नई दिल्ली: ताइवान के मुद्दे पर चीन को रूस का साथ मिला है। क्रेमलिन के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने कहा है कि अमेरिकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी की ताइवान यात्रा चीन को उकसाने वाली है। पेलोसी की यात्रा से इलाके में स्थितियां खराब हो सकतीं हैं और बिगड़ भी सकतीं हैं। रूस ने कहा कि पेलोसी के इस यात्रा से चीन और अमेरिका के बीच तनाव बढ़ना तय है।
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पेस्कोव ने पत्रकारों के सवालों का जवाब देते हुए ये भी कहा कि रूस ताइवान के मुद्दे पर चीन के साथ खड़ा है और हम चीन की वन चाइना पॉलिसी का समर्थन करते हैं। उन्होंने कहा कि ताइवान का मुद्दा बीजिंग के लिए बहुत ही संवेदनशील है। पेस्कोव ने कहा कि इस मुद्दे को सम्मान और संवेदनशीलता के साथ निपटा जाना चाहिए, बजाए इसके अफसोसजनक रूप से अमेरिका ने संघर्ष का रास्ता तैयार कर दिया है। अमेरिका के इस कदम से कुछ भी अच्छा नहीं होने वाला है, हम अफसोस ही जता सकते हैं।
रूसी विदेश मंत्रालय ने भी पेलोसी की यात्रा को उकसाने वाला बताया
रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने भी पेलोसी की यात्रा को उकसाने वाला बताया। उन्होंने कहा कि वाशिंगटन दुनिया में अस्थिरता ला रहा है। हाल के दशकों में अमेरिका की ओर से एक भी संघर्ष को सुलझाया नहीं गया है, लेकिन कई उकसाए गए हैं।
बता दें कि चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है और उसने बार-बार चेतावनी देकर संकेत दिया है कि वह पेलोसी की यात्रा को एक बड़े उकसावे के रूप में देखेगा। उधर, अमेरिकी नेता अक्सर ताइवान का समर्थन दिखाने के लिए दौरा करते रहे हैं। इसी कड़ी में नैंसी पेलोसी भी मंगलवार को ताइवान पहुंचीं। पेलोसी की इस यात्रा को लेकर चीन ने कड़ी आपत्ति जताई है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यात्रा का चीन-अमेरिका संबंधों की राजनीतिक नींव पर गंभीर प्रभाव पड़ेगा। चीन निश्चित रूप से अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा के लिए सभी आवश्यक उपाय करेगा।
पेलोसी के ताइवान दौरे पर चीन क्यों नाराज़ है?
चीन ‘वन चाइना नीति’ के तहत ताइवान को अपने क्षेत्र के हिस्से के रूप में दावा करता है जबकि ताइवान खुद को स्वतंत्र देश बताता है। चीन का मानना है कि अमेरिकी संसद की अध्यक्ष पेलोसी की ताइवान यात्रा से ताइवान की स्वतंत्रता को समर्थन और बल मिलेगा।
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चीन के नाराज होने का दूसरा कारण यह है कि पिछले हफ्ते अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के साथ एक फोन कॉल के दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने चेतावनी दी थी कि इस मुद्दे पर अमेरिका आग से खेल रहा है। इसके बावजूद पेलोसी धमकियों को नजरअंदाज करते हुए ताइवान पहुंच गईं।
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