Valentine day special: दिनेश पाठक, वरिष्ठ पत्रकार: बॉलीवुड की अदाकारा मधुबाला की खूबसूरती के किस्से तब के लोग आज तक सुनाते नहीं थकते हैं। उनकी खूबसूरती की तुलना हॉलीवुड अभिनेत्री मर्लिन मुनरो तक से की जाती है। खूबसूरती और जबरदस्त अदाकारी का संगम हुआ तो बॉलीवुड को एक से बढ़कर एक फिल्में मिलीं। इसे इत्तेफाक ही कहेंगे कि मधुबाला का जन्म प्रेम के त्योहार यानी वैलेंटाइंस डे के दिन 14 फरवरी को हुआ था पर उनकी मोहब्बत कभी मुकाम तक नहीं पहुंच पाई। मुस्लिम परिवार में पैदा होने के बावजूद रुढ़ियों को तोड़ उन्होंने फिल्मों में काम शुरू किया, जहां महिलाओं पर अनेक बंदिशें लागू थीं, काफी हद तक आज भी हैं।
फिल्म तारिका मधुबाला उर्फ मुमताज जहां बेगम देहलवी जयंती पर जान लेते हैं उनकी जिंदगी से जुड़े कुछ किस्से।
देविका रानी ने दिया था मधुबाला नाम
14 फरवरी 1933 को मधुबाला का जन्म दिल्ली के एक पठान परिवार में हुआ था। उनका असली नाम था मुमताज जहां बेगम देहलवी। 11 भाई-बहनों में पांचवें नंबर की मधुबाला बला की खूबसूरत थीं। मुमताज के पिता अताउल्लाह खां पेशावर की एक तंबाकू फैक्टरी में काम करते थे। पर बाद में पत्नी आयशा बेगम के साथ दिल्ली चले आए।
वहां से मुंबई जाकर रहने लगे। बताया जाता है कि बेहद कम उम्र में मधुबाला फिल्मों में काम करने लगीं, जिससे उनके परिवार का भरण-पोषण होने लगा। हिरोइन के रूप में उनकी पहली फिल्म बसंत से हुई। मधुबाला के काम से उस जमाने की मशहूर अदाकारा देविका रानी भी काफी प्रभावित हुईं और उन्होंने ही मुमताज को अपना नाम बदलकर मधुबाला रखने की सलाह दी।
बचपन के दोस्त से मोहब्बत परवान नहीं चढ़ी
बताया जाता है कि मधुबाला को बचपन के दोस्त लतीफ से मोहब्बत थी पर दूरियों के कारण परवान नहीं चढ़ी। फिर फिल्म निर्देशक किदार से उन्हें 14-15 साल की उम्र में इश्क हुआ लेकिन जल्द ही मधुबाला ने उनसे भी किनारा कर लिया। फिल्म महल के निर्देशक कमाल अमरोही के साथ भी मधुबाला का नाम खूब जोड़ा गया, लेकिन वह पहले से शादीशुदा थे, इसलिए यह कहानी भी आगे नहीं बढ़ पाई।
फिल्म बादल की शूटिंग के दौरान हीरो प्रेमनाथ को मधुबाला ने गुलाब का गुलदस्ता और एक चिट्ठी देकर अपनी मोहब्बत का इजहार कर दिया लेकिन धर्म आड़े आ गया और यह मोहब्बत भी परवान न चढ़ सकी।
दिलीप कुमार के साथ रहा रिश्ता
इसके बाद मधुबाला के जीवन में आए यूसुफ खान उर्फ दिलीप कुमार। फिल्म तराना की शूटिंग के दौरान दोनों में प्यार पनपा तो कई साल दोनों एक-दूसरे के साथ रहे। यह भी कहा जाता है कि दिलीप कुमार और मधुबाला की सगाई भी हो गई थी। इसी बीच दिलीप और मधुबाला ने एक साथ बीआर चोपड़ा की फिल्म नया दौर साइन की थी, जिसकी शूटिंग 40 दिनों तक ग्वालियर में होनी थी। यहां बीच में मधुबाला के पिता अताउल्लाह खान आ गए और शर्त रख दी कि फिल्म की शूटिंग ग्वालियर के बजाय मुंबई में ही की जाए।
इससे नाराज होकर बीआर चोपड़ा ने मधुबाला की जगह वैजयंतीमाला को ले लिया तो अताउल्लाह खान ने कॉन्ट्रैक्ट तोड़ने के आरोप में उन पर केस कर दिया। इस पर बीआर चोपड़ा ने भी उन पर मुकदमा दर्ज करा दिया। इस बीच मधुबाला का दिलीप कुमार से रिश्ता टूट गया।
बातचीत बंद फिर भी करते रहे मुगल-ए-आजम की शूटिंग
दिलीप कुमार ने आत्मकथा में लिखा है कि अताउल्लाह खान उनकी शादी के खिलाफ नहीं थे, बल्कि वह चाहते थे कि मधुबाला और दिलीप कुमार सिर्फ उन्हीं की प्रोडक्शन कंपनी के लिए काम करें। इसके लिए उन्होंने मधुबाला और उनके पिता को समझाया भी कि ऐसा कैसे संभव है? वह अपने तरीके से काम करते हैं। फिर भी वे नहीं माने। दिलीप कुमार ने यह भी लिखा है कि मुगल-ए-आजम जैसी फिल्म की आधी शूटिंग के दौरान मधुबाला और उनके बीच बातचीत बंद थी। दोनों सेट पर एक-दूसरे का अभिवादन तक नहीं करते थे। फिर भी पेशेवर कलाकारों की तरह शूटिंग पूरी की।
किशोर कुमार से की थी शादी
दिलीप कुमार से रिश्ता खत्म होने के बाद मधुबाला बुरी तरह से टूट गई थीं। तभी गायक-अभिनेता किशोर कुमार उनकी जिंदगी में आए। उसी दौर में किशोर कुमार का अपनी पत्नी रूमा देवी गुहा ठाकुरता से तलाक हुआ था। मधुबाला और किशोर कुमार लगभग तीन साल साथ रहे, इसके बाद 1960 में शादी कर ली। तब मधुबाला की उम्र केवल 27 साल थी। शादी के बाद मधुबाला बीमार रहने लगीं तो किशोर कुमार उनको लंदन ले गए।
वहां डॉक्टरों ने बताया कि मधुबाला के दिल में छेद है, जिसकी सर्जरी नहीं हो सकती। उनके पास केवल दो साल की जिंदगी बची है। इसके बाद किशोर कुमार ने उनकी काफी सेवा की लेकिन कामकाज के सिलसिले में बाहर रहने के कारण उन्हें पिता के घर छोड़ दिया और धीरे-धीरे दोनों में दूरियां बढ़ती चली गईं। एक वक्त ऐसा आया कि वह दो महीने में एक बार ही मधुबाला के पास जा पाते थे।
दिल के दर्द से जूझ रहीं मधुबाला के दिल में था छेद
मधुबाला मोहब्बत की नाकामी के बाद दिल का दर्द तो झेल ही रही थीं, उनके दिल में छेद होने को लेकर भी अलग-अलग किस्से हैं। एक बात यह कही जाती है कि बचपन से ही उनके दिल में छेद था। दूसरी यह कि साल 1957 में राज कपूर के साथ चेन्नई में चालक फिल्म की शूटिंग के दौरान सेट पर मधुबाला को खून की उल्टी हुई और वह बेहोश हो गईं। केवल 24 साल की मधुबाला को तब तीन महीने के लिए आराम की सलाह डॉक्टरों ने दी पर वह नहीं मानीं। बाद में मुगल-ए-आजम की शूटिंग के दौरान भी उनकी तबीयत बिगड़ गई थी।
फिर भी वह शूटिंग करती रहीं। हालांकि, मधुबाला को डॉक्टरों ने दो साल का ही जीवन दिया था पर वह नौ सालों तक बीमारी से लड़ती रहीं. 36वें जन्मदिन के आठ दिन बाद 23 फरवरी 1969 को उन्होंने दुनिया को अलविदा कह दिया।
जिसे शिद्दत से चाहा, वही नहीं मिला
मधुबाला के बारे में कहा जाता है कि वह बड़ी जल्दी किसी को भी अपना दिल दे बैठती थीं और उसे गुलाब के फूल और चिट्ठी देकर इजहार भी कर देती थीं। कई बार नाकामियों के कारण वह मोहब्बत की राह पर आगे बढ़ने से डरती भी थीं, इसीलिए कई रिश्ते टूट गए। प्रेमनाथ के साथ धर्म आड़े आ गया। अगर चाहतीं तो धर्म बदलकर घर बसा सकती थीं पर पिता नहीं माने। कमाल अमरोही के साथ शादी नहीं की, क्योंकि वह अपनी पहली पत्नी को तलाक दिए बिना मधुबाला से दूसरी शादी करना चाहते थे। किदार के साथ रिश्ते में तो केवल डर के कारण आगे नहीं बढ़ीं। उन्हें लगता था कि किदार उन्हें छोड़ देंगे।
एक बात यह भी कही जाती है कि मधुबाला के कारण ही उनके परिवार का खर्च चलता था। इसलिए उनके पिता अताउल्लाह खान नहीं चाहते थे कि मधुबाला शादी कर घर छोड़कर जाएं। नाकाम मोहब्बत की कहानी बनी इस अदाकारा की जिंदगी में बाकी सबकुछ था। दौलत-शोहरत खूब कमाई और अपनी अदाकारी और खूबसूरती से प्रशंसकों के दिलों पर राज किया। चलती का नाम गाड़ी, मिस्टर एंड मिसेज 55, मुगल-ए-आजम और महल जैसी बॉलीवुड की आइकॉनिक फिल्में उन्हीं के नाम दर्ज हैं।