Home Loan: मध्यम वर्ग परिवार जो अपना घर लेना चाहते हैं, उनके लिए सबसे लोकप्रिय फाइनेंसिंग विकल्पों में से एक होम लोन है। मध्यम वर्ग परिवार में आने वालों की जनसंख्या भी बहुत है। प्रतिस्पर्धी ब्याज दरों पर बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों के माध्यम से होम लोन की उपलब्धता के बाद भारत में होम लोन अधिक किफायती हो गए हैं, जिससे इस सेगमेंट के लिए घर खरीदना अधिक किफायती हो गया है। हालांकि, कुछ कारण ऐसे होते हैं, जिनकी वजह से आपकी ब्याज बढ़ भी सकती है और घट भी सकती है। ऐसे में आपको उन कुछ तरीकों के बारे में जानना चाहिए, जिससे आपकी EMI बच सकती है।
डाउन पेमेंट
अगर आप घर खरीदते समय अधिक डाउन पेमेंट देना चुनते हैं, तो इससे आपको EMI का बोझ कम करने में मदद मिलेगी। जितना अधिक आप डाउन पेमेंट के रूप में भुगतान करते हैं, उतना ही कम आपको बैंक या वित्तीय संस्थान से उधार लेना पड़ता है। बदले में, यह कम मूल राशि रह जाती है, जिससे EMI कम हो जाती है।
क्रेडिट स्कोर
आप खराब क्रेडिट स्कोर के साथ रह सकते हैं, लेकिन आसान नहीं होता है और यह निश्चित रूप से आपको महंगा पड़ता है। यदि आपका क्रेडिट स्कोर अच्छा है, तो आपके पास सस्ती ब्याज दरों के साथ लोन प्राप्त करने का एक बेहतर मौका है, जिसका अर्थ है कि आप क्रेडिट कार्ड की शेष राशि और ऋण पर कम वित्त शुल्क का भुगतान करेंगे। जितना कम आप ब्याज का भुगतान करेंगे, उतनी ही जल्दी आप कर्ज का भुगतान करेंगे और आपके पास अन्य खर्चों के लिए अधिक पैसा होगा।
लोन की राशि
देखिए अगर बैंक से आप ज्यादा राशि लोन के रूप में मांगेंगे तो बैंक का इसमें रिस्क ज्यादा रहता है। ऐसे में बैंक कई बार अधिक राशि लेने वालों पर तगड़ी ब्याज लगाता है। ऐसे में आपको घर खरीदते वक्त यह ध्यान लगाना चाहिए कि आपको असल में कितने रुपयों की जरूरत है।
कितने वक्त के लिए है लोन
अगर आप लोन ज्यादा समय के लिए लेते हैं तो बैंक उसमें भी ज्यादा ब्याज लगाकर आपसे पैसा वसूल करने लगता है। वहीं, अगर आप कम समय के लिए लोन लेते हैं तो उसमें बैंकों का जोखिम कम रहता है। इसलिए वे सस्ती EMI बना देते हैं।
किस टाइप का है लोन?
आप अगर बैंक से लोन ले रहे हैं तो यह इसपर भी निर्भर करता है कि लोन आखिर किस तरह का है। कई बार हमें बैंकों से फोन आते हैं और तरह-तरह के लाभ गिनाए जाते हैं, लेकिन हकीकत एड से अलग होती है। इसलिए ध्यान से लोन लेते वक्त सभी दस्तावेज पढ़ लें।
मार्केट स्टेटस
मुद्रास्फीति को देखते हुए देश की आर्थिक स्थितियों को देखते हुए सरकार की नीतियां भी ब्याज दरों को कम और घटाने के लिए जिम्मेदार हैं। बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण ब्याज दर अधिक हो सकती है। अर्थव्यवस्था में मजबूत वृद्धि होने पर बैंक लोन देने निकलते हैं, ऐसे में लोन सस्ती EMI पर मिल जाते हैं।