Mental Health: टू-डू लिस्ट उन कामों की सूची होती है जो आपको करने होते हैं। ये लिस्ट आपको स्पष्ट रूप से बताती है कि क्या करने की जरूरत होती है और आपने कितना काम पूरा कर लिया है। इससे आपको अपने कामों को प्रभावी ढंग से पूरा करने का प्लान बनाने में भी मदद मिलती है। वहीं, कई बार ये टू-डू लिस्ट आपके मेंटल हेल्थ को खराब कर देती है, क्योंकि ये आपको बोझ लगने लगती और एक बड़ी जिम्मेदारी की तरह इसमें बहुत सारे काम समय पर करने होते हैं। आइए जानते हैं कि इसे लेकर हेल्थ एक्सपर्ट क्या कहते हैं?
क्या कहते हैं एक्सपर्ट
सर गंगा राम अस्पताल में साइकोथेरेपी के उपाध्यक्ष डॉ. राजीव मेहता ने टू-डू लिस्ट का विस्तृत ब्यौरा दिया, जिसमें बताया गया कि कब उन्हें बनाना अनिवार्य हो जाता है और उन्हें अपनी लाइफ में कब अपनाना चाहिए। वह बताते हैं कि लोगों को टू-डू लिस्ट से कुछ अपेक्षाएं होती हैं। इस लिस्ट से लोगों की उम्मीदें जुड़ी होती हैं।
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डॉ. राजीव मेहता ने कहा, लोग अलग-अलग अपेक्षाओं और कई सारे फायदे के कारण टू-डू लिस्ट बनाते हैं। सबसे पहली और सबसे जरूरी बात यह है कि ये लिस्ट खुद पर कंट्रोल करने की भावना सुनिश्चित करती है कि आपकी लाइफ में क्या-क्या चीजें होनी चाहिए और क्या नहीं। आने वाले कामों को लिखने से स्पष्टता मिलती है, प्रायोरिटी तय होती हैं और टाइम मैनेजमेंट में मदद मिलती है।
कैसे होती मेंटल हेल्थ खराब
हम सभी ऐसे दौर से गुजरे हैं, जब हमें एक ऐसी टू-डू सूची देखने को मिली जो बहुत लंबी लगती है। यह एक बड़ी जिम्मेदारी की तरह है। वहीं कई बार ये जिम्मेदारी बोझ लगने लगती है और इससे फायदा होने की बजाय ये दिमाग पर बुरा असर पड़ने लगता है। यहां तक कि अगर आप इसे पूरा नहीं कर पाते हैं तो आपको अच्छा महसूस होता है। भले ही टू-डू सूची को एफिशिएंसी बढ़ाने का साधन माना जाता है, लेकिन ये इसके लिए सही तरीका नहीं है। इसका इस्तेमाल आप तब करें जब आप दिमागी रूप से इसके लिए तैयार हों।
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