सुप्रीम कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट की व्याख्या करेगा। समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस जेबी पारदीवाला की बेंच ने कहा कि वह मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) अधिनियम और संबंधित नियमों की व्याख्या करेगी। वह इस बात की समीक्षा करेगी कि क्या अविवाहित महिलाओं को चिकित्सकीय सलाह पर 24 सप्ताह तक गर्भपात की अनुमति दी जा सकती है।
SC favours to include unmarried women under abortion law
Read @ANI Story | https://t.co/sS8HFOu3Mz#SupremeCourtofIndia #Unmarriedwomen #Abortionlaw pic.twitter.com/Gsy3tl3FEG
— ANI Digital (@ani_digital) August 7, 2022
एक मामले की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा, “चिकित्सा क्षेत्र में हुई प्रगति को देखते हुए (एमटीपी अधिनियम और नियम) कानून की दूरंदेशी व्याख्या होनी चाहिए।” बता दें कि गर्भवती महिलाओं के लिए गर्भपात की ऊपरी सीमा 24 सप्ताह है। यह विशेष श्रेणियां जिनमें रेप, कमजोर महिलाएं जैसे कि विकलांग और नाबालिग शामिल हैं। वहीं, अविवाहित महिलाओं के लिए सहमति से संबंधों में यह अनुमति 20 सप्ताह में दी जाती है।
भेदभाव नहीं होना चाहिए
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने माना है कि भारत में गर्भावस्था कानून की चिकित्सा समाप्ति के संबंध में विवाहित और अविवाहित महिलाओं के बीच कोई भी भेदभाव नहीं होना चाहिए। पीठ ने केंद्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी को इस प्रक्रिया में अदालत की मदद करने को कहा। इस मामले में अब 10 अगस्त को सुनवाई होगी।
यदि डॉक्टर अनुमति दे
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा “जब कानून के तहत अपवाद प्रदान किए गए हैं, यदि चिकित्सा सलाह अनुमति देती है तो अविवाहित महिलाओं को 24 सप्ताह की गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए क्यों शामिल नहीं किया जा सकता है? संसदीय मंशा स्पष्ट प्रतीत होती है क्योंकि इसने ‘पति’ को ‘साथी’ से बदल दिया है। यह दर्शाता है कि उन्होंने अविवाहित महिलाओं को भी 24 सप्ताह के गर्भ को समाप्त करने की अनुमति देने वालों की श्रेणी में रखा है,”।