Hyperloop Electronics Development: भारत में ट्रांसपोर्टेशन रिवोल्यूशन की दिशा में एक और ऐतिहासिक कदम बढ़ाया गया है। वंदे भारत ट्रेंस की सफलता के बाद अब भारतीय रेलवे हाइपरलूप टेक्नोलॉजी पर काम कर रहा है, जो फ्यूचर के फास्ट, Durable और स्मार्ट ट्रांसपोर्ट सिस्टम का बेस बनेगा। केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल ही में घोषणा की है कि आईआईटी मद्रास द्वारा विकसित हाइपरलूप प्रोजेक्ट को भारतीय रेलवे की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री यानी ICF, चेन्नई से टेक्निकल सपोर्ट मिलेगा। चलिए इसके बारे में जानें…
क्या है कमर्शियल हाइपरलूप?
हाइपरलूप एक अल्ट्रा-फास्ट ट्रांसपोर्ट सिस्टम है, जो मैग्नेटिक टेक्नोलॉजी के जरिए ट्रेनों को 1,000 किमी/घंटा से ज्यादा की स्पीड से चलाने में सक्षम है। IIT मद्रास में इनक्यूबेटेड स्टार्टअप टुटर हाइपरलूप इस टेक्नोलॉजी को तैयार कर रहा है, जिससे भारत विश्व का पहला Commercial Hyperloop लॉन्च करने की तैयारी में है। बता दें कि हाइपरलूप ट्रेन एक सील्ड ट्यूब के अंदर चलती है, जिसमें हवा का प्रेशर बहुत कम होता है। इससे Air Resistance को कम किया जाता है।
वंदे भारत से हाइपरलूप तक का सफर
ICF चेन्नई जो वंदे भारत ट्रेंस की एडवांस्ड इलेक्ट्रॉनिक्स और डिजाइन बनाता है, अब हाइपरलूप के इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्नोलॉजी डेवलपमेंट में भी कंट्रीब्यूशन देगा। वंदे भारत ट्रेंस में यूज की गई टेक्नोलॉजी को अब हाइपरलूप में अपग्रेड कर भारतीय रेलवे को फ्यूचर की ओर ले जाया जाएगा। भारतीय रेलवे इस प्रोजेक्ट को फाइनेंशियल और टेक्निकल असिस्टेंस दे रहा है, जिससे देश में स्वदेशी हाइपरलूप सिस्टम का डेवलपमेंट संभव हो सके।
ये भी पढ़ें: Netflix और Amazon Prime मिलेगा बिल्कुल फ्री! जियो, एयरटेल और Vi यूजर्स इन प्लान्स को अभी करें चेक
सेमीकंडक्टर जल्द होगा लॉन्च
बता दें कि भारत में पांच सेमीकंडक्टर प्लांट्स पहले से ही इस पर काम कर रहे हैं और इस साल के अंत तक पहला भारतीय सेमीकंडक्टर लॉन्च हो सकता है। भारतीय युवा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी AI, डेटा साइंस और इलेक्ट्रॉनिक्स में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं, जो इस प्रोजेक्ट के लिए खास है। संस्थान के शोधकर्ता और युवा इंजीनियर हाइपरलूप सिस्टम को तैयार कर रहे हैं, जिससे यह टेक्नोलॉजी सस्टेनेबल, फास्ट और कॉस्ट इफेक्टिव बन सके।