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Salaam Venky Review: सलाम वेंकी देखेंगे तो बहुत रोएंगे, इसलिए  दिल को कड़ा कर देखिए

Salaam Venky Review, Ashwani Kumar: सलाम वेंकी के बारे में कुछ भी बताने से पहले एक वैधानिक चेतावनी: अगर आप कमजोर दिल के हैं, इमोशनल हैं या फिर कड़े और बड़े दिल के भी क्यों नहीं हैं, सलाम वेंकी आपको बहुत रुलाएगी, थोड़ा मुस्कुराने का मौका देगी, थोड़ा आंखों में चमक भरेगी, लेकिन सब कुछ […]

Edited By : Sumit Kumar | Updated: Dec 9, 2022 15:53
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Salaam Venky Review
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Salaam Venky Review, Ashwani Kumar: सलाम वेंकी के बारे में कुछ भी बताने से पहले एक वैधानिक चेतावनी: अगर आप कमजोर दिल के हैं, इमोशनल हैं या फिर कड़े और बड़े दिल के भी क्यों नहीं हैं, सलाम वेंकी आपको बहुत रुलाएगी, थोड़ा मुस्कुराने का मौका देगी, थोड़ा आंखों में चमक भरेगी, लेकिन सब कुछ उदासी के साथ। क्योंकि सलाम वेकी कोई बॉलीवुड मसाला फिल्म नहीं, जिसे देखने के आप आदी हैं, जिसमें गाने में आप थोड़ा थिरकते रहे हैं, जिसके लतीफों पर आप बिना दिमाग लगाए ठहाके लगाते रहे हैं। ये फिल्म जुदा है। सलाम वेंकी की कहानी सुनकर आप ये गुमान करने की भी गलती ना कीजिएगा, कि यूथेनेशिया यानी इच्छा मृत्यु वाले टॉपिक पर बनी संजय लीला भंसाली के डायरेक्शन और ऋतिक रोशन, ऐश्वर्या स्टारर गुजारिश जैसी ही ये भी होगी। सलाम वेंकी उससे बहुत आगे ले जाकर समझाती है। तारीफ तो चलती रहेगी, लेकिन पहले इसकी कहानी समझ लीजिए।

एक बच्चा है वेंकटेश, जिसे ड्यूकनर मस्क्यूलर डिस्ट्रॉफी है, ये एक रेयरेस्ट ऑफ द रेयर बीमारी है। वेंकटेश के शरीर में बचपन से ही वो प्रोटीन नहीं बनता, जिससे शरीर की मांसपेशियों को ताकत मिलती है। डॉक्टर्स साफ कह देते हैं कि इस बीमारी का कोई इलाज मुमकिन नहीं, ऐसी बीमारी को लेकर पैदा हुए बच्चे ज़्यादा से ज़्यादा 14-15 साल तक ज़िंदा रह सकते हैं, क्योंकि धीरे-धीरे उनके शरीर की मसल काम करनी बंद कर देती है। इस जानकर कोई भी मां टूट जाएगी, कोई भी परिवार बिखर जाएगा…। सलाम वेंकी भी ऐसा होता है, बाप अपने बच्चे के इलाज से मना कर देता है क्योंकि वो डेड इन्वेस्टमेंट है, मगर मां सुजाता, वेंकटेश को जीना सिखाती है, लड़ना सिखाती है, चेस में चैंपियन बनाती है, वर्ल्ड वाइड विंडो वाली खिलाड़ी से दुनिया को समझना सिखाती है और हर पल-हर घड़ी जुटकर, अपने पति, परिवार के साथ अपनी बेटी को खोकर, उस बेटे की उम्र 24 साल तक खींचकर लाती है, जिसे 14-15 की उम्र तक शरीर दम छोड़ देता है।

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वेंकटेश का दूसरा घर बन जाता है हॉस्पिटल, जहां का डॉक्टर, जहां की नर्स, जहां का एक-एक स्टाफ वेंकटेश को पहचानता है। सुजाता का संघर्ष जानता है, लेकिन अब वेंकटेश की एक ज़िद है, वो जान गया कि किसी भी पल उसकी सांसे, शरीर का साथ छोड़ सकती हैं, तो वो चाहता है कि अपने शरीर के अंगों को वो डोनेट करे, ताकि कोई उसकी आंखों से देख पाए, किसी की धड़कन उसकी दिल से चले, जितनी हो सके जिंदगियां वो बचा सके। साथ ही वेंकटेश बीमारी की मजबूरी से मरने की बजाय यूथेनेशिया चाहता है, यानी इच्छा मृत्यू। पहले मां को इसके लिए राज़ी करना है, फिर कानून को….। सुजाता अपने बेटे की इस आख़िरी ख़्वाहिश के लिए लड़ती है, लेकिन क्या वो वेंकटेश को एक डिग्निफाइड मौत दे पाती है?

सलाम वेंकी, ऐसी फिल्म है जिसे देखने के आप आदी नहीं है, जिसे देखने आप थियेटर तो बिल्कुल नहीं जाते। इसलिए ऐसी फिल्म बनाने का हौसला कोई इंडियन फिल्म मेकर दिखा ही नहीं पाता। लेकिन डायरेक्टर रेवती ने इस फिल्म को बिल्कुल वैसे ही बनाया है, जैसी ये बननी चाहिए, इसे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाने के लिए कमर्शियल मसाला नहीं छिड़का, बल्कि बॉलीवुड से लेकर टॉलीवुड के बड़े-बड़े नाम जोड़ लिए, ताकि आप तक ये कहानी पहुंच सके। रेवती ऐसी हिम्मत पहले भी कर चुकी हैं, वो सलमान खान और शिल्पा शेट्टी को लेकर एक एड्स की जागरूकता वाली एक बेहद शानदार और दिल छू लेने वाली फिल्म फिर मिलेंगे बना चुकी हैं। वो अलग बात है कि दबंग और टाइगर की दहाड़ के दीवाने सलमान खान के फैन्स ने अपने भाईजान की फिर मिलेगे, जैसी खूबसूरत फिल्म शायद ही देखी हो। श्रीकांत मूर्ति की बेस्ट सेलर बुक ‘द लास्ट हुर्रा’ पर बनी सलाम वेंकी की कहानी में सच्चाई है, और इसके बैकग्राउंड स्कोर, गानों, सिनेमैटोग्राफी में वो सच्चाई नजर आती है।

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सलाम वेंकी शानदार परफॉरमेंस से सजा वो गुलदस्ता है, जिसका हर फूल खूबसूरत है, और अपनी पूरी खुशबू देता है। सुजाता के किरदार में काजोल की ये अब तक की सबसे शानदार परफॉरमेंस हैं, काजोल की आंखों से निकलने वाला हर आंसू आपको अपने गालों पर महसूस होगा। वेंकटेश के किरदार में विशाल जेठवा ने चौंका दिया है, दर्द में मुस्कुराने का अहसास कराने वाला ये किरदार विशाल ने अपनी दूसरी फिल्म में मुमकिन कर दिखाया है। आमिर खान का इसमें एक्सटेंडेड कैमियो है, और इस किरदार के ट्विस्ट आपको दिमाग को झकझोर देखा। साउथ स्टार प्रियामणि का गेस्ट अपीयरेंस भी बहुत शानदार है। राजीव खंडेलवाल, अहाना कुमार, प्रकाश राज, राहुल बोस के साथ हर एक किरदार ने वेंकी के छूटती सांसों में जैसे ज़िंदगी डालने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है।

सलाम वेंकी देखेंगे तो बहुत रोएंगे, इसलिए इस फिल्म को देखना है तो दिल कड़ा करके देखिए। वैसे इसे मिस करने की भूल करना भी आप अफोर्ड नहीं कर सकते।

सलाम वेंकी को 4 स्टार।

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Edited By

Sumit Kumar

First published on: Dec 09, 2022 03:53 PM

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