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Railway Benefits to Passengers: ट्रेन के कारण अगर यात्री को हुई ऐसी प्रॉब्लम तो भारतीय रेलवे को देना होगा मुआवजा, आदेश जारी

Railway Benefits to Passengers: भारतीय रेलवे यात्रियों का बहुत ख्याल रखती है, लेकिन माना या ना माना जनता के बीच ट्रेनें एक और मकसद से भी जानी जाती है और वो है ट्रनों का लेट होना। पिछले साल इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि रेलवे को बताना होगा कि ट्रेन क्यों लेट हुई है। […]

Edited By : Nitin Arora | Updated: Dec 28, 2022 22:41
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Railway Benefits to Passengers: भारतीय रेलवे यात्रियों का बहुत ख्याल रखती है, लेकिन माना या ना माना जनता के बीच ट्रेनें एक और मकसद से भी जानी जाती है और वो है ट्रनों का लेट होना। पिछले साल इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि रेलवे को बताना होगा कि ट्रेन क्यों लेट हुई है। अगर वह नहीं बता पाता है तो उसे ट्रेनों के देरी से चलने के लिए सेवा में कमी के कारण यात्रियों को मुआवजा देना होगा। अदालत ने कहा था रेलवे को साबित करना होगा कि देरी का कारण उसके नियंत्रण से बाहर था। तब जाकर ही वह मुआवजा से बच सकता है।

किसी को जिम्मेदारी लेनी होगी

न्यायमूर्ति एमआर शाह और अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने आदेश में कहा था, ‘ये प्रतिस्पर्धा और जवाबदेही के दिन हैं। यदि सार्वजनिक परिवहन को ऐसे ही चलते जाना है और निजी खिलाड़ियों के साथ प्रतिस्पर्धा करनी है, तो उन्हें व्यवस्था और उनकी कार्य संस्कृति में सुधार करना होगा। नागरिक/यात्री अधिकारियों/प्रशासन की दया पर निर्भर नहीं हो सकते। किसी को जिम्मेदारी स्वीकार करनी होगी।’

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एक यात्री के कारण सुप्रीम कोर्ट ने दिया इतना बड़ा आदेश

अदालत ने एक यात्री को दिए गए मुआवजे को बरकरार रखा, जिसकी ट्रेन 2016 में अपने परिवार के साथ जम्मू जाने के दौरान चार घंटे की देरी से हुई थी। उनकी उड़ान छूट गई और उन्हें श्रीनगर के लिए एक महंगी टैक्सी लेनी पड़ी। उन्होंने डल झील पर एक नाव की बुकिंग भी खो दी।

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2016 में एक यात्री अपने परिवार के साथ जम्मू जाने वाला था, लेकिन ट्रेन लेट होने के कारण चार घंटे खराब हो गए। उनकी उड़ान छूट गई और उन्हें श्रीनगर के लिए एक महंगी टैक्सी लेनी पड़ी। उन्होंने डल झील पर एक नाव की बुकिंग भी की थी, जो वेस्ट हो गई। इस मामले में अदालत ने यात्री को दिए गए मुआवजे को बरकरार रखा था।

जिला उपभोक्ता फोरम ने इसे रेलवे द्वारा सेवा में कमी बताया था। फोरम ने उत्तर पश्चिम रेलवे को टैक्सी खर्च के लिए 15,000 रुपये, बुकिंग खर्च के लिए 10,000 रुपये, साथ ही मानसिक पीड़ा और मुकदमेबाजी के खर्च के लिए 5,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया था। उपभोक्ता फोरम ने एक ही स्वर में कहा कि रेलवे ने कभी यह नहीं बताया कि ट्रेन जम्मू में देरी से क्यों आई। तो ऐसे पता चलता है कि आप भी ट्रेन लेट होने पर मुकदमा कर सकते हैं और रेलवे को आपको मुआवजा देना ही होगा।

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Written By

Nitin Arora

First published on: Dec 28, 2022 04:54 PM
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