गठिया की बीमारी एक आम हड्डियों की बीमारी होती है। इस बीमारी के बारे में कहा जाता है कि यह रोग हड्डियों से संबंधित तो है मगर चिंताजनक बात यह है कि यह पुरुषों की तुलना में महिलाओं में ज्यादा कॉमन है। गठिया में जोड़ों में सूजन और दर्द की समस्या होती है। हालांकि, इस बीमारी के होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे कि हड्डियों में घिसाई यानी चिकनाई की कमी होना। चोट लगने पर भी गठिया हो सकता है और रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम होने से भी गठिया हो सकता है। इसे ऑस्टियोआर्थराइटिस भी कहते हैं।
पुरुषों से अधिक प्रभावित महिलाएं
बता दें कि WHO के मुताबिक, 80% लोगों को वर्ल्डवाइड लेवल पर चलने में दिक्कत महसूस होती है। इनमें 25% लोग ऐसे हैं, जिन्हें रोजमर्रा के कामों को करने में भी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हालांकि, हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, 65 साल की आयु के बाद इस बीमारी का जोखिम बढ़ता है मगर अब हर उम्र के लोग इस बीमारी के घेरे में आते हैं। एक आंकड़ा बताता है कि 9.6% पुरुषों में अर्थराइटिस की बीमारी है। वहीं, महिलाओं में 18% से अधिक इसके मामले पाए जाते हैं।
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पतंजलि द्वारा प्रमाणित दवा कितनी फायदेमंद?
पतंजलि रिसर्च सेंटर, हरीद्वार में निर्मित औषधि, दिव्य पीड़ानिल गोल्ड असरदार दवा है। इसे खाने से अर्थराइटिस का दर्द, जोड़ों का दर्द और मांसपेशियों में पड़ने वाले खिंचाव की समस्या दूर होती है। अर्थराइटिस के मरीजों को हेयरलाइन फ्रैक्चर, जोड़ों का असहनीय दर्द और टेंडन टूटने की समस्या रहती है। दिव्य पीड़ानिल एक आयुर्वेदिक मेडिसिन है, जो पतंजलि के मुख्य रिसर्चर्स ने आयुर्वेदिक पदार्थों की मदद से बनाई है। इसमें वृहद, पुनर्नवादि मंडूर जैसी औषधियां शामिल हैं। पतंजलि के अनुसार, यह दवा हड्डियों का टॉनिक है, जो कुछ दिनों में ही असर दिखाने लगती है।
दवा में मौजूद जड़ीबूटियां
- वृहद, शारीरिक गतिविधियों को बढ़ाएं।
- पुनर्नवादि मंडूर, यह ताकत को बढ़ाने और सूजन को कम करने में सहायक होता है।
- मुक्ता शुक्ति भस्म में कब्ज, इम्यूनिटी से लेकर ब्लड शुगर कंट्रोल करने में फायदेमंद है।
- महावत विध्वंसन, नसों के दर्द को दूर करता है। मिर्गी के दौरे में भी यह फायदेमंद मानी जाती है।
- आमवातारि रस, गाउट और जोड़ों के दर्द को कम करता है।
- शुद्ध गुगल भी जोड़ों के दर्द और घाव को ठीक करने में असरदार होता है।
दवा निर्माण करने वाली टीम के डॉक्टर, डॉ. अनुराग वार्ष्णेय बताते हैं कि एलोपैथी मेडिसिन और पतंजलि पीड़ानिल दोनों को मरीजों को प्रोवाइड करवाया गया। एलोपैथी से दर्द कम तो हुआ मगर बीमारी में कोई बदलाव नहीं देखा गया। वहीं, जिन लोगों ने नियमित इस दवा का सेवन किया उनके लक्षण कम हुए।
पीड़ानिल स्प्रे भी असरदार
पतंजलि रिसर्च इंस्टिट्यूट में पीड़ानिल स्प्रे का भी निर्माण किया गया है, जो तुरंत असर दिखाता है। इस स्प्रे को बनाने में अजवाइन, गंधपुरा, पुदीना, नीलगिरि तेल और भीमसेनी कपूर का इस्तेमाल किया गया है। चोट लगने पर या फिर खेल-कूद जैसी एक्टिविटीज करते समय लगने वाली चोटों से आराम दिलाने में इस स्प्रे को यूज किया जा सकता है।
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