Smartphone Blue Light Disadvantages: आज के समय में स्मार्टफोन हर किसी की जरूरत बन गया है। लोग घंटों तक स्मार्टफोन यूज करते रहते हैं। वे इसके बिना एक पल नहीं रह पाते। बड़े ही नहीं, बच्चे भी इसके आदी हो रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि स्मार्टफोन से निकलने वाली ब्लू लाइट स्वास्थ्य के लिए कितनी घातक है? आपको इसके नुकसान बताएंगे तो आप जानकर हैरान रह जाएंगे। स्मार्टफोन को आज लोग सबसे बड़ा साथी मानने लगे हैं। शायद अपने बच्चों के बिना रह जाएं, लेकिन स्मार्टफोन के बिना नहीं।
Anti blue light glasses ( protects your eyes from the harmful rays that screens (phones, laptops, TVs etc emit)
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— ✨ThisBarbieIsTired✨ (@ummie_moh) January 19, 2023
- ब्लू लाइट नींद के पैटर्न को बाधित करती है। इस रोशनी से मेलाटोनिन की उत्पादन प्रक्रिया बाधित होती है। यही हार्मोन नींद या जागने के चक्र को कंट्रोल करता है। जिससे नींद आनी कम हो जाती है। सोने से पहले स्क्रीन का समय कम करेंगे और नीली रोशनी का प्रयोग फिल्टर करके करेंगे तो ही राहत मिलेगी।
- नीली रोशनी के कारण आंखों पर दबाव पड़ता है। आंखों में सूजन, जलन और ध्यान को टिकाने में समस्या आ सकती है। लगातार मोबाइल के संपर्क में आने से बचें। हर बीस मिनट में 20 फुट दूर किसी चीज को 20 सेकंड तक देखें। आंखों को नम रखने के लिए दवा जरूर डालें।
- नीली रोशनी से मैक्यूलर डिजनरेशन का खतरा बढ़ जाता है। लंबे समय तक मोबाइल देखने से रेटिना को नुकसान हो सकता है। नीली रोशनी को रोकने के लिए चश्मे का प्रयोग करें। हो सके तो एंटी रिफ्लेक्टिव कोटिंग वाली स्क्रीन का यूज करें। नियमित रूप से ब्रेक भी जरूरी है।
- नीली रोशनी के कारण मानसिक स्वास्थ्य पर भी असर होता है। इससे तनाव, चिंता और अवसाद की बीमारी बढ़ती है। स्क्रीन टाइम को सीमित कर सोने से पहले घूमें। आराम के साथ ही ऑफलाइन गतिविधियों में भाग लें।
- नीली रोशनी के कारण ध्यान अवधि में कमी आती है। ध्यान लगातार भटकता रहता है। इससे बचने के लिए माइंडफुलनेस तकनीक की प्रेक्टिस करें। बार-बार ब्रेक लेना भी जरूरी है।
- नीली रोशनी के कारण सिरदर्द की दिक्कत होती है। माइग्रेन की बीमारी से बचने के लिए एंटी ग्लेयर स्क्रीन का यूज करें। स्क्रीन की चमक को एडजेस्ट करें। वहीं, स्क्रीन से दूर रहने के लिए ब्रेक भी जरूरी है।
- नीली रोशनी के अधिक प्रयोग से समय के साथ धुंधला दिखने लगता है। नियमित रूप से आंखों का चेकअप करवाएं। उचित रोशनी का यूज करें। थकान की समस्या आ रही है तो सावधानी बरतने की जरूरत है। आंखों को आराम देने के लिए ब्रेक जरूर लें।
- बच्चों में नीली रोशनी नींद संबंधी विकार पैदा कर सकती है। बच्चे अधिक संवेदनशील होते हैं। नीली रोशनी विकार और व्यवहार पर असर डालती है। शाम के समय बच्चों को बिल्कुल मोबाइल न दें। उन्हें घर से बाहर खेलने के लिए प्रेरित करें।
- नीली रोशनी त्वचा पर भी असर डालती है। त्वचा में नीली रोशनी प्रवेश कर ऑक्सीडेटिव तनाव को बढ़ा सकती है। जिससे समय से पहले बुढ़ापा जैसे लक्षण दिख सकते हैं। इससे बचने के लिए सनस्क्रीन का यूज करें।
- नीली रोशनी हार्मोनल संतुलन को भी प्रभावित करती है। सर्कैडियन लय में व्यवधान पैदा होने से संतुलन गड़बड़ा सकता है। रात में यह रोशनी और भी खतरनाक होती है। इससे तनाव का स्तर असामान्य हो सकता है। स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है। इससे बचाव के लिए जरूरी है दैनिक दिनचर्या को बनाए रखना।