट में शामिल किया जा सकता है।
डायबिटीज के मरीज बिना किसी चिंता के इससे बनने वाली मिठाइयों को खा सकते हैं। अगर आप भी चीनी से परहेज करते हुए मीठा स्वाद लेना चाहते हैं तो स्टीविया को अपने डाइट में शामिल करना सही होगा।
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