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‘औरत ना बन जाएं….’, पत्नी को सताने लगा था डर, घरवालों से छुपकर थिएटर जाते थे गोविंद पांडेय | Exclusive

Govind Pandey Interview: 'पीके' और 'ठुकरा के मेरा प्यार' जैसी फिल्मों और वेब सीरीज में काम कर चुके एक्टर गोविंद पांडेय ने न्यूज 24 हिंदी के साथ एक्सक्लूसिव बात की. उन्होंने अपने करियर से लेकर जिंदगी के अनुभव और अनसुने किस्से के बारे में बताया.

Author Written By: Rahul Yadav Author Published By : Rahul Yadav Updated: Oct 7, 2025 18:36
Thukra Ke Mera Pyaar Fame Actor Govind Pandey, Govind Pandey Interesting Story
गोविंद पांडेय एक्सक्लूसिव इंटरव्यू.

Govind Pandey Interesting Story: ‘ठुकरा के मेरा प्यार’ वेब सीरीज में संचिता बसु के पिता का रोल प्ले कर गोविंद पांडेय ने ओटीटी पर छाप अलग छाप छोड़ी. इसमें उनके अभिनय को काफी पसंद किया गया. वह टीवी से लेकर बड़े पर्दे और अब ओटीटी पर भी एक्टिंग का लोहा मनवा चुके हैं. इसी बीच वह हाल ही में अपनी अपकमिंग फिल्म ‘कैश एम कैश’ के पोस्टर लॉन्च इवेंट में पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने अपने करियर से लेकर लाइफ तक के बारे में बात की. एक्टर ने न्यूज 24 हिंदी के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि परिवार वाले एक्टिंग के खिलाफ थे. लेकिन फिर भी उन्होंने अभिनय का दामन थामे रखा. इस दौरान उन्होंने एक ऐसा किस्सा भी बताया, जो उनकी पत्नी से जुड़ा है. चलिए बताते हैं.

‘ठुकरा के मेरा प्यार’ फेम एक्टर गोविंद पांडेय ने अपने करियर को लेकर बात करते हुए बताया, ‘एक्टिंग के लिए प्रेरणा तो मुझे बचपन से ही मिल गई थी. पता नहीं कैसे मुझे नहीं पता. जब मेरे पिता जी करोल बाग में राम लीला करवाते थे तो उस समय हम बहुत छोटे थे. हम सभी राम लीला देखने के लिए वहां जाते थे. कभी यदा-कदा आस-पड़ोस में मूवी देखने के लिए मिल जाती थी. राजेश खन्ना जी की फिल्में देखा करते थे. तभी से ना जाने क्या था दैविक था या क्या, तभी से मन में एक्टर बनने का आ गया था. लेकिन ब्राह्मण परिवार से होने के नाते उस समय किसी से कह नहीं पाया कि एक्टर बनना है. उस वक्त एक्टर बनने के लिए कहना महा पाप था. मतलब मीडिल क्लास के परिवार से होने की वजह से आप ऐसा सोच ही नहीं सकते थे. पढ़ने-लिखने और डॉक्टर-इंजीनियर बनने के लिए कहा जाता था. लेकिन, मैंने बचपन से ही सोच लिया था.’

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एक्टिंग स्ट्रगल को लेकर बोले गोविंद पांडेय

गोविंद पांडेय ने आगे अपने स्ट्रगल को लेकर बात की और बताया, ’12वीं तक तो किसी को पता ही नहीं लगने दिया था कि मैं थिएटर जाता था. हालांकि, जब उन्हें मेरे एक्टिंग के शौक के बारे में पता चला तो उन्होंने कभी इसके लिए रोका नहीं लेकिन, मेरे पिता जी एक बात जरूर कहते थे कि ये बहुत ही खतरनाक लाइन है अगर इसमें तुम ऊपर नहीं पहुंचे तो बहुत स्ट्रगल हो जाएगा तो वो ये एक सीख देते थे. उनको एक चीज लगती थी कि लड़का गलत काम तो कर नहीं रहा है और पढ़ाई में अव्वल था. मेरे घरवाले बोलते थे कि अगर तू जरा सा भी ध्यान लगाए तो बहुत अच्छा कर सकता है. बड़ा अफसर बन जाएगा. लेकिन, मैंने बचपन से थिएटर नहीं छोड़ा और थिएटर में ही पीएचडी भी कर डाला.’

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किसे चैलेंजिंग रोल मानते हैं गोविंद पांडेय?

गोविंद पांडेय ने अपने पहले नाटक ‘जानेमन’ के बारे में भी बात की. इसे उन्होंने अपना फेवरेट और चैलेंजिंग रोल वाला नाटक बताया. उन्होंने इस पर बात करते हुए बताया, ‘अपने इस नाटक से मैं बहुत फेमस हुआ. देशभर के लोग जानने लगे थे. मुझे टीवी सीरियल्स से लेकर फिल्मों में काफी पसंद किया गया. लोगों के जहन में मेरे कई कैरेक्टर्स हैं, जो आज भी लोग पसंद करते हैं. फिर चाहे वो ‘विक्रम वेधा’ का हो, या फिर ‘पीके’ का या फिर बात करें वेब सीरीज ‘ठुकरा के मेरे प्यार’ हो. मुझे मेरे विक्रम वेधा का परशुराम पांडेय वाला किरदार काफी पसंद आता है.’

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महिला के कपड़े पहने, उनके बीच सोए गोविंद पांडेय

गोविंद पांडेय ने ‘जानेमन’ में ‘किन्नर’ की भूमिका प्ले करने पर भी बात की और बताया कि ये रोल बहुत ही चैलेंजिंग रहा. उन्होंने इससे जड़ा एक किस्सा और पत्नी के डर के बारे में भी बताया. वह कहते हैं, ‘कैरेक्टर के जरिए एक जेंट्स के शरीर में लेडीज को डाल रहे थे, जो बड़ा मुश्किल था. क्योंकि एक आदमी के शरीर में औरत को डालना और एक औरत के शरीर में आदमी को डालना बड़ा मुश्किल होता है. वो मेंटली हमको उस लेवल पर डाल रहे थे. मेरे एक मित्र बृजेश थे, जो इसी नाटक में सेकेंड लीड कर रहे थे तो उन्होंने और उनकी पत्नी ने साथ में मिलकर एक्पेरिमेंट किए. महिला के कपड़े तक पहनकर उनके बीच रहे. सबके बीच सोए. मेरी बीवी पहले ही इस रोल को करने से मना करती थी क्योंकि उसको लगता था कि कहीं मैं उस तरफ ही ना बढ़ा जाऊं. कहीं गे ना हो जाऊं. इस तरह का डर मेरी पत्नी को सताने लगा था. मैंने एक्सपेरिमेंट किया लेकिन मेरी वाइफ काफी नाराज हो गई थी.’

महिला के गेटअप में खुद को शीशे में देखा- गोविंद पांडेय

गोविंद कहते हैं, ‘वो अनुभूति कमाल की थी. मेरे पास शब्द ही नहीं हैं इसके लिए. क्योंकि मैं अपनी वाइफ के साथ महिला के गेटअप में उसी बैड पर हूं. मैंने जब अपने आपको शीशे में देखा तो क्या ही कहूं. वो सिर्फ समझने की चीज थी. मैंने ये 2002 में किया था लेकिन मेरे पास आज भी इसे एक्सप्लेन करने के लिए शब्द नहीं हैं.’

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रियल लाइफ में इस कैरेक्टर से परेशान हो गए थे गोविंद पांडेय

रियल लाइफ में भी परेशान करने वाले कैरेक्टर के बारे में बात करते हुए गोविंद पांडेय ने बताया, ‘क्योंकि जीना इसी का नाम है’ सीरियल में एक मंगत नाम का कैरेक्टर था. इसमें कूबा टाइप का कैरेक्टर था, जो टीवी पर 5 साल तक चला था. यूनिसेफ का प्रोजेक्ट था. इसमें मैं गांव वगैरह में दबंगई टाइप का करता था. लोग इसके लिए मुझे आज भी पसंद करते हैं. इसकी वजह से मेरी आवाज की टोन खराब हो गई थी. मैं जब भी घर में वाइफ को आराम से कहता था तो भी वो नाराज हो जाती थी कि आराम से बोलो ना और मैं कहता आराम से ही कहा है तो वो कैरेक्टर कहीं ना कहीं मेरे अंदर काफी समय तक रहा था. ‘

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First published on: Oct 07, 2025 06:36 PM

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