SIP vs RD Investment Tips: जब निवेश की बात आती है तो सबसे पहले सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (Systematic Investment Plan) का जिक्र होता है जिसे SIP के नाम से जाना जाता है। इसी तरह रिकरिंग डिपॉजिट (Recurring Deposit) यानी RD का भी जिक्र जरूर होता है जिसे एक लोकप्रिय निवेश विकल्प माना जाता है। म्यूचुअल फंड में आसानी से निवेश के लिए एसआईपी जाना जाता है। जबकि, एक सेविंग स्कीम के तौर पर आरडी की पहचान है जिसमें एक निश्चित अवधि के लिए हर महीने निर्धारित राशि जमा करनी होती है। एसआईपी या आरडी में से कहां निवेश करना अधिक समझेदारी है? आइए इसके बारे में जानते हैं।
SIP के फायदे
म्यूचुअल फंड में निवेश का एक बेहद आसान तरीका सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान है। इसकी सबसे खास बात ये है कि आप बहुत कम से भी शुरुआत कर सकते हैं। उदाहरण के तौर पर म्यूचुअल फंड्स में SIP के जरिए महज 500 रुपये से भी निवेश की शुरुआत की जा सकती है। आप मंथली या क्वाटर्ली निवेश करने का ऑप्शन चुन सकते हैं। SIP से नियमित निवेश की आदत विकसित होती है और चक्रवृद्धि ब्याज का लाभ भी मिलता है। ज्यादातर लोग मंथली SIP को तवज्जो देते हैं। आप अपनी सुविधा अनुसार SIP की राशि को बढ़ा भी सकते हैं। ELSS म्यूचुअल फंड में एसआईपी पर धारा 80c के तहत टैक्स डिडक्शन भी मिलता है।
SIP की सीमाएं
SIP की अपनी कुछ सीमायें भी हैं, जिन्हें ध्यान में रखना बेहद जरूरी है। एसआईपी बाजार में उतार-चढ़ाव के अधीन हैं और रिटर्न की गारंटी नहीं है। यहां मिलने वाला रिटर्न बाजार के प्रदर्शन और फंड के प्रकार पर निर्भर करता है। SIP का असली फायदा लंबी अवधि पर ही मिलता है। अगर आप शॉर्ट टर्म में लाभ तलाश रहे हैं, तो उतना खास रिटर्न शायद न मिले।
RD के फायदे
रिकरिंग डिपॉजिट की बात करें, तो ये एक तरह की सेविंग स्कीम है, जहां आप हर महीने एक निश्चित अवधि के लिए अपने खाते में निर्धारित रकम जमा करते हैं। आपके द्वारा जमा की जाने वाली राशि पर निर्धारित दर से ब्याज मिलता है और मैच्योरिटी पर आपको अर्जित ब्याज के साथ मूलधन भी प्राप्त होता है। RD ऐसे निवेशकों के लिए अच्छा निवेश विकल्प है, जो कम जोखिम के साथ गारंटीड रिटर्न चाहते हैं।
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RD का सबसे बड़ा लाभ तो यही है कि इसमें रिटर्न की गारंटी होती है। रिकरिंग डिपॉजिट खाता खुलवाने के लिए ज्यादा कागजी कर्रवाई की जरूरत नहीं होती। किसी भी बैंक या वित्तीय संस्थान में इसे आसानी से शुरू किया जा सकता है। RD की ब्याज दर पहले से निर्धारित होती है, इसलिए आपको पता होता है कि आखिरी में निवेश पर कितना रिटर्न मिलेगा। लिहाजा, आप भविष्य की प्लानिंग पहले ही कर सकते हैं।
रिकरिंग डिपॉजिट की खामियां क्या हैं?
हालांकि, इसमें कुछ खामियां भी हैं। आजकल मार्केट में मौजूद कई इन्वेस्टमेंट्स प्रोडक्ट्स की तुलना में इस पर मिलने वाला रिटर्न कम है। इसके अलावा आरडी पर अर्जित ब्याज निवेशक के टैक्स स्लैब के आधार पर कर योग्य होता है, जिससे कुल रिटर्न अपने आप कम हो जाता है। यदि आप समय से पहले RD से पैसा निकालते हैं तो जुर्माना लगता है। ब्याज आमतौर पर मैच्योरिटी या तिमाही आधार पर दिया जाता है।
निवेश पर कौन देगा ज्यादा रिटर्न?
SIP और RD दोनों के अपने फायदे और नुकसान हैं। उदाहरण के तौर पर म्यूचुअल फंड में SIP पर अच्छे रिटर्न की संभावना रहती है। पिछले कुछ सालों में लॉन्ग टर्म पर मिलने वाला रिटर्न 12% से 22% तक रहा है। जबकि RD पर रिटर्न इससे काफी कम है। आमतौर पर रिकरिंग डिपॉजिट पर 5% से 9% तक का रिटर्न मिलता है। हालांकि, वरिष्ठ नागरिकों को कुछ ज्यादा रिटर्न मिल सकता है, मगर म्यूचुअल फंड जितना नहीं।
RD में रिटर्न भले ही कम हो, लेकिन रिटर्न मिलने की गारंटी जरूर रहती है। SIP के साथ ऐसा नहीं है, क्योंकि मार्केट की अस्थिरता से रिटर्न प्रभावित होता है। ज्यादातर म्यूचुअल फंड स्टॉक मार्केट में पैसा लगाते हैं। कुछ वक्त पहले जब शेयर बाजार लगातार गोता लगा रहा था, तो म्यूचुअल फंड का रिटर्न भी बुरी तरह प्रभावित हुआ था। इसलिए अगर आप जोखिम उठाने को तैयार हैं और लंबे समय तक निवेश कर सकते हैं, तो म्यूचुअल फंड में SIP बेस्ट है। वहीं, अगर आप बड़े रिटर्न की चाह में जोखिम मोल लेना नहीं चाहते, तो RD अच्छा विकल्प है।
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