वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक नए रंग की खोज करने का दावा किया है, जिसे इससे पहले किसी इंसान ने नहीं देखा है। साइंस एडवांसेज जर्नल में प्रकाशित एक शोध के निष्कर्षों का दावा है कि रेटिना में विशिष्ट कोशिकाओं को उत्तेजित करके एक नए रंग ‘ओलो’ देखा जा सकता है। बताया जा रहा है कि ये रिसर्च एक प्रयोग के बाद की गई, जिसमें रिसर्चरों ने अपनी आंखों में लेजर पल्स फायर किए थे।
वैज्ञानिकों का मानना है कि इन परिणामों से संभावित रूप से कलर ब्लाइंडनेस पर शोध को आगे बढ़ाया जा सकता है। प्रोफेसर रेन एनजी, जो प्रयोग में भाग लेने वाले पांच लोगों में से एक ने शनिवार को बीबीसी रेडियो 4 के टुडे कार्यक्रम में बताया कि ओलो वास्तविक दुनिया में देखे जाने वाले किसी भी रंग से ज्यादा सैचुरेटेड है।
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क्या कहते हैं प्रोफेसर एनजी
प्रोफेसर एनजी ने कहा कि मान लीजिए कि आप अपने पूरे जीवन में घूमते हैं और आपको केवल गुलाबी, बेबी पिंक, पेस्टल पिंक ही दिखाई देता है और फिर एक दिन आप ऑफिस जाते हैं और कोई व्यक्ति शर्ट पहने हुए होता है। ये सबसे डर्क बेबी पिंक होता है जिसे आपने कभी देखा है और वे कहते हैं कि यह एक नया रंग है और हम इसे लाल कहते हैं।
टीम के प्रयोग के दौरान, शोधकर्ताओं ने प्रत्येक प्रतिभागी की एक आंख की पुतली में लेजर बीम चमकाई। अध्ययन में 5 प्रतिभागी थे, जिसमें चार पुरुष और एक महिला थीं। इनकी रंग की नजर सामान्य थी। प्रतिभागियों में से 3 जिनमें प्रोफेसर एनजी भी शामिल थे और शोध पत्र के सह-लेखक भी थे।
हालांकि प्रोफेसर एनजी ने ये स्वीकार किया कि ओलो को देखना तकनीकी रूप से बहुत मुशकिल है, लेकिन टीम यह देखने के लिए निष्कर्षों का अध्ययन कर रही है कि कलर ब्लाइंड लोगों के लिए इसका संभावित रूप से क्या मतलब हो सकता है, जिन्हें कुछ रंगों के बीच अंतर करना मुश्किल लगता है।
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