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हेल्थ

सिर्फ ब्लड टेस्ट से पता चलेगा सर्वाइकल कैंसर है या नहीं? रिसर्च में हुआ खुलासा

कैंसर एक गंभीर बीमारी होती है। कई बार लोगों को इस रोग के बारे में शुरुआत में पता नहीं चलता है और फिर जब पता चलता है कैंसर सेल काफी ज्यादा फैल जाते हैं। खून की जांच से कई बड़ी बीमारियों का पता चलता है लेकिन कैंसर के लिए अन्य उपचार का भी सहारा लेना पड़ता था। मगर अब सिर्फ ब्लड टेस्ट से भी सर्वाइकिल कैंसर का पता लग सकता है। ऐसा दावा नई रिसर्च करती है।

Author Edited By : Namrata Mohanty Updated: Apr 7, 2025 13:54

कैंसर के कई प्रकार होते हैं। सभी के इलाज और सही होने के समय में अलग-अलग समय लग सकता है। सर्वाइकल कैंसर भी एक गंभीर प्रकार का कैंसर है। यह कैंसर महिलाओं को ज्यादा होता है। हेल्थ रिपोर्ट्स की मानें, तो यह दूसरा सबसे बड़ा कारण है महिलाओं में कैंसर का। इस बीमारी से हर साल लगभग 80,000 महिलाएं अपनी जान गवां देती हैं। मगर अब इस कैंसर को लेकर एक राहत भरी खबर सामने आई है, जो महिलाओं को जरूर जाननी चाहिए। सर्वाइकल कैंसर दोबारा भी शरीर में फैल जाता है। नई हेल्थ रिसर्च के मुताबिक, खून के सैंपल से कैंसर होने और दोबारा फैलने वाले लक्षणों की जांच आसानी से की जा सकती है। इस रिसर्च में पाया गया कि खून में HPV सेल्स फ्री डीएनए मौजूद होते हैं, जो यह बताते हैं कि बीमारी है या नहीं। यह रिसर्च एम्स के कैंसर सेंटर इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर हॉस्पिटल के डॉक्टरों द्वार की गई थी। आइए जानते हैं इस बारे में विस्तार से।

क्या कहती है रिसर्च?

दिल्ली एम्स के कैंसर सेंटर इंस्टीट्यूट रोटरी कैंसर हॉस्पिटल के डॉक्टरों द्वारा अध्ययन में बताया है कि यह रिसर्च इंटरनेशनल मेडिकल जर्नल नेचर के साइंटिफिक रिसर्च में भी प्रकाशित हुआ है। इस अध्ययन को करने वाले डॉक्टरों का मानना है कि इस तकनीक की मदद से कैंसर के मरीजों में बीमारी की पुष्टि जल्दी और आसानी से हो सकेगी। इससे पहले सर्वाइकल कैंसर की जांच के लिए पैप स्मीयर टेस्टिंग की मदद ली जाती थी, जो कि इसकी तुलना में काफी कठिन होता है।

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डॉक्टरों का क्या है मानना?

रिसर्च में लगे डॉक्टरों ने और भी कई बातों का दावा किया है, जिसमें वह बताते हैं कि खून का सैंपल लेने के बाद कैंसर सेल के कुछ अंश रह जाते हैं, जिस कारण एमआरडी की पहचान आसानी से हो सकती है। जबकि पैप स्मीयर टेस्ट में यह ज्यादा असरदार है। इस बारे में आईआरसीएच के मेडिकल ऑन्कोलॉजी के एसोसिएट प्रोफेसर, डॉक्टर मयंक सिंह बताते हैं कि पैप स्मीयर टेस्टिंग के लिए मरीज ओपीडी जाते थे, वहां महिला मरीजों को गुप्तांग से सैंपल देने पड़ते थे। वहीं, खून के सैंपल की मदद से मरीजों को ज्यादा आसानी होती है।

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दोबारा होने वाले कैंसर की रोकथाम

डॉक्टर मयंक कहते हैं कि कैंसर सही होने के कुछ समय बाद फिर से एक्टिव हो सकता है। इसके लिए उन्हें अपने फॉलोअप ट्रीटमेंट की मदद लेनी पड़ती थी। फॉलोअप चेकअप के लिए 3 से 6 महीने का समय लगता था और सीटी स्कैन या पेट का स्कैन करवाना होता था। शोध के बाद से अब दोबारा होने वाले कैंसर की जांच के लिए लिक्विड बायोपसी यानी खून की जांच करवाने की सुविधा मिलेगी। हालांकि, अब तक दुनिया के कई देशों के लोगों और महिलाओं में इसकी टेस्टिंग चल रही है मगर भारत में अभी किसी पर यह टेस्टिंग नहीं हुई है।

Liquid Biopsy क्या है?

लिक्विड बायोप्सी एक मॉडर्न और कम आक्रामक परीक्षण विधि है, जो कैंसर के निदान, निगरानी और उपचार के लिए उपयोग की जाती है। इसमें खून, यूरिन या अन्य शरीर के तरल पदार्थों से शरीर में मौजूद कैंसर के संकेतों का पता लगाया जाता है।

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Disclaimer: ऊपर दी गई जानकारी पर अमल करने से पहले विशेषज्ञों से राय अवश्य लें। News24 की ओर से जानकारी का दावा नहीं किया जा रहा है।

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Edited By

Namrata Mohanty

First published on: Apr 07, 2025 01:54 PM

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