नई दिल्ली: देश में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को मंकीपॉक्स बीमारी को फैलने से रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं। मंत्रालय ने बताया कि 31 मई, 2022 तक भारत में मंकीपॉक्स वायरस का कोई मामला सामने नहीं आया था। हालांकि, अन्य देशों में मामलों की बढ़ती रिपोर्ट के मद्देनजर भारत को तैयार रहने की जरूरत है। बता दें कि देशभर में मंकीपॉक्स (Monkeypox in India) से संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 8 हो गई है, जबकि एक मरीज की मौत भी हो चुकी है.
मंकीपॉक्स को रोकने के लिए ये है गाइडलाइन
1. किसी बीमार व्यक्ति के संपर्क में आने वाली किसी भी सामग्री, जैसे बिस्तर के संपर्क में आने से बचें।
2. संक्रमित मरीजों को दूसरों से अलग करें।
3. संक्रमित जानवरों या मनुष्यों के संपर्क में आने के बाद हाथ की अच्छी तरह सफाई करें। हाथों को साबुन और पानी से धोना चाहिए या फिर अल्कोहल बेस्ड हैंड सैनिटाइज़र का उपयोग करना चाहिए।
4. रोगियों की देखभाल करते समय पीपीई कीट का प्रयोग करें।
5. निगरानी और नए मामलों की तेजी से पहचान मंकीपॉक्स की रोकथाम के लिए महत्वपूर्ण है।
6. संदिग्ध या मंकीपॉक्स वायरस की पुष्टि वाले मरीजों की देखभाल करने वाले या उनके नमूनों को संभालने वाले स्वास्थ्य कर्मियों को सावधानी बरतनी चाहिए। संदिग्ध मनुष्यों और जानवरों से लिए गए नमूनों को लैब में प्रशिक्षित कर्मचारियों द्वारा नियंत्रित किया जाना चाहिए।
मांडविया बोले- मंकीपॉक्स से डरने की जरूरत नहीं है
देश में मंकीपॉक्स के बढ़ते मामलों के मद्देनजर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा, ‘मंकीपॉक्स से डरने की जरूरत नहीं है, राज्य सरकारों के सहयोग से जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। भारत सरकार की ओर से नीति आयोग के एक सदस्य की अध्यक्षता में एक टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है।
मंकीपॉक्स क्या है?
मंकीपॉक्स (MPX) एक वायरल जूनोटिक बीमारी है जिसमें चेचक के समान लक्षण होते हैं। MPX को पहली बार 1958 में रिसर्च के लिए रखे गए बंदरों में खोजा गया था, इसलिए इसका नाम ‘मंकीपॉक्स’ पड़ा। मनुष्य में मंकीपॉक्स का पहला मामला 1970 में कांगो में दर्ज किया गया था। मंकीपॉक्स वायरस मुख्य रूप से मध्य और पश्चिम अफ्रीका में होता है। 2003 में अफ्रीका के बाहर पहला मंकीपॉक्स का केस संयुक्त राज्य अमेरिका में दर्ज किया गया था। मंकीपॉक्स का लक्षण आमतौर पर 2 से 4 सप्ताह तक रहता है। वायरस के जोखिम की सीमा, रोगी के स्वास्थ्य की स्थिति और जटिलताओं की प्रकृति से संबंधित होते हैं।
कैसे फैलता है मंकीपॉक्स
मंकीपॉक्स संक्रमण बहुत करीबी के संपर्क में आने पर ही फैलता है, जैसे मां से बच्चे में और पति से पत्नी में या पत्नी से पति में। इसके अलावा यह संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ या घाव के सीधे संपर्क में आने से भी फैलता है। इसके अलावा संक्रमित व्यक्ति के दूषित कपड़ों से भी ये फैल सकता है।
ऐसे सामने आता है संदिग्ध मामला
मंकीपॉक्स प्रभावित देशों की यात्रा करने वाले किसी भी उम्र के मनुष्य में इसके लक्षण दिख सकते हैं। अगर मंकीपॉक्स प्रभावित देशों से लौटने के 21 दिनों के अंदर किसी को बुखार, सिरदर्द, शरीर में दर्द या फिर कमजोरी है, तो ऐसे लोगों को तुरंत जांच करानी चाहिए। इसके अलावा ठंड लगना या पसीना आना, गले में खराश और खांसी होने पर भी जांच करानी चाहिए। मंकीपॉक्स आमतौर पर बुखार शुरू होने के 1-3 दिनों के भीतर शुरू होता है, जो लगभग 2-4 सप्ताह तक रहता है। मंकीपॉक्स संक्रमित मरीज के शरीर पर दाने हो जाते हैं जिनमें खुजली होती है।