Dunzo के को-फाउंडर और सीईओ कबीर बिस्वास ने एक समय व्हाट्स्एप ग्रुप को 6,400 करोड़ रुपये की कंपनी में बदल दिया था। इसके पहले खबरें आईं थीं कि उनकी कंपनी डंजो कर्मचारियों की छंटनी कर रहा है और उनकी सैलरी भी कम कर रहा है। स्टार्टप को संभालने के लिए पैसों की कमी भी हुई थी। आईये जानते हैं कि आखिर कौन हैं कबीर बिस्वास और एक समय बड़ी सफलता मिलने के बाद अब क्या है उनकी कंपनी की हालत।
कबीर बिस्वास एक कंप्यूटर साइंस इंजीनियर हैं। उन्होंने मुंबई यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन किया है। उन्होंने एमबीए की पढ़ाई की है। इसके पहले उन्होंने सिलवासा में एक प्लास्टिक फैक्ट्री में भी काम किया है। उन्होंने अपनी खुली कंपनी हॉपर की स्थापना की। बेंगलुरु में उन्होंने अंकुर अग्रवाल, दलवीर सूरी और मुकुंद झा के साथ मिलकर डंज़ो की शुरुआत की।
इसके बाद इसका कारोबार मुंबई और दिल्ली समेत देश के कई शहरों में फैल गया। यह प्लेटफॉर्म ब्लिंकिट और स्विगी इंस्टामार्ट से पहले से किराने का सामान और अन्य वस्तुओं की डिलीवरी करता था। बिस्वास ने 2014 में हाइपरलोकल एप्लिकेशन बेस्ड सर्विस के रूप में डंजो की शुरुआत की थी। डंजो ने 2021 में रोजमर्रा की जरूरी चीजों के लिए डंजो डेली की शुरुआत की।
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मुकेश अंबानी की हिस्सेदारी
डंजो में देश के सबसे बड़े बिजनेसमैन मुकेश अंबानी (Mulesh Ambani) की कंपनी रिलायंस रिटेल की 25 प्रतिशत से अधिक हिस्सेदारी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जनवरी 2022 में डंजो में मुकेश अंबानी की रिलायंस रिटेल की अगुवाई वाले फंडिंग राउंड में कबीर बिस्वास की स्टार्टअप को 24 करोड़ डॉलर मिले। रिलायंस ने 20 करोड़ डॉलर के बदले 25.8 प्रतिशत स्टेक लिया था।
1,800 करोड़ रुपये का घाटा
डीएनए की एक रिपोर्ट के मुताबिक डंजो की शुरुआत एक व्हाट्सएप ग्रुप के रूप में हुई थी जहां ग्राहक अपने ऑर्डर पोस्ट करते थे। कंपनी का शहरों में ज्यादा विस्तार हुआ। रिलायंस ने उनकी कंपनी में 20 मिलिनय डॉलर का निवेश किया। टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक इस निवेश से डंजो का मूल्यांकन 775 मिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक) हो गया। यह करीब 6400 करोड़ रुपये है। यह स्टार्टअप पिछले साल से अच्छा प्रदर्शन नहीं कर रहा है और हाल ही में इसने FY23 में 1,800 करोड़ रुपये का घाटा दर्ज किया है, जो पिछले वर्ष की तुलना में 288% अधिक है। डंजो वर्तमान में नकदी की कमी से जूझ रहा है।
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