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EMI कम या ज्यादा कैसे होती? जानें Repo Rate की वैल्यू, बैंकों से मिलने वाले लोन से सीधा कनेक्शन

Repo Rate Loan EMI Connection: रिजर्व बैंक ने रेपो रेट पर बड़ा फैसला लिया है। रेपो रेट का सीधा कनेक्शन बैंक लोन और EMI से है। बैंकों को मिलने वाले लोन और बैंकों द्वारा लोगों को दिए जाने वाले लोन से कनेक्शन है, आइए जानते हैं कैसे?

Edited By : Khushbu Goyal | Updated: Oct 9, 2024 12:03
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Loan EMI
रेपो रेट का सीधा असर EMI पर पड़ता है।

Repo Rate Connection to Bank Loan EMI: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने आज मॉनिटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) में रेपो रेट को लेकर अहम फैसला लिया। बैंक के गवर्नर शशिकांत दास ने कमेटी मेंबरों से विचार विमर्श करने के बाद फैसला लिया कि रेपो रेट नहीं बढ़ाई जाएगी। यह 6.5 प्रतिशत ही रहेगी। रिवर्स रेपो रेट 3.35% रहेगी।

बैंक रेट को भी 6.75% पर स्थिर रखा गया है। लगातार 10वीं बार रेपो रेट में बदलाव नहीं करने का फैसला RBI ने लिया है। इसका फायदा बैंकों को होगा और सबसे बड़ा फायदा लोगों को होगा। बता दें कि RBI ने पिछली बार फरवरी 2023 में रेपो रेट बदली थी। उस समय रेपो रेट को 0.25 प्रतिशत से बढ़ाकर 6.5 प्रतिशत किया गया था।

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रेपो रेट में बदलाव का लोगों से क्या कनेक्शन?

बता दें कि रेपो रेट में बदलाव होने का सीधा कनेक्शन आम जनता से है। अगर रेपो रेट बढ़ेगी तो लोगों को ज्यादा EMI भरनी पड़ेगी और रेपो रेट घटेगी तो कम EMI देनी पड़ेगी। रेपो रेट RBI के लिए महंगाई से निपटने का तरीका है। रेपो रेट पर केंद्रीय बैंक अन्य बैंकों को लोन देता है। जब महंगाई बढ़ती है तो बैंक रेपो रेट बढ़ाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को कम करते हैं। रेपो रेट बढ़ती है तो बैंकों को केंद्रीय बैंक से मिलने वाला लोन महंगा हो जाता है।

बैंकों को लोन महंगा मिलता है तो वे लोगों को भी लोग महंगी ब्याज दरों पर देते हैं। वहीं मनी फ्लो कम होने से डिमांड घटती और महंगाई घटती है। इसके विपरीत जब इकोनॉमी बुरे दौर में होती है तो रेपो रेट घटाकर इकोनॉमी में मनी फ्लो को बढ़ाया जाता है। रेपो रेट घटने से बैंकों को मिलने वाला लोन सस्ता होता और बैंक भी सस्ता लोन देते। मनी फ्लो बढ़ने से डिमांड बढ़ती है और महंगाई भी बढ़ती है।

 

महंगाई काबू करने में कामयाब रहा है भारत

आज 9 अक्टूबर को हुई बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए RBI गवर्नर ने बताया कि रेपो रेट में बदलाव नहीं करने के पक्ष में कमेट के 6 में से 5 मेंबरों से हाथ उठाया, इसलिए सर्वसम्मति से फैसला लिया गया है। इंटरनेशनल लेवल पर इकोनॉमी में उतार-चढ़ाव आने के बावजूद भारत महंगाई काबू करने में कामयाब रहा है और इससे इकोनॉमिक ग्रोथ भी हुई है।

भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 70000 करोड़ डॉलर पहुंच गया है। यह उपलब्धि हासिल करने वाला भारत दुनिया का चौथा देश बन गया है। इस बार मानसून में ज्यादा बारिश होने से बिजली, कोयला और सीमेंट इंडस्ट्री में प्रोडक्शन प्रभावित हुआ, इसे जल्दी ही पटरी पर लाने का प्रयास करेंगे, लेकिन रेपो रेट अभी पुराने वाली ही रहेगी, इसमें बदलाव करने के आसार अभी नहीं बने हैं।

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Written By

Khushbu Goyal

First published on: Oct 09, 2024 11:59 AM

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