Karsandas Mulji: गुजरात हाई कोर्ट ने फिल्म ‘महाराज’ पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं। वाईआरएफ की यह फिल्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज होनी थी। फिल्म में आमिर खान के बेटे जुनैद खान करसनदास मुलजी का किरदार निभा रहे हैं। मुलजी से जुड़े 1862 के एक कानूनी मामले को आखिर क्यों महत्वपूर्ण माना जाता है? इसे विस्तार से जानने की जरूरत है। 21 अक्टूबर 1860 को एक गुजराती अखबार ने हिंदुओं को लेकर एक आर्टिकल पब्लिश किया था। सत्य प्रकाश अखबार में प्रकाशित लेख को करसनदास मुलजी ने लिखा था। जिसमें वैष्णव संप्रदाय के एक धार्मिक नेता के खिलाफ महिला अनुयायियों के शोषण के आरोप लगाए गए थे।
धार्मिक नेता के गुजरात में काफी अनुयायी थे। आरोपों के बाद मुलजी के खिलाफ मानहानि का केस दायर किया गया था। 1862 का ये मामला बॉम्बे में काफी छा गया था। लेकिन काफी वर्ष पुराना ये मामला फिर से ताजा हो गया है। गुजरात हाई कोर्ट ने हाल ही में फिल्म ‘महाराज’ की रिलीज पर रोक लगाई है। फिल्म में धार्मिक नेता का किरदार अभिनेता जयदीप अहलावत ने निभाया है। वहीं, जुनैद खान मुलजी की भूमिका में है। फिल्म के खिलाफ पुष्टिमार्ग संप्रदाय के वल्लभाचार्य के अनुयायियों ने याचिका दायर की थी। जिसके बाद कोर्ट ने आदेश जारी किए हैं। आरोप लगाया गया है कि फिल्म अशांति का माहौल पैदा कर सकती है।
Maharaj – Netflix’s latest Hindumisic attempt – starring Amir Khan’s son
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Ban Maharaj Film pic.twitter.com/FPNNjszifK— shailaja (@RagavendraAmin) June 13, 2024
मानहानि के तौर पर मांगे गए थे 50 हजार रुपये
पूरी फिल्म 1862 के मानहानि मामले की तस्वीर दिखाती है। हिंदू धर्म के अनुयायियों के खिलाफ हिंसा फैल सकती है। 2010 की बात करें तो तत्कालीन गुजरात सीएम और वर्तमान में पीएम मोदी भी मुलजी की तारीफ कर चुके हैं। मोदी ने कहा था कि बॉम्बे के एक प्रमुख समाज सुधारक और पत्रकार करसनदास मुलजी को प्रसिद्ध विद्वान नेता दादाभाई नौरोजी की ओर से मार्गदर्शित किया गया था। मुलजी ने महिलाओं के अधिकारों और सामाजिक सुधारों के लिए लड़ाई लड़ी। जदुनाथजी बृजरतनजी महाराज पर आरोप लगने के बाद मुलजी और नानाभाई रुस्तमजी रानीना के खिलाफ मानहानि केस चला था। महाराज ने कहा था कि मुलजी ने झूठे आरोप लगाकर उनकी छवि को खराब किया है। उन्होंने मानहानि के तौर पर 50 हजार रुपये (अब 82 लाख रुपये) की डिमांड की थी। लेकिन मुलजी ने अपने आरोपों को सही बताया था।
इसके बाद मुलजी का काफी विरोध हुआ था। अमीर लोगों ने सिग्नेचर कैंपेन शुरू किया था। लेकिन बंबई न्यायालय के ब्रिटिश न्यायाधीशों ने सभी दावों को खारिज कर मुलजी को सही ठहराया था। धार्मिक नेता को करसनदास मुलजी को भी 11500 रुपये का भुगतान करने के आदेश कोर्ट ने जारी किए थे। 2010 में मोदी ने कहा था कि समाज सुधारक और पत्रकार करसनदास मुलजी के समाचार पत्र का नाम भी सत्य-प्रकाश था। गुजरात ने हमेशा सच्चाई की लड़ाई लड़ी है। फिल्म ‘महाराज’ अब उसी घटना पर आधारित है। जिसे लेखक सौरभ शाह की किताब से रूपांतरित किया गया है। फिल्म का प्रीमियर 14 जून को था। अब मामले में 18 जून को सुनवाई होनी है।