भारत में हर साल यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा का आयोजन किया जाता है। इसे भारत की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक माना जाता है। इस परीक्षा में सफलता हासिल करने वाले उम्मीदवारों का सपना होता है कि वे आईएएस (IAS) या आईपीएस (IPS) का पद हासिल करें। हालांकि, यह पद हासिल करना इतना आसान नहीं है। हर साल लाखों उम्मीदवार सिविल सेवा परीक्षा में शामिल होते हैं, लेकिन चंद उम्मीदवारों को ही यह पद प्राप्त होता है। वहीं, आज कल बहुत से उम्मीदवार आईएएस के बजाय आईपीएस के पद को ज्यादा प्राथमिकता देते हैं। हालांकि, अगर आप भी आईपीएस बनना चाहते हैं, तो बता दें कि आईपीएस का पद हासिल करना बहुत कठिन है। इसके लिए आपको परीक्षा पास करने से लेकर कठोर ट्रेनिंग से गुजरना पड़ेगा। आप यहां आईपीएस बनने के बारे में विस्तार से जान सकते हैं।
1. यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा:
IPS अधिकारी बनने का पहला कदम संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा पास करना है। यह परीक्षा तीन चरणों में होती है:
– प्रीलिम्स परीक्षा: यह ऑब्जेक्टिव टाइप की परीक्षा होती है।
– मेंस परीक्षा: यह परीक्षा डिस्क्रिप्टिव प्रश्नों पर आधारित होती है।
– इंटरव्यू : यह अभ्यर्थी के व्यक्तित्व और ज्ञान का मूल्यांकन करता है।
इन तीनों चरणों में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले उम्मीदवारों को उनकी रैंक के आधार पर IPS सेवा के लिए चुना जाता है।
2. फाउंडेशन कोर्स (LBSNAA, मसूरी):
चयनित IPS उम्मीदवारों को पहले लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA), मसूरी में तीन महीने के फाउंडेशन कोर्स में भाग लेना होता है। इस कोर्स में:
– संविधान, प्रशासनिक नैतिकता और लोक सेवा से जुड़े विषयों की पढ़ाई होती है।
– शारीरिक प्रशिक्षण, योग और घुड़सवारी जैसी गतिविधियों पर भी ध्यान दिया जाता है।
3. फेज-I ट्रेनिंग (SVPNPA, हैदराबाद):
फाउंडेशन कोर्स के बाद, उम्मीदवार सरदार वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय पुलिस अकादमी (SVPNPA), हैदराबाद में 11 महीने की ट्रेनिंग प्राप्त करते हैं। यहां:
– कानून, साइबर क्राइम, फॉरेंसिक साइंस और आतंकवाद जैसे विषयों की पढ़ाई होती है।
– यहां हथियारों का संचालन, परेड और फिजिकल ट्रेनिंग पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
4. जिला प्रैक्टिकल ट्रेनिंग:
SVPNPA में ट्रेनिंग के बाद, अपरेंटिस को उनके अलॉटेड कैडर राज्य में छह महीने की फील्ड ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता है। इस दौरान वे:
– FIR दर्ज करना, जांच प्रक्रिया और भीड़ नियंत्रण जैसे वास्तविक पुलिसिंग कार्यों का अनुभव प्राप्त करते हैं।
5. फेज-II ट्रेनिंग (SVPNPA, हैदराबाद):
फील्ड ट्रेनिंग के उपरांत, ट्रेनी एक महीने की फेज-II ट्रेनिंग के लिए SVPNPA लौटते हैं। यह चरण:
– पिछले अनुभवों की समीक्षा और विश्लेषण पर केंद्रित होता है।
– इस दौरान डिसिजन मेकिंग स्किल, प्रॉब्लम सॉल्विंग मैनेजमेंट और स्पेशल पुलिस यूनिट के कार्यों की ट्रेनिंग प्रदान की जाती है।
6. ट्रेनिंग के दौरान जीवनशैली:
ट्रेनिंग अवधि में:
– कठोर शारीरिक प्रशिक्षण, हथियारों का अभ्यास और मानसिक तनाव प्रबंधन पर जोर दिया जाता है।
– ट्रेनी को मासिक 35,000 से 40,000 रुपये तक का स्टाइपेंड दिया जाता है।
7. पहली पोस्टिंग:
पूरी ट्रेनिंग के बाद, ट्रेनी को सहायक पुलिस अधीक्षक (ASP) के रूप में पहली नियुक्ति मिलती है। अनुभव और प्रदर्शन के आधार पर, वे पुलिस अधीक्षक (SP), उप महानिरीक्षक (DIG), महानिरीक्षक (IG) आदि पदों पर प्रमोट होते हैं।
इस प्रकार, एक IPS अधिकारी बनने की यात्रा कठिन परिश्रम, समर्पण और निरंतर सीखने की मांग करती है, लेकिन यह समाज की सेवा करने का एक सम्मानजनक और प्रभावशाली मार्ग प्रदान करती है।