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Petrol Diesel Cheap: सरकार ने लिया ये बड़ा फैसला, क्या कम होंगे तेल के दाम? पढ़ें

Petrol Diesel Cheap: वैश्विक तेल की कीमतों में गिरावट के बाद सरकार ने घरेलू उत्पादित कच्चे तेल के साथ-साथ डीजल और एटीएफ के निर्यात पर लगाए गए अप्रत्याशित लाभ कर को घटा दिया है। 15 दिसंबर के आदेश में कहा गया है कि तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) जैसी कंपनियों द्वारा उत्पादित कच्चे तेल […]

Edited By : Nitin Arora | Updated: Dec 19, 2022 17:04
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Petrol Diesel Cheap: वैश्विक तेल की कीमतों में गिरावट के बाद सरकार ने घरेलू उत्पादित कच्चे तेल के साथ-साथ डीजल और एटीएफ के निर्यात पर लगाए गए अप्रत्याशित लाभ कर को घटा दिया है। 15 दिसंबर के आदेश में कहा गया है कि तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) जैसी कंपनियों द्वारा उत्पादित कच्चे तेल पर लेवी को 4,900 रुपये प्रति टन से घटाकर 1,700 रुपये प्रति टन कर दिया गया है। बता दें कि जमीन से पंप किए गए कच्चे तेल को परिष्कृत किया जाता है और पेट्रोल, डीजल और एविएशन टर्बाइन फ्यूल (एटीएफ) जैसे ईंधन में परिवर्तित किया जाता है।

सरकार ने डीजल के निर्यात पर कर को 8 रुपये प्रति लीटर से घटाकर 5 रुपये प्रति लीटर और एटीएफ के विदेशी शिपमेंट पर 5 रुपये से 1.5 रुपये प्रति लीटर कर दिया है। नई कर दरें 16 दिसंबर से प्रभावी हैं। कर की दर नवंबर से वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में 14 प्रतिशत की गिरावट को शो करती है।

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घरेलू कच्चे तेल के उत्पादन पर 23,250 रुपये प्रति टन (यूएसडी 40 प्रति बैरल) अप्रत्याशित लाभ कर भी लगाया गया था। तब से पेट्रोल पर निर्यात कर समाप्त कर दिया गया है। पिछले दो हफ्तों में तेल की औसत कीमतों के आधार पर हर पखवाड़े कर दरों की समीक्षा की जाती है।

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कोस्ट को लेकर समझे पूरी डिटेल्स

दिसंबर में भारत द्वारा आयात किए जाने वाले कच्चे तेल की भराई औसतन 77.79 अमेरिकी डॉलर प्रति बैरल थी, जबकि पिछले महीने यह 87.55 अमेरिकी डॉलर थी। अक्टूबर में यह औसतन 91.70 डॉलर प्रति बैरल था। इसी तरह, डीजल की कीमत भी नवंबर के 123.18 डॉलर और अक्टूबर के 133.52 डॉलर से घटकर इस महीने 104.86 डॉलर प्रति बैरल पर आ गई है।

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सरकार तेल उत्पादकों द्वारा 75-76 डॉलर प्रति बैरल की सीमा से ऊपर मिलने वाली किसी भी कीमत पर होने वाले अप्रत्याशित मुनाफे पर कर लगाती है। ईंधन निर्यात पर लेवी दरार या मार्जिन पर आधारित है जो रिफाइनर विदेशी शिपमेंट पर कमाते हैं। ये मार्जिन मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर तेल की कीमत और लागत के बीच का अंतर है।

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Nitin Arora

Edited By

Manish Shukla

First published on: Dec 16, 2022 12:44 PM
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