What is Kawasaki Disease: स्टैंडअप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी ने हाल ही में अपने बेटे की बीमारी के बारे में बात की है। उन्होंने हाल ही में यूट्यूब पर एक पॉडकास्ट में बताया है कि उनके बेटे को कावासाकी बीमारी थी। ये बीमारी इतनी खतरनाक है, कि इसका एक इंजेक्शन 25 हजार रुपए का आता है। आखिर क्या है ये बीमारी और इसके लक्षण, इलाज क्या होते हैं, चलिए आपको बताते हैं।
कावासाकी जैसी बीमारी का नाम लोगों के लिए नया और थोड़ा अनोखा है। आपको बता दें ये एक बुखार वाली बीमारी है, जो 5 साल से कम उम्र के बच्चों को होती है। ध्यान न दिया जाए, तो सबसे पहले इसका असर दिल पर होता है। आइए जानते हैं क्या होती है कावासाकी बीमारी, इसके लक्षण और बचाव के बारे में।
क्या होती है कावासाकी बीमारी?
ये एक दुर्लभ बीमारी है। इसमें सर्दी के दिनों में बच्चों की ब्लड वेसेल्स में सूजन आ जाती है , जिसे वास्कुलिटिस कहा जाता है। ऐसा होने पर इनके फटने का खतरा बना रहता है। इसमें शरीर में खून की कमी हो जाती है, जिससे सभी अंगों को जरूरी पोषण नहीं मिल पाता। इस रोग का खतरा 6 महीने से 5 साल तक की उम्र के बच्चों में ज्यादा होता है। अमेरिका के नेशनल सेंटर फॉर बायोटेक्नोलॉजी इंफॉर्मेशन के मुताबिक ये बीमारी छोटी आर्टरी को सबसे ज्यादा प्रभावित करती है, जिससे बच्चों को हार्ट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
कावासाकी रोग के लक्षण क्या?
इस घातक बीमारी के लक्षणों की बात करें तो उनमें पांच दिन तक बुखार बने रहना, आंखों में लाल या गुलाबीपन आना, पेट में खराबी या पेट दर्द, बच्चों के होठों या जीभ का लाल होना
हाथ और पैरों में सूजन, मुंह में छाले, चमड़ी निकलना जैसे लक्षण शामिल हैं।
कावासाकी रोग का कारण तो अब तक पता नहीं चल पाया है, लेकिन सर्दियों और वसंत के मौसम में इसके मामले सबसे ज्यादा देखने को मिलते हैं। ये बीमारी खतरनाक है, लेकिन संक्रामक नहीं। ये एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलती।
कावासाकी में IVIG की भूमिका
आईवीआईजी एक जैविक एजेंट है, जिसका इस्तेमाल कावासाकी बीमारी के इलाज में किया जाता है। ये एक सेफ ट्रीटमेंट है। आईवीआईजी इंसान के सीरम से बनती है। इसे बनाने के लिए लोगों के खून का एक हिस्सा अलग किया जाता है, जो कई बीमारियों से लड़ सकता है। दरअसल 20 फीसदी मरीजों को कोरोनरी आर्टरी में सूजन आती है, जिससे ब्लड क्लॉट के साथ मरीज की मौत भी हो जाती है। इससे बचने के लिए ही आईवीआईजी का उपयोग होता है। इसका इंजेक्शन काफी महंगा होता है। इस इंजेक्शन की कीमत बच्चे के वजन के हिसाब से तय होती है। छोटे बच्चों का वजन कम होता है, इसलिए इंजेक्शन सस्ता पड़ता है। जबकि बड़े बच्चों के लिए ये दवा महंगी पड़ती है।
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