China near-space command: विस्तारवादी चीन अपनी सैन्य शक्ति को बढ़ाने के लिए हर तरह के कदम उठा रहा है। यही वजह है कि चीन का रक्षा बजट लगातार बढ़ता जा रहा है। वह अपनी सेना को आधुनिक बनाने और अमेरिका तक को पीछे छोड़ने की फिराक में है। चीन लगातार ऐसे नए नए कदम उठा रहा है, जिसने दुनिया को हैरान कर दिया है। चीनी सेना के अभी तक चार ब्रांच हैं जिसमें थल सेना, नौसेना, वायु सेना और रॉकेट फोर्स हैं। के अलावा पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की पांचवीं ताकत के रूप में कार्य करेगी। यह स्पष्ट नहीं था कि अंतरिक्ष कमान औपचारिक रूप से कब स्थापित की गई थी, लेकिन माना जाता है कि यह अभी भी डेवलपिंग फेज में है।
चीन की ‘नियर-स्पेस कमांड’ अब दुनिया की चिंता बढ़ाने लगी है। हांगकांग के एक अखबार के मुताबिक चीन ने कथित तौर पर घातक हाइपरसोनिक हथियारों से लैस दुनिया का पहला ‘निकट-अंतरिक्ष कमांड’ बनाया है। यह अब चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की पांचवीं ताकत के रूप में काम करेगा। हालांकि अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि इसे कब स्थापित किया गया था, लेकिन बताया जा रहा है अभी इसका विकास किया जा रहा है।
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अंतरिक्ष में चीन चाहता है ज्यादा बढ़त
बता दें कि दुनिया के सभी ताकतवर देश अंतरिक्ष में अपनी धाक जमाने की कोशिश में हैं। इसमें अमेरिका, चीन और रूस ज्यादा आगे हैं। स्पेस के क्षेत्र में चीन काफी कुछ कर चुका है। चीन के रिसर्चर्स का मानना है कि अंतरिक्ष अगला युद्धक्षेत्र है और इस क्षेत्र में चीन दूसरे देशों से ज्यादा बढ़त चाहता है। विशेषज्ञों की एक टीम ने कहा कि नियर स्पेस एक बड़ी प्रतिस्पर्धा वाला क्षेत्र बन गया है, जिससे भविष्य के युद्धों के नतीजे तय हो सकते हैं।
होगा हाइपरसोनिक मिसाइलों से लैस
रिपोर्ट्स में कहा गया है कि चीन का निकट-अंतरिक्ष कमान आधुनिक हाइपरसोनिक मिसाइलों से लैस होगा और यह दुश्मन देशों की महत्वपूर्ण सैन्य संपत्तियों को निशाना बना सकेगा। चीन के रिसर्चर्स का मानना है कि सुपर-एडवांस्ड निकट-अंतरिक्ष कमांड से चीन को धरती पर किसी भी लक्ष्य पर तेज गति से हमला करने की क्षमता मिल जाएगी।
रॉकेट लॉन्च स्थलों को बनाएगा निशाना
यह स्पेस कमांड घातक हथियारों से लैस होगा। यह दुनिया के दूसरे देशों की मुश्किलें बढ़ा सकता है। इसका सबसे बड़ा मसकद युद्ध के समय चीन को जीत दिलाना है। अंतरिक्ष कमान युद्ध की स्थिति में सबसे पहले दुश्मन के रॉकेट लॉन्च स्थलों को निशाना बनाएगा, जिससे उन्हें एंटी सेटेलाइट मिसाइलें दागने में बाधा आएगी।