Pankaj Udhas: मशहूर गजल गायक और प्लेबैक सिंगर पंकज उधास के निधन की खबर ने सभी को शॉक कर दिया है। 72 साल की उम्र में पंकज उधास ने मुंबई में आखिरी सांस ली है। उन्होंने छह साल की उम्र में संगीत को अपनी दुनिया बना लिया था। गुजरात के आम परिवार से ताल्लुक रखने वाले पंकज उधास (Pankaj Udhas) अपने टैलेंट के दमपर फिल्म इंडस्ट्री का चमकता सितारा बने थे। गजल गायक पंकज उधास की जर्नी काफी शानदार रही है। पंकज उधास ने खुद अपने एक इंटरव्यू में संगीत के सफर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें साझा की थीं।
पंकज उधास ने सीखी नई भाषा
हिन्दी सिनेमा में अपनी अलग पहचान बनाने वाले गजल गायक पंकज उधास का जन्म गुजरात में हुआ था। जिसके चलते पंकज उधास को सिर्फ गुजराती भाषा ही आती थी। इस बारे में बात करते हुए पंकज उधास ने कहा था कि, मैं गुजरात से हूं। तो मेरी मातृभाषा ना हिन्दी थी और ना ही उर्दू। मेरे आस-पास सिर्फ गुजराती बोली जाती थी। लेकिन संगीत के प्रति रुझान लाने में दो चीजों की अहम भूमिका थी। मेरे पिता जब काम से वापस आते थे तो एसराज खेलते थे। उन्हें काफी पसंद था। एक बच्चे के रूप में मेरी भी उसमें दिलचस्पी पैदा हो गई। मेरे भाई ने पहले ही गाना शुरू कर दिया था। जिसकी वजह से मेरी रुचि भी संगीत में होने लगी। कुछ समय बाद वो मेरा पैशन बन गया।
रेडियो ने किया प्रभावित
पंकज उधास के अनुसार, हम राजकोट में रहते थे। तो वहां मुझे कई सिंगर्स को सुनने का मौका मिला। मैंने मुकेश जी, मन्ना दे और तलत महमूद साहब का लाइव कॉन्सर्ट देखा था। मैं उनके कॉन्सर्ट में जाने की जिद करता था। हालांकि मुझे उनके बारे में तब ज्यादा कुछ नहीं पता था। मैं रेडियो से भी काफी प्रभावित हुआ। तो मैं स्कूल से वापस आने के बाद रेडियो सुनता था। कभी-कभी मैं गजलें भी बजा देता था। जिससे संगीत की तरफ मेरी रुचि बढ़ने लगी थी।
मुंबई में सीखी उर्दू
स्कूल पूरा होने के बाद पंकज उधास ने मुंबई के एक कॉलेज में एडमिशन लिया। कॉलेज के साथ उन्होंने उर्दू भाषा सीखनी शुरू कर दी। साथ ही उन्होंने कई उस्तादों से संगीत की तालीम हासिल की। पंकज उधास ने बताया कि, मुझे उर्दू भाषा से प्यार हो गया था। तब लोग गजलें नहीं लिख पाते थे। यह सुनकर मेरा खून खौल जाता था जब लोग कहते थे कि गजलों को उनकी सही जगह नहीं मिली। मैंने इस बात को गलत साबित करने के लिए हर संभव कोशिश की।
पंकज ने दी सक्सेस टिप्स
पंकज उधास ने प्लेबैक सिंगिंग और गजल के बारे में बात करते हुए कहा कि, दोनों एक-दूसरे से काफी अलग हैं। अगर आप पश्चिमी और हिन्दुस्तानी म्यूजिक सीखते हैं तो आपका उससे प्यार करना जरूरी है। हर रोज अभ्यास करना पड़ता है। आपके अंदर वो जज्बा होना चाहिए कि जो भी आप चुनें उसमें खुद को पूरी तरह से झोंक दें। सब्र और दृढ़ विश्वास आपको काफी आगे लेकर जाएगा। आजकल के बच्चे बहुत टैलेंटेड होते हैं। मगर किसी सिंगिंग रिएलिटी शो का हिस्सा बनने के बाद उन्हें लगता है कि वो मंजिल पर पहुंच गए हैं और खुद को निखारना बंद कर देते हैं। जहां से चीजें खराब होने लगती हैं।