अश्वनी कुमार: जानते हैं कार्तिक की खूबी क्या है, वो ये कि वो नॉन फिल्मी बैकग्राउंड से उठे हुए सुपरस्टार हैं, जिन्हे देखकर ऐसा लगता है कि नेपोटिज्म से भरी इंडस्ट्री में काबिलियत के दम पर कोई शोहरत हासिल कर सकता है।
प्यार का पंचनामा से लेकर भूलभुलैया2 जैसी हिट्स देने के बाद कार्तिक ने अपने लिए सबसे बड़ी मुश्किल क्या खड़ी की है, वो ये कि वो उन्हीं सुपरस्टार्स की राह पर चलने को बेताब हैं, उसी लीग में अपने आपको फिट करने की कोशिशों में जुटे हैं, जिनके लिए ऑडियंस नेपोटिज्म वाले स्टार्स को नकार रही है।
दूसरे स्टार्स से हो रहा कार्तिक का कंपैरिजन
भूलभुलैया 2 के बाद कार्तिक आर्यन को आज के जमाने के सुपरस्टार के तौर पर गिना जाने लगा है, लेकिन इसके साथ, वो ऐसी कहानियां चुनने लगे हैं, जिनसे उन्हें दूर रहना चाहिए। भले ही कार्तिक कहें कि वक्त-वक्त पर उनका कंपैरिजन दूसरे स्टार्स से होता ही रहता है, लेकिन सच ये है कि जब भी वो रीमेक या ऐसी किसी फिल्म को हाथ लगाएंगे, जिससे किसी और दूसरे स्टार का नाम जुड़ा है… तब-तब ऐसा होने से कोई रोक भी नहीं सकता।
फिल्म वैकुंठप्रेमुलु का रीमेक है शहजादा
शहजादा के साथ भी ये मुश्किल है, जो 2020 में रिलीज हुई अल्लू अर्जुन और पूजा हेगड़े की सुपरहिट फिल्म वैकुंठप्रेमुलु का रीमेक है।
ये रीमेक भी ऐसा, जिसकी कहानी को डायरेक्टर रोहित धवन ने कार्तिक आर्यन की ईमेज को ध्यान में रखकर एडॉप्ट किया है, तो जहां तक शहजादा, वैकुंठप्रेमुलु के ट्रैक पर चलती है, वहां तक तो फिर भी फिल्म देखने में मजा आता है, लेकिन जहां-जहां कार्तिक के किरदार के लिए फिल्म में बदलाव किए गए हैं… वो हिस्सा पूरी तरह से ढह गया है।
फिल्म में कृति सेनन के साथ हुई नाइंसाफी
रोहित धवन ने शहजादा में कार्तिक के ट्रेडमार्क स्टाइल में एक मोनोलॉग भी ऐड किया है, लेकिन नॉनस्टॉप नहीं, कट्स के साथ… उस पर आप जरा सा मुस्कुरा सकते हैं। फिल्म में सबसे बड़ी नाइंसाफी कृति सेनन के साथ हुई है, उनके कैरेक्टर ट्रैक को सिर्फ खूबसूरत गुड़िया की तरह पेश किया गया है। कृति के पास सिर्फ 2 सीन्स हैं, जिसमें उन्हें सोलो डॉयलॉग्स मिले हैं, वरना वो पूरी फिल्म में सिर्फ प्रॉप बनी नजर आई हैं।
शहजादा और वैकुंठप्रेमुलु की कहानी बिल्कुल एक सी
शहजादा की कहानी और वैकुंठप्रेमुलु की कहानी बिल्कुल एक सी है, यानि वाल्मिकी जो गरीब है, जिंदल्स जो अमीर हैं…. दोनों को एक ही दिन एक ही हॉस्पिटल में बेटा होता है। जिंदल के बेटे की सांसें कुछ लम्हों के लिए थम जाती है, तो नर्स को बेवकूफ बनाकर वाल्मिकी अपने बेटे को जिंदल के बेटे से रिप्लेस कर देता है।
लेकिन कमरे से बाहर आते ही जिंदल के बेटे की सांसे लौटती हैं, तो अपने बेटे का राज़ छिपाने के लिए वाल्मिकी नर्स को हॉस्पिटल के बिल्डिंग से नीचे फेंक देता है, और वो 25 साल के लिए कोमा में चली जाती है।
शहजादा बना घूम रहा
अब बंटू जो असल में सुपर रिच जिंदल फैमिली से है, वो वॉल्मिकी के घर गरीबों की तरह पल रह है और राज, जो वाल्मिकी का बेटा है, वो शहजादा बना घूम रहा है। कट टू, 25 साल बाद… बिल्कुल वैसा ही होगा, जो फिल्मों में होता है कि बंटू को हकीकत पता चलेगी और वो अपने अपने घर में वापस लौट कर उनकी जिंदगी में शामिल होगा।
बंटू का फुल ऑन एक्शन
कुल मिलाकर शहजादा की कहानी इतनी ही है, लेकिन इसमें थोड़ा ट्विस्ट है कि वाल्मिकी के अलावा, फिल्म में एक और विलेन है, जो जिंदल्स के कार्गों में, बच्चों के खिलौनों के अंदर छिपाकर ड्रग्स की सप्लाई करते हैं। जिंदल्स को इस मुसीबत से बचाने के लिए बंटू का फुल ऑन एक्शन है।
कहानी की सबसे बड़ी कमी
कहानी की सबसे बड़ी कमी है ये कि फिल्म में दिखाया गया है कि गरीब का बेटा, राजाओं सी परवरिश और पढ़ाई के बाद भी बेवकूफ ही रहता है और राजा का बेटा, गरीब के घर पलकर भी राजा ही रहता है। अब वैकुंठप्रेमुलु में आपको ये खामी, अल्लू अर्जुन के स्वैग के सामने छिपती सी दिखे, लेकिन शहजादा में ये खुलकर नजर आती है।
निगेटिव प्वाइंट
शहजादा का सबसे बड़ा निगेटिव प्वाइंट है इसके गाने। मेरे सवाल का और छेड़खानियां तो आप फिर भी सुन सकते हैं, लेकिन मुंडा सोना, कैरेक्टर ढीला 2 बहुत ज़्यादा ढीले ट्रैक हैं। फिर शहजादा का टाइटल ट्रैक तो सिर दर्द के लिए काफी है।
कार्तिक आर्यन ने की है बहुत मेहनत
शहजादा को सल्तनत को डायरेक्टर रोहित धवन ठीक से संभाल नहीं पाए हैं, उन्होंने कहानी में और किरदारों में जो चेंजेस किए हैं, वो बहुत ज़ोर से खटकते हैं। बाकी बात परफॉरमेंस की करें, तो इस फिल्म के लिए कार्तिक आर्यन ने मेहनत तो बहुत की है, लेकिन वो काम नहीं आई है और अल्लु अर्जुन के मुकाबले तो बिल्कुल नहीं।
मिली के बाद कृति सेनन ने साबित किया है कि वो कमाल की एक्ट्रेस हैं, इतने कमजोर किरदार के लिए उन्होंने हामी कैसे भरी ये भी एक पहेली है।
शहजादा को 2.5 स्टार
वाल्मिकी के किरदार में परेश रावल जैसा मंझा हुआ किरदार भी कुछ खास असर नहीं छोड़ पाता। फिल्म का सेविंग ग्रेस हैं मनीषा कोईराला और रोनित रॉय। अगर आपने वैकुंठप्रेमुलु देखी है, तो शहजादा आपके लिए कतई नहीं है। अगर नहीं, तो फिर टाइम पास के लिए इसे देख सकते हैं, शहजादा को 2.5 स्टार हैं।
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