Singapore Car License: भारत में हमें अगर कोई कार लेनी होती है तो हम क्या करते हैं? शोरूम पर जाते हैं, पे करते हैं और ले आते हैं अपनी मन पसंद कार। फिर आराम अपने सफर का आनंद उठाते हैं। पर दुनिया में एक देश ऐसा भी है जिसने एक कानून ऐसा बना दिया है, जिसके बाद कार लेने में लोग डर रहे हैं। जी हां। कानून इसलिए बनाया गया है जिससे पॉल्यूशन से देश को बचाया जा सके। वहीं भारत में हम आसानी से कार को अपने घर ले आते हैं।
साल 1990 में सिंगापुर ने बना दिया ये कानून
दरअसल मामला है सिंगापुर का। सिंगापुर में कार लेने से पहले लोगों को 20 बार सोचना पड़ता है। इस देश ने साल 1990 में एक कानून बनाया था, जिसमें कार रखने के लिए एंटाइटेलमेंट सर्टिफिकेट (सीओई) लेना जरूरी है। आपके मन में ये सवाल आ रहा होगा कि कानून 1990 का तो इसका जिक्र अभी क्यों? दरअसल सरकार की तरफ एंटाइटेलमेंट सर्टिफिकेट (सीओई) के लिए ली जाने वाली फीस में बदलाव किया गया है।
पूरे विश्व में कार चलाना सिंगापुर में सबसे महंगा
बदलाव इतना कि पूरे विश्व में सिंगापुर में कार चलाना बेहद ही महंगा हो गया है। अभी के समय में एंटाइटेलमेंट सर्टिफिकेट (सीओई) लेने के लिए लोगों को 104,000 सिंगापुरी डॉलर या फिर 60 लाख रुपए खर्च करने पड़ते हैं। जी हां, ये तो किसी कार की कीमत से भी बड़ी रकम है।
सैलरी से कहीं ज्यादा है सर्टिफिकेट की कीमत
आपके मन में ये बात आ रही होगी कि वहां रह रहे लोगों की मासिक आय इससे कहीं ज्यादा होगी। पर ऐसा नहीं है वहां औसतन मासिक आय 70,000 सिंगापुरी डॉलर यानी 42 लाख रुपए महीने है। यानी सभी लोग कार खरीद नहीं पाते हैं। सिंगापुर ने पॉल्यूशन से बचने के लिए ये तरकीब अपनाई है। हालांकि ये कानून काम भी कर रहा है, साल 1990 से सर्टिफिकेट लेने की संख्या में कमी आई है। लोग ज्यादा से ज्यादा पब्लिक ट्रांसपोर्ट का इस्तेमाल कर रहे हैं।