अगर आप ध्यान से देखेंगे, तो पाएंगे कि लाल, नीला, हरा, पीला, काला और सफेद रंग लगभग सभी देशों के झंडों में दिख जाता है। लेकिन क्या आपने कभी ऐसा झंडा देखा है जिसमें बैंगनी रंग हो? शायद नहीं! क्या आपने कभी सोचा है कि दुनियाभर के झंडों में बैंगनी रंग क्यों नहीं है? दरअसल, इसके पीछे बेहद खास वजह है,जो आपको थोड़ी मजेदार भी लग सकती है।
इतिहास में बैंगनी रंग की दुर्लभता
आज कल बैंगनी रंग आसानी से मिल जाता है, लेकिन इतिहास में यह एक बहुत महंगा रंग था। इसे नेचुरल रूप से बनाना बहुत कठिन था और यह सिर्फ अमीर राजाओं और सम्राटों के पास होता था।
राजा-महाराजाओं के कपड़ों में होता था इस्तेमाल
प्राचीन समय में बैंगनी रंग को एक खास प्रकार के समुद्री घोंघे से निकाला जाता था। इन घोंघों की हजारों की संख्या की जरूरत होती थी, ताकि एक छोटे कपड़े को बैंगनी रंग से रंगा जा सके। इस कारण यह रंग बहुत महंगा था, और इसे केवल राजाओं और उच्च वर्ग के लोगों के वस्त्रों पर इस्तेमाल किया जाता था।
इस कारण से झंडों में नहीं इस्तेमाल हुआ बैंगनी रंग
वहीं, जब किसी देश का झंडा डिजाइन किया जाता था, तो उसे बड़े पैमाने पर बनाना होता था। बैंगनी रंग का इस्तेमाल करना बहुत महंगा होता, इसलिए ज्यादातर देशों ने सस्ते और आसानी से मिलने वाले रंगों का चुनाव किया, जैसे कि लाल, नीला, हरा, पीला और सफेद। यही कारण है कि ये रंग ज्यादातर देशों के झंडों में होते हैं।
सिर्फ 2 देशों के झंडे में बैंगनी रंग
हालांकि, दो देशों के झंडों में बैंगनी रंग पाया जाता है। डोमिनिका का झंडा ‘सिस्सेरू तोता’ दिखाता है, जो हरे और बैंगनी रंग में होता है। इसके अलावा, निकारागुआ के झंडे में एक इंद्रधनुष है, जिसमें हल्का बैंगनी रंग शामिल है।
आजकल बैंगनी रंग बनाना आसान और सस्ता हो गया है। यह रंग अब आमतौर पर कपड़ों और स्कूल बैग्स में पाया जाता है। अगर कोई नया देश आज के समय में अपना झंडा डिजाइन करता है, तो संभावना है कि बैंगनी रंग का इस्तेमाल भी उसमें हो। फिर भी, ऐतिहासिक कारणों से बैंगनी रंग झंडों में अभी भी दुर्लभ है।