ताइपे: अमेरिकी सीनेट की स्पीकर नैंसी पोलेसी ताइवान से दक्षिणी कोरिया के लिए रवाना हो गई हैं। रवाना होने से पहले उन्होंने कहा कि हम ताइवान की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। हंगामों से हम रूकने वाले नहीं हैं। कई ओर अमेरिकी नेता ताइवान आएंगे।
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#WATCH | US House Speaker Nancy Pelosi leaves from Taiwan after meeting Taiwanese President Tsai Ing-wen, in Taipei pic.twitter.com/5iSWfnupfQ
— ANI (@ANI) August 3, 2022
ताइवान के साथ अमेरिका की एकजुटता महत्वपूर्ण है। ताइवान दुनिया के सबसे स्वतंत्र समाजों में से एक है।
कल रात पहुंची थी
कल रात पोलेसी ताइवान के राजधानी ताइपे पहुंचीं। इस दौरान पोलेसी ने चीन का नाम लिए बगैर उस पर निशाना साधा। पोलेसी ने कहा कि हम ताइवान में लोकतंत्र के समर्थक हैं। हम ताइवान के 23 मिलियन लोगों के साथ हैं और क्षेत्र में हम शांति चाहते हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि हम ताइवान का आर्थिक विकास चाहते हैं। पोलेसी ने कहा कि मौजूदा स्थिति को बदलने का विरोध करते रहेंगे। हमारी यात्रा सुरक्षा, आर्थिक साझेदारी पर केंद्रित है। हम ताइवान के पास दोस्ती के लिए आए हैं।
ताइवान की बात सुनने आईं हूं
अमेरिकी स्पीकर पेलोसी ने ताइवानी मीडिया से चर्चा में कहा, ‘मैं यहां ताइवानी जनता की बात सुनने और यह सीखने के लिए आई हूं कि हम एक साथ कैसे आगे बढ़ सकते हैं। हम ताइवान को कोविड से सफलतापूर्वक निपटने के लिए बधाई देती हैं। यह स्वास्थ्य, अर्थव्यवस्था, सुरक्षा और शासन का मुद्दा भी है।’ पेलोसी ने यह भी कहा कि ताइवान सरकार से बातचीत में जलवायु संकट से पृथ्वी को बचाने के लिए मिलकर काम करने पर बात करेंगे। हमारी यात्रा मानवाधिकारों, अनुचित व्यापार परंपराओं और सुरक्षा मुद्दों के बारे में है।
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चीन बौखलाया
इस बीच नैंसी पेलोसी की यात्रा से चीन और अमेरिका के बीच तनाव काफी बढ़ गया है। चीन की सेना ताइवान स्ट्रेट की ओर बढ़ गई है। यह स्ट्रेट ताइवान को चीन की मुख्य भूमि से अलग करता है। उधर, चीन के 20 लड़ाकू विमान ताइवान में घुस गए। अमेरिका ने भी पेलोसी की सुरक्षा को देखते हुए हिंद-प्रशांत क्षेत्र में अपने युद्धपोत यूएसएस रोनाल्ड रीगन और फिलीपींस सागर में अन्य युद्धपोत को तैनात कर दिया है। इसके साथ पेलोसी पिछले 25 साल में स्वशासित द्वीप का दौरा करने वाली अमेरिका की सर्वोच्च अधिकारी बन गई हैं। चीन दावा करता रहा है कि ताइवान उसका हिस्सा है। वह विदेशी अधिकारियों के ताइवान दौरे का विरोध करता है क्योंकि उसे लगता है कि यह द्वीपीय क्षेत्र को संप्रभु के रूप में मान्यता देने के समान है।
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