Narayana Murthy on 70 working hours: इंफोसिस (Infosys) के को-फाउंडर एन आर नारायण मूर्ति (NR Narayana Murthy) के 70 घंटे काम करने वाले बयान के बाद इस बात पर चर्चा तेज हो गई है कि आखिर कितने घंटे काम करना चाहिए। हाल ही में उन्होंने कहा था कि भारत के युवाओं को प्रोडक्टिविटी बढ़ाने के लिए हफ्ते में 70 घंटे काम करना चाहिए। नारायण मूर्ति के बयान के बाद एक सवाल यह भी उठा है कि आखिर कौन से देश के लोग ज्यादा काम करते हैं और कौन से देश के लोग कम काम करते हैं। इसपर अलग-अलग लोग अपनी राय दे रहे हैं। काफी लोग उनके इस बयान की आलोचना यह कहते हुए कर रहे हैं कि 70 घंटे काम करेंगे तो लाइफ बचती कहां है। एक वर्ग का कहना है कि इससे शोषण होगा।
नारायण मूर्ति के बयान पर काफी विवाद भी हुआ और देश की कई बड़ी हस्तियों ने भी इसपर खुलकर अपनी बात रखी। नारायणमूर्ति के बयान के हिसाब से तो हर आदमी को करीब 12 घंटे दफ्तर में ही बिताना होगा। काफी लोगों ने इसपर हैरानी जताई। उनके इस बयान पर सज्जन जिंदल, ओला के हेड भावेश अग्रवाल समेत कई लोगों ने राय दी। भारत के युवाओं की सबसे बड़ी दिक्कत तो यह है कि वे जितने घंटे काम करते हैं उन्हें उनकी मेहनत के मुताबिक उतने पैसे नहीं मिलते।
दूसरे देशों में कितने घंटे काम करके कितना कमाते हैं लोग
इंटरनेशनल लैबर ऑर्गेनाइजेशन (International Labour Organization) के आंकडों के मुताबिक अमेरिका में कर्मचारी एवरेज 36 घंटे काम करता है और यहां प्रति व्यक्ति आय 76,399 (Rs 63,58,188) डॉलर है, जर्मनी में कर्मचारी हर हफ्ते औसत 34 घंटे काम करते हैं और यहां प्रति व्यक्ति आय 63,150 डॉलर (Rs 52,55,560) है, यूके में कर्मचारी हर हफ्ते औसत 36 घंटे है और उनकी प्रति व्यक्ति आय 54,630 डॉलर (Rs 4546497) है, जापान में कर्मचारी औसत 36.6 घंटे काम करता है और वहां प्रति व्यक्ति आय 45,573 डॉलर (Rs 37,92,742) है, फ्रांस में कर्मचारी औसत 30 घंटे काम करता है और वहां प्रति व्यक्ति आय 55,493 डॉलर (Rs 46,18,318) है। चीन में कर्मचारी हफ्ते में औसत 46 घंटे काम करते हैं और वहां प्रति व्यक्ति आय 21,476 डॉलर (Rs 17,87,306) है।
भारत में कितने घंटे काम करके कितना पैसा कमाते हैं लोग
वहीं भारत में कर्मचारी औसत 47.7 घंटे काम करते हैं जबकि यहां का प्रति व्यक्ति आय 8,379 डॉलर (Rs 69,73,29) है। ऐसे में देखा जाए तो भारत के लोग पहले से ही ज्यादा देर तक काम कर रहे हैं, जबकि इसके बदले में उन्हें पश्चिमी देशों के कर्मचारियों के मुकाबले बहुत कम पैसे मिलते हैं। आंकडों से साफ पता चलता है कि भारतीय दूसरे देशों के कर्मचारियों से बहुत कम कमाते हैं।
हालांकि प्रति व्यक्ति आय का यह मतलब नहीं है कि वहां हर आदमी इतना ही पैसा कमाता होगा। देश के कुछ प्रतिशत कर्मचारी तो बहुत मोटी तन्ख्वाह पर काम करते हैं जबकि एक बड़ा हिस्सा इतना ही कमा पाता है जिससे उसकी रोजी रोटी चल पाती है। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था वाले देशों में लोगों को मिलने वाला सैलरी पैकेज भारत के कर्मचारियों से बहुत ज्यादा कम है। अब सवाल है कि जब भारत में कर्मचारी पहले से ही 47.7 घंटे हर हफ्ते काम कर रहे हैं, जिसके बदले में उन्हें इतने कम पैसे मिल रहे हैं तो काम करने के घंटे को बढ़ाना कहां तक जायज होगा?
ये भी पढ़ें-वकीलों को CJI की फटकार, कहा-सुप्रीम कोर्ट को नहीं बनने दे सकते ‘तारीख पर तारीख’ कोर्ट