चित्रांगदा सिंह ने हाल ही में हिंदी फिल्म इंडस्ट्री में अपने 20 साल पूरे किए हैं। इतने सालों बाद भी वह नए तरह के किरदारों और काम को लेकर उत्साहित हैं। पिछले महीने उन्होंने नीरज पांडे की वेब सीरीज खाकी: द बंगाल चैप्टर से अपना ओटीटी डेब्यू किया। जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने इस फॉर्मेट में आने में इतना समय क्यों लिया, तो चित्रांगदा ने साफ कहा कि इसकी वजह पहले उन्हें मिले खराब लेखन थे।
ओटीटी में देरी की वजह कमजोर लेखन
जब उनसे पूछा गया कि उन्होंने ओटीटी पर आने में इतना समय क्यों लिया, तो उन्होंने बताया कि पहले जो स्क्रिप्ट्स उन्हें मिलती थीं, वे अच्छी नहीं होती थीं। इसीलिए उन्होंने इस फॉर्मेट से दूरी बनाए रखी थी। चित्रांगदा मानती हैं कि वेब सीरीज में सफलता के लिए कहानी और लेखन बहुत अहम होता है। क्योंकि ये सिर्फ एक किरदार की कहानी नहीं होती, बल्कि कई किरदारों की आपसी कहानी होती है। सबका ग्राफ और गहराई मिलकर ही पूरी सीरीज को मजबूत बनाते हैं।
ओटीटी पर नहीं होता कोई सहारा
वह कहती हैं कि वेब सीरीज में न गानों का सहारा होता है और न ही स्लो मोशन शॉट्स का। यह फॉर्मेट पूरी तरह से स्क्रिप्ट, अभिनय और डायरेक्शन पर टिका होता है। फीचर फिल्मों में अब सब कुछ बहुत जल्दी-जल्दी होता है और कंटेंट से ज्यादा ध्यान स्लो मोशन शॉट्स पर दिया जाता है।
चित्रांगदा को पहले भी कई वेब सीरीज के ऑफर मिले थे, लेकिन उन्हें स्क्रिप्ट्स अच्छी नहीं लगीं। इसी वजह से उन्होंने वेब स्पेस से दूरी बनाए रखी थी। वेब फॉर्मेट एक कठिन माध्यम है जिसमें लगातार अच्छा प्रदर्शन करना आसान नहीं होता।
‘खाकी’ में मिला वैसा ही अनुभव जैसा पहली फिल्म में
‘खाकी’ में काम करते हुए उन्हें वही आजादी और एक्सप्लोरेशन का मौका मिला जो उनकी पहली फिल्म ‘हजारों ख्वाहिशों ऐसी’ में मिला था। वह कहती हैं कि उन्हें जटिल और इंसानी कमजोरियों से भरे किरदार पसंद हैं। ‘खाकी’ में उन्होंने नेता प्रतिपक्ष का रोल निभाया है, जो अपने भीतर दर्द, महत्वाकांक्षा, प्यार और आदर्शों की लड़ाई लड़ती है।
चित्रांगदा चाहती हैं कि भविष्य में उनके लिए और ऐसे किरदार लिखे जाएं। वे कहती हैं कि वेब सीरीज में कलाकार को अपने किरदार को समझने और निभाने का ज्यादा समय मिलता है, जो किसी भी एक्टर के लिए परफॉर्म करने का बेहतरीन मौका होता है। अब जब उन्होंने ओटीटी की दुनिया का अनुभव ले लिया है, तो वे आगे भी उसी स्तर के दमदार कंटेंट की तलाश में रहेंगी।