Tax on Gold While Buying or Selling : सोने पर मिल रहे रिटर्न को लेकर काफी लोग उत्साहित हैं। इस कारण से इसमें काफी लोग इन्वेस्ट भी कर रहे हैं। कोई फिजिकल गोल्ड खरीद रहा है तो कोई डिजिटल गोल्ड में इन्वेस्ट कर रहा है। निवेश कैसे भी हो, जब भी आप गोल्ड खरीदते या बेचते हैं तो आपको इस पर टैक्स चुकाना होता है।
फिजिकल गोल्ड खरीदने पर देने होते हैं ये टैक्स
किसी भी ज्वेलर से जब आप सोने की ज्वेलरी, बिस्कुट, कॉइन आदि खरीदते हैं तो इस पर भी GST समेत कई चार्ज देने होते हैं। फिजिकल गोल्ड खरीदने पर इस तरह के चार्ज लगते हैं:
1. मेकिंग चार्ज
जब भी आप कोई ज्वेलरी खरीदते हैं तो ज्वेलर उस पर मेकिंग चार्ज लेते हैं। 1 फीसदी से 25 फीसदी तक हो सकता है। मेकिंग चार्ज ज्वेलर का मुनाफा होता है। हालांकि काफी ज्वेलर इस चार्ज को नहीं भी लेते। यह पूरी तरह ज्वेलर पर निर्भर करता है कि वह ग्राहक से मेकिंग चार्ज लेगा या नहीं। आप ज्वेलरी खरीदते समय दुकानदार से मेकिंग चार्ज में मोलभाव कर सकते हैं।
2. GST
ज्वेलरी खरीदने पर ग्राहक को GST चुकानी पड़ती है। सोने पर 3 फीसदी GST लगती है। अगर आप 20 हजार रुपये की ज्वेलरी खरीद रहे हैं तो आपको 600 रुपये GST के चुकाने होंगे।
3. TDS
अगर आप 1 लाख रुपये से ज्यादा का सोना खरीदते हैं तो इस पर TDS भी देना होता है। यह 1 फीसदी होता है।
फिजिकल सोना बेचने पर देना पड़ता है कैपिटल गेन्स टैक्स
सोना बेचने पर कैपिटल गेन्स टैक्स चुकाना होता है। यह दो तरह से होता है- शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स। अगर सोने को 3 साल के भीतर बेच दिया जाए जो इस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है। वहीं सोने को 3 साल बाद बेचा जाए जो उस पर 20 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है। यहां ध्यान रखें कि ये टैक्स बेची गई कुल रकम पर नहीं लगते बल्कि बेचने पर जो मुनाफा होता है उस पर लगते हैं।
डिजिटल गोल्ड पर चुकाने पड़ते हैं ये टैक्स
डिजिटल गोल्ड के रूप में कई स्कीम हैं जहां से सोना खरीद सकते हैं। इनमें सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड, गोल्ड म्यूचुअल फंड, गोल्ड ETF आदि शामिल हैं। इसमें बेचने पर इस तरह के टैक्स देने होते हैं:
A. Sovereign Gold Bonds
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का मैच्योरिटी पीरियड 8 साल है। 8 साल पूरे होने के बाद ग्राहक को मिलने वाला रिटर्न पूरी तरह टैक्स फ्री हो जाता है। अगर आप इसे 5 साल के बाद लेकिन 8 साल से पहले बेचते हैं तो इस पर 20 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना होता है। वहीं 12 महीने के बाद लेकिन 5 साल से पहले बेचते हैं तो 10 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना होगा। वहीं 12 महीने के भीतर बेचते हैं तो इस पर शॉर्ट टर्म केपिटल गेन्स टैक्स देना होगा। बॉन्ड बेचकर जो भी कमाई होगी, उसे आपकी मुख्य आमदनी में जोड़ दिया जाएगा। इस प्रकार इनकम टैक्स के जिस स्लैब में आमदनी आएगी, उसी के अनुसार टैक्स देना होगा।
B. Gold ETF
Gold ETF को अगर 3 साल बाद बेचा जाता है तो इस पर 20 फीसदी की दर से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना होता है। वहीं अगर इसे 3 साल से पहले ही बेचा जाए तो शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स देना होता है। यह टैक्स आपकी इनकम के अनुसार आने वाले टैक्स स्लैब रेट के हिसाब से तय होता है।
C. ऐप के जरिए गोल्ड
अगर आप Paytm, Google Pay, PhonePe आदि के जरिए सोना खरीदते हैं तो इसे ऑनलाइन डिजिटल गोल्ड माना जाता है। इस गोल्ड को बेचने पर जो प्रॉफिट होता है, उस पर कैपिटल गेन्स देना होता है। अगर कोई शख्स 3 साल बाद डिजिटल गोल्ड बेचता है तो उस पर 20 फीसदी लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स और अगर 3 साल से पहले बेचता है तो उस पर शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स लगता है, जो उसकी आमदनी में जुड़ जाता है।
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