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Sholay 50 Years: रिलीज के 50 साल बाद कैसे दिखते हैं शोले के शूटिंग लोकेशंस? रामगढ़ की एक्सक्लूसिव तस्वीरें

50 Years Of Sholay shooting location exclusive pictures: धर्मेंद्र, अमिताभ, हेमा मालिनी और अमजद खान अभिनीत फिल्म शोले के निर्देशक रमेश सिप्पी ने अपनी कहानी कहने के लिए बैंगलोर-मैसूर राजमार्ग पर स्थित रामनगरम के एक छोटे से गांव को चुना तो उन्होंने शायद ही सोचा होगा कि कर्नाटक सरकार उनकी बनाई फिल्म के शूटिंग स्पॉट देखने के लिए आने वाले लोगों से कमाई करेगी। देखें, कर्नाटक के रामनगरम से बिजय सिंह की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Vijay Jain Updated: Aug 15, 2025 13:10
sholey 50 years
कर्नाटक के इसी गांव में 50 साल पहले हुई थी शोले की शूटिंग। तस्वीरें- न्यूज24

50 Years Of Sholay shooting location exclusive pictures: कल्ट क्लासिक फिल्म शोले 1975 में आज के दिन ही रिलीज हुई थी। 50 साल बाद कर्नाटक सरकार उस जगह पर जाने के लिए प्रति व्यक्ति 25 रुपये ले रही है, जहां फिल्म शोले की ज़्यादातर शूटिंग हुई थी। चाहे वो पत्थर हो, जिसपर गब्बर (अमजद खान) फिल्म में धांसू एंट्री मारता है या तो कांच के टुकड़े वाली चट्टानें, जिन पर हेमा (बसंती) मालिनी को नाचने के लिए मजबूर किया जाता है और कई अन्य पत्थर जो उस कल्ट क्लासिक फिल्म के कारण अमर हो गए।

50 साल बाद भी लोकेशंस पर उमड़ते फैंस

शोले की लोकेशंस पर 50 साल बाद आज फिल्म शोले से जुड़ा कुछ भी नहीं है, बिल्कुल भी नहीं। घनी जंगली झाड़ियां, कंटीली झाड़ियां, पथरीला इलाका और चट्टानें ही फिल्म के एकमात्र ‘अभिनेता’ हैं। अक्सर चरवाहों को अपने जानवरों की देखभाल करते और भेड़ों को चराते हुए देखा जा सकता है, लेकिन फिर भी, यहां बहुत से लोग उस जगह को देखने आते हैं जहां फिल्म की शूटिंग हुई थी।

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क्या कहते हैं टिकट विक्रेता?

पहाड़ी इलाके की तलहटी में बने काउंटर पर टिकट विक्रेता ने न्यूज़24 को बताया, किसी भी दिन 50-60 लोग इस इलाके को देखने के लिए टिकट खरीदते हैं। अपनी पुस्तिका से एक टिकट फाड़ते हुए उसने कहा, वीकेंड पर यहां आने वालों का आंकड़ा 250 पार तक चला जाता है। यह टिकट इस इलाके में स्थित देश के एकमात्र गिद्ध अभयारण्य में एंट्री के लिए है। इसे खरीदे बिना कोई भी शोले की शूटिंग लोकेशंस नहीं देख सकता। सेट बनाने में दो साल लगे थे और बाद में 1973 में फिल्म की शूटिंग शुरू हुई। फिल्म पूरी होने के बाद रामगढ़ का पूरा सेट हटा दिया गया।

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50 साल बाद कैसी हैं लोकेशंस?

बैंगलोर-मैसूर राजमार्ग पर स्थित रामनगरम के एक छोटे से गांव में बहुत ही जानी-पहचानी चट्टानों और जंगली पहाड़ी इलाकों के अलावा फिल्म के निर्माण का कोई निशान नहीं बचा है। गब्बर के अड्डे तक पैदल जाना पड़ता है। रामनगरम रेलवे स्टेशन से लगभग 10 किलोमीटर दूर स्टेट हाइवे 3 के पास गब्बर का अड्डा है। इस मुख्य शूटिंग स्पॉट को आज रामदेवरा बेट्टा हिल्स के नाम से जाना जाता है। यह जगह निश्चित तौर पर फैंस को खींचती है।

क्या कहते हैं शूटिंग लोकेशंस की विजिट पर आए फैंस

काम की तलाश में कर्नाटक आए ओडिशा के संबलपुर से चौबीस वर्षीय दमन साहू को जैसे ही उन्हें बेंगलुरु से दूर जाने का काम मिला, वे रामनगरम, रामगढ़ में उस जगह पर आ गए जिसे उन्होंने फिल्म में देखा था। न्यूज़24 से बातचीत में उन्होंने कहा, “अब मैं खुशी-खुशी नौकरी के लिए चन्नपटना जा सकता हूं।”

बेंगलुरु से अपने दोस्तों के साथ आए 25 वर्षीय आईटी पेशेवर एम अबरार ने कहा कि उन्हें पूरी फिल्म, कहानी, दृश्य और संवाद पसंद आए, लेकिन सबसे ज़्यादा उन्हें फिल्म में दिखाई गई दोस्ती का बंधन पसंद आया। सुगुनाहल्ली के पास के एक ऑटोरिक्शा चालक नारायण गौड़ा ने याद करते हुए बताया कि शूटिंग के दौरान वह अपने परिवार को बताए बिना चुपके से देखने आ जाते थे और क्रू की मदद भी करते थे।

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यहां भक्ति से ज्यादा गब्बर और वीरू के डायलॉग

पहाड़ी इलाके में स्थित श्री हनुमान मंदिर के एक युवा पुजारी किरण कुमार ने बताया कि लोग ट्रैकिंग और शोले के मशहूर डायलॉग्स की रील शूट करने दोनों ही तरह के कामों के लिए आते हैं। यहां लोग भक्ति गीत गाने से ज़्यादा गब्बर और वीरू के डायलॉग रटते हैं। नारायण कहते हैं कि गब्बर का अड्डा यहां आने वाले लोगों में सबसे पसंदीदा हैं, क्योंकि वह रोज़ाना चार-पांच चक्कर लगाकर लोगों को बस स्टैंड से लगभग दो-तीन किलोमीटर दूर ले जाते हैं। एक और ऑटो ड्राइवर वेंकटेश पर्यटकों को लाने के लिए फिल्म का शुक्रिया अदा करता है। शोले की बदौलत यहां ज़्यादा लोग आते हैं, हमारी कमाई बढ़ती है।”

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असली गांववालों ने निभाई है भूमिका

रामनगरम के बुज़ुर्ग सत्यनारायण के अनुसार, कई गांव वालों ने फिल्म में हिस्सा लिया और छोटी-मोटी भूमिकाएं निभाईं और फिल्म का हिस्सा बने। कई लोगों ने कुछ अतिरिक्त पैसे कमाए और कुछ को बाद में फिल्म उद्योग में काम मिल गया। जब उनसे पूछा गया कि क्या वे बड़े सितारों से मिल सकते थे तो उन्होंने कहा, अभिनेताओं से मिलना ज़्यादा मुश्किल नहीं था।” गांव के कई लोग आज भी अपनी यादों को ताज़ा करने के लिए इकट्ठा होकर फिल्म देखते हैं, और वे सदियों से ऐसा करते आ रहे हैं।

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First published on: Aug 15, 2025 11:45 AM

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