गर्मी के बढ़ते तापमान के साथ ही हीट स्ट्रोक का जोखिम भी बढ़ जाता है। हीट स्ट्रोक एक जानलेवा स्थिति होती है, जिसमें शरीर का तापमान अत्यधिक बढ़ जाता है और शरीर उसे नियंत्रित नहीं कर पाता है। हीट स्ट्रोक के कारण शरीर के अंगों, खासकर दिमाग और गुर्दों पर गंभीर असर पड़ता है। लगातार गर्मी होने से या लू लगने से शरीर का तापमान इतना ज्यादा बढ़ जाता है कि यदि इसका सही समय पर इलाज न मिले तो मरीज की स्थिति गंभीर रूप ले सकती है। इससे गर्मी से होने वाली बीमारियों का रिस्क बढ़ जाता है। गर्मियों में होने वाली हीट स्ट्रोक सबसे सामान्य बीमारी है। आइए जानते हैं एक्सपर्ट से इस बारे में सब कुछ।
हीट स्ट्रोक क्या है?
हीट स्ट्रोक तब आता है जब शरीर का तापमान 40°C (104°F) या उससे अधिक बढ़ जाता है और इसके बाद हमारा शरीर तापमान को कम करने में असमर्थ होता है। यह स्थिति तब पैदा होती है जब शरीर अत्यधिक गर्मी के संपर्क में आता है, खासकर गर्म मौसम में। अगर इस समस्या में समय पर उपचार न मिले, तो यह शरीर के अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है और जान का खतरा भी हो सकता है। इसमें होने वाला बुखार भी सामान्य बुखार जैसा नहीं होता है। यह अलग होता है।
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हीट स्ट्रोक के लक्षण
- शरीर का उच्च तापमान।
- स्किन का गर्म और सूखा होना और पसीना नहीं आना।
- मांसपेशियों में ऐंठन या कमजोरी महसूस करना।
- सिरदर्द और चक्कर आना।
- दिल की धड़कनें तेज होना।
- ऐसा महसूस करना कि आप नशे में हैं।
- मल्टीऑर्गन डिस्फंक्शन हो सकता है, तो जिसमें शरीर के अलग-अलग अंगों में दिक्कतें महसूस होती हैं।
क्या कहते हैं एक्सपर्ट?
लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज के विभागाध्यक्ष डॉक्टर संजय कुमार बताते हैं कि हीट स्ट्रोक गर्मियों में आता है और इसके अलग-अलग स्टेज होते हैं। इसमें सबसे माइल्ड लक्षण हैं पैरों में सूजन होना, हीट रैशेज जो स्किन पर होते हैं। हीट क्रैंप्स, जिसमें मांसपेशियों में कमजोरी और ऐंठन के साथ नस चढ़ना शामिल हैं। ये तीनों शुरुआती संकेत होते हैं हीट स्ट्रोक के माइल्ड स्टेज के होते हैं।
हीट स्ट्रोक के मॉडरेट स्टेज पर मरीज को धूप में रहने के बाद तुरंत सिर घूमता है और इंसान धड़ाम से जमीन पर गिर जाता है। इसे हीट इग्जॉर्शन कहते हैं, जिसमें बॉडी का तापमान बढ़ जाता है और पसीना आने लगते हैं। इसमें वॉमिटिंग, डायरिया और मिचली महसूस हो सकती है।
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इन लोगों को रिस्क ज्यादा
लू लगने के बाद शरीर पर खतरनाक असर होता है। हीट स्ट्रोक का असर बच्चों और बुजुर्गों पर सबसे ज्यादा होता है क्योंकि उनका शरीर इम्यूनिटी में भी वीक होता है और उनका शरीर भी इतने ताप को झेल नहीं पाता है। डॉक्टर कहते हैं कि इन लोगों का गर्मियों में ज्यादा ख्याल भी रखना चाहिए।
हीट स्ट्रोक के कुछ सामान्य कारण
- अत्यधिक गर्म स्थान पर रहना।
- उच्च तापमान में लंबे समय तक शारीरिक गतिविधियां करना।
- गर्मी के साथ अधिक ह्यूमिडिटी शरीर को पसीना छोड़ने में असमर्थ बनाती है।
- दिल की बीमारी और शारीरिक कमजोरी वाले लोगों को।
- कुछ दवाइयां जैसे कि डाइयूरेटिक्स और हल्के एंटीडिप्रेसेंट्स भी शरीर के तापमान को बढ़ा सकती हैं।
हीट स्ट्रोक से बचने के सरल उपाय
- तरल पदार्थों का सेवन- शरीर को हाइड्रेट रखने के लिए पानी तथा इलेक्ट्रोलाइट्स युक्त ड्रिंक पिएं।
- गर्मी के समय बाहर जाने से बचें और ज्यादा से ज्यादा छांव या ठंडे स्थान पर रहकर आराम करें।
- हल्के और सूती कपड़े पहनें।
- सूरज की किरणों से बचें।
- शरीर के तापमान को ठंडा करने के लिए ठंडे पानी से नहाना चाहिए।
हीट स्ट्रोक का इलाज
- अगर किसी को हीट स्ट्रोक के लक्षण नजर आएं, तो तुरंत उसे ठंडे स्थान पर ले जाएं और सीधा डॉक्टर से संपर्क करें।
- बॉडी टेम्प्रेचर को कम करने के लिए ठंडे पानी या आइस पैक से शरीर को ठंडा करें।
- अगर इंसान होश में है, तो धीरे-धीरे उसे पानी पिलाएं।
ध्यान रहे, हीट स्ट्रोक अत्यंत गंभीर और जानलेवा स्थिति हो सकती है। गर्मियों में अपने शरीर का ध्यान रखें और ऊपर दिए गए बचाव उपायों का पालन नियमित रूप से करें। यदि किसी को हीट स्ट्रोक जैसे लक्षण नजर आ रहे हैं, तो तुरंत मेडिकल हेल्प लें। सुरक्षित रहें और गर्मी के प्रभाव से बचने के लिए सतर्क रहें।
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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।