भारत धर्म और आस्था का केंद्र है। यहां श्री राम जन्मभूमि मंदिर से लेकर पद्मनाभस्वामी मंदिर तक कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं, जो देश और राज्यों के लिए आर्थिक महाशक्ति के तौर पर सामने आए हैं। इन मंदिरों के पास अकूत खजाना है। साथ ही यह हर साल लाखों-करोड़ों भक्तों को आकर्षित करते हैं, जिससे स्थानीय बाजार को बूस्ट और अर्थव्यवस्था को सहारा मिलता है। चलिए जानते हैं कि आस्था के केंद्र हमारे मंदिर कितने अमीर हैं और टैक्स के रूप में सरकारी खजाने में कितना योगदान देते हैं।
श्री राम जन्मभूमि
अयोध्या स्थित राम मंदिर भगवान राम के भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। यहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। राम मंदिर के निर्माण और प्रबंधन के लिए गठित श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने पिछले पांच सालों में सरकार को करीब 400 करोड़ रुपये का टैक्स दिया है। ट्रस्ट के सचिव चंपत राय के अनुसार, यह राशि 5 फरवरी 2020 से 5 फरवरी 2025 के बीच दी गई है। 400 करोड़ के टैक्स में से 270 करोड़ रुपये तो अकेले वस्तु एवं सेवा कर (GST) ही है। पिछले साल, 16 करोड़ से ज्यादा टूरिस्ट अयोध्या गए थे, जिसमें से 5 करोड़ ने राम लला के दर्शन किए। महाकुंभ के दौरान भी 1.26 करोड़ श्रद्धालुओं ने अयोध्या का दौरा किया। चंपत राय ने यह भी बताया कि ट्रस्ट ने 5 फरवरी, 2020 को ट्रस्ट के गठन के बाद पिछले पांच वर्षों में राम मंदिर निर्माण के लिए अब तक कुल 2,150 करोड़ रुपये खर्च किए हैं।
तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTS)
आंध्र प्रदेश का तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTS)देश का सबसे अमीर मंदिर ट्रस्ट है। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के अनुसार, TTS वित्त वर्ष 2025 में अपनी 4,774 करोड़ रुपये की वार्षिक आय पर 1.5 प्रतिशत से कम वस्तु एवं सेवा कर यानी GST का भुगतान करेगा। तिरुपति मंदिर ने वित्त वर्ष 2017 में 14.7 करोड़ रुपये का GST, वित्त वर्ष 2022 में 15.58 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2023 में 32.15 करोड़ रुपये का जीएसटी भरा था। ट्रस्ट की कमाई कई तरह से होती है। इसमें भगवान पर चढ़ने वाला चढ़ावा, प्रसाद और दर्शन टिकट आदि शामिल हैं। एक अनुमान के मुताबिक, मंदिर को 600 करोड़ रुपये की कमाई सिर्फ प्रसाद से होती है। रिपोर्ट्स की मानें तो मंदिर ट्रस्ट के पास करीब 11,329 किलो सोना है।
वैष्णो देवी
जम्मू के कटरा में स्थित वैष्णो देवी मंदिर भी देश के अमीर मंदिरों में शुमार है। मंदिर ने वित्त वर्ष 24 में 683 करोड़ रुपये कमाए, जिनमें से 255 करोड़ रुपये चढ़ावे से आए, जो टैक्स-फ्री है। जबकि अन्य 133.3 करोड़ रुपये ब्याज से आए। वैष्णो देवी ट्रस्ट की आय वित्त वर्ष 2017 में 380 करोड़ रुपये थी। बता दें कि हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु वैष्णो देवी जाते हैं। सुविधाओं में लगातार सुधार होने के चलते यहां पहुंचने वाले भक्तों की संख्या बढ़ती जा रही है।
श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर
तिरुवनंतपुरम स्थित श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर भी देश के अमीर मंदिरों में शामिल है। नवंबर 2024 में मंदिर को बकाया टैक्स भुगतान के लिए नोटिस भेजा गया था। श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के पास अकूत दौलत है और हर साल चढ़ावे से ही उसकी काफी कमाई होती है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, 7 साल की अवधि के लिए GST डिमांड केवल 1.57 करोड़ रुपये की थी, जो मंदिर की कमाई के हिसाब से कुछ भी नहीं है।
इन मंदिरों की संपत्ति दोगुनी
मंदिरों का विस्तृत वित्तीय विवरण सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है। हालांकि, मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत के दो सबसे बड़े मंदिर ट्रस्टों ने पिछले सात वर्षों में अपनी संपत्ति दोगुनी कर ली है। तिरुपति ट्रस्ट का बजट वित्त वर्ष 2017 में 2,678 करोड़ रुपये से बढ़कर वित्त वर्ष 2025 में 5,145 करोड़ रुपये हो गया है। इसी तरह, वैष्णो देवी ट्रस्ट की आय वित्त वर्ष 17 में 380 करोड़ से बढ़कर वित्त वर्ष 24 में 683 करोड़ रुपये हो गई है।
बढ़ रहा GST योगदान
जैसे-जैसे मंदिरों का राजस्व बढ़ा है, वैसे-वैसे उनका GST योगदान भी बढ़ा है। उदाहरण के लिए, तिरुपति मंदिर के कर भुगतान में पिछले कुछ वर्षों में वृद्धि हुई है। संसद में प्रस्तुत विवरण के अनुसार, वित्त वर्ष 2017 में मंदिर ने जीएसटी के रूप में 14.7 करोड़ का भुगतान किया, जो वित्त वर्ष 2022 में बढ़कर 15.58 करोड़, वित्त वर्ष 2023 में 32.15 करोड़ और वित्त वर्ष 2024 में 32.95 करोड़ हो गया। इसी तरह, श्री पद्मनाभस्वामी की जीएसटी लायबिलिटी सात सालों के लिए 1.57 करोड़ रुपये तय की गई है।
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