Generative AI Indian Economy 2030 Job Transformation: बीते कुछ सालों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ने अपनी मजबूत पकड़ बना ली है। लगभग हर क्षेत्र में इसका इस्तेमाल किया जाता है। हाल ही में एक EY इंडिया की एक रिपोर्ट में जानकारी मिली है कि जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GenAI) के उपयोग से 2030 तक भारत में 3.8 करोड़ नौकरियों में बदलाव आएगा। इस बदलाव से ऑर्गनाइज्ड सेक्टर में 2.61 प्रतिशत और अनऑर्गनाइज्ड सेक्टर में 2.82 प्रतिशत प्रोडक्टिविटी में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है।
इंडस्ट्री में एआई का प्रभाव
रिपोर्ट के मुताबिक, अलग-अलग इंडस्ट्री में 24 प्रतिशत कार्य पूरी तरह ऑटोमेटिक किए जा सकते हैं, जबकि 42 प्रतिशत कार्य एआई द्वारा सुधारे जा सकते हैं। इससे ज्ञान-केंद्रित कर्मचारियों के लिए हर हफ्ते 8-10 घंटे का समय बचाया जा सकेगा। EY इंडिया के चेयरमैन और सीईओ राजीव मेमानी ने कहा कि यह रिवोल्यूशन नौकरियों को पूरी तरह से बदल देगा, जिससे प्रोडक्टिविटी और इनोवेशन में बढ़ोतरी होगी। इस बदलाव का ज्यादा लाभ उठाने के लिए ऑर्गनाइजेशन को स्किल डेवलपमेंट और टैलेंट पाइपलाइन तैयार करने को प्राथमिकता देनी होगी।
जनरेटिव एआई के लाभ
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सर्विस एरिया में सबसे अधिक प्रोडक्टिविटी में बढ़ोतरी होने की उम्मीद है, क्योंकि इसमें श्रम का बड़ा हिस्सा एग्रीगेट आउटपुट से जुड़ा होता है। दूसरी ओर, निर्माण और मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्रों में प्रभाव तुलनात्मक रूप से कम होगा।
कुछ प्रमुख इंडस्ट्री में एआई द्वारा उत्पादकता बढ़ाने की संभावनाएं हैं, जिसमें कॉल सेंटर मैनेजमेंट में 80 प्रतिशत तक प्रोडक्टिविटी में सुधार होगा। वहीं सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट में 61 प्रतिशत की बढ़ोतरी, कंटेंट डेवलपमेंट और डिस्ट्रीब्यूशन में 45 प्रतिशत तक सुधार, कस्टमर सर्विसेज में 44 प्रतिशत की बढ़ोतरी, सेल्स और मार्केटिंग में 41 प्रतिशत तक सुधार, आईटी, स्वास्थ्य और वित्तीय सेवाओं में एआई का योगदान होगा।
आईटी और आईटीईएस (IT/ITeS) क्षेत्र में प्रोडक्टिविटी में 19 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की उम्मीद है। स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में यह 13 प्रतिशत और बैंकिंग व बीमा क्षेत्रों में 8-9 प्रतिशत तक सुधार दर्ज किया जा सकता है।
भारत में एआई को अपनाने की तैयारी
हालांकि, रिपोर्ट के अनुसार भारत में एआई अपनाने का स्तर अभी शुरुआती चरण में है। केवल 15 प्रतिशत कंपनियों ने इसे प्रोडक्शन में लागू किया है, जबकि 34 प्रतिशत ने प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट (POCs) पूरे किए हैं। 11 प्रतिशत कंपनियां POCs को सफलतापूर्वक प्रोडक्शन में बदलने की प्रोसेस में हैं।
डेटा तैयारियों के मामले में भी भारतीय कंपनियां अलग-अलग स्तर पर हैं। केवल 3 प्रतिशत कंपनियों ने बताया कि वे पूरी तरह से तैयार हैं, जबकि 23 प्रतिशत ने कहा कि वे एआई को लागू करने के लिए डेटा तैयारियों में बिल्कुल भी सक्षम नहीं हैं।
भारत बनेगा एआई स्किल हब
रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के बीच सहयोग और प्रतिभा विकास में निवेश करके भारत को एआई-प्रशिक्षित प्रतिभाओं का वैश्विक केंद्र बनाया जा सकता है। डिजिटल युग में जनरेटिव एआई न केवल नौकरियों का स्वरूप बदलेगा बल्कि इनोवेशन और प्रोडक्टिविटी में नए आयाम भी खोलेगा। हालांकि, इस बदलाव को सुचारू रूप से लागू करने के लिए ऑर्गनाइजेशन को कर्मचारियों को नई तकनीकों के साथ ट्रेनिंग करना और एआई-संचालित प्रक्रियाओं को अपनाना अनिवार्य है।