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Ola Overcharging: हजारों-लाखों लोगों का सहारा बनेगा ये फैसला, अब उलटा ओला देगा ग्राहक को 95000 रुपये!

हैदराबाद: कैब प्रोवाइड कराने वाली कंपनियों – ओला और उबर द्वारा ओवरचार्जिंग के मामले भारत में लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसी ही एक घटना पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए हैदराबाद की एक उपभोक्ता अदालत ने ओला कैब्स को एक ग्राहक से अधिक शुल्क लेने और अच्छी सेवा नहीं देने के लिए 95,000 रुपये का […]

Edited By : Nitin Arora | Updated: Aug 20, 2022 12:03
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हैदराबाद: कैब प्रोवाइड कराने वाली कंपनियों – ओला और उबर द्वारा ओवरचार्जिंग के मामले भारत में लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसी ही एक घटना पर गंभीरता से संज्ञान लेते हुए हैदराबाद की एक उपभोक्ता अदालत ने ओला कैब्स को एक ग्राहक से अधिक शुल्क लेने और अच्छी सेवा नहीं देने के लिए 95,000 रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया कि उसे बिल भेजते हुए 4-5 किलोमीटर की यात्रा के लिए 861 रुपये का भुगतान करने के लिए मजबूर किया गया। सही मायने में ज्यादा से ज्यादा इसका चार्ज 200 रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।

जाबेज सैमुअल ने शिकायत की कि उन्होंने अपने उनकी पत्नी और एक साथी के साथ 19 अक्टूबर 2021 को एक कैब बुक की थी। कैब गंदी थी और ड्राइवर ने न केवल एसी चालू करने से इनकार कर दिया बल्कि उनके साथ अभद्र व्यवहार भी किया। करीब 4-5 किमी की दूरी तय करने के बाद वे कैब से उतरे। 861 रुपये का बिल बना। तब शिकायतकर्ता को ड्राइवर को भुगतान नहीं करना पड़ा क्योंकि वह ओला मनी कैश क्रेडिट सेवा के अंतर्गत आया।

ओला कैब्स नोटिस दिए जाने के बाद भी नहीं हुआ पेश
याचिकाकर्ता ने जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग के संज्ञान में इस मामले को लाया। सैमुअल ने कहा कि उन्होंने अतिरिक्त बिल को लेकर ओला कैब्स में शिकायत दर्ज कराई, लेकिन कंपनी के उच्च अधिकारी हस्तक्षेप करने में विफल रहे। उन्होंने कहा कि ओला के अधिकारियों ने बार-बार फोन करके बिल का भुगतान करने को कहा। उन्होंने जनवरी 2022 में बिल का भुगतान किया लेकिन न्याय पाने के लिए उपभोक्ता अदालत का दरवाजा खटखटाया। ओला कैब्स नोटिस दिए जाने के बाद भी केस लड़ने के लिए आयोग के सामने पेश नहीं हुई।

88,000 रुपये मुआवजा, 7,000 रुपये सुनवाई लागत के रूप में
-सैमुअल की शिकायत और उसे हुई मानसिक पीड़ा को ध्यान में रखते हुए, आयोग ने राइडशेयरिंग कंपनी को ग्राहक को 88,000 रुपये का मुआवजा और सुनवाई की लागत के रूप में 7,000 रुपये का भुगतान करने के लिए कहा।
-आयोग ने अनुपालन के लिए 45 दिन का समय निर्धारित किया है और यदि फर्म आदेश का पालन करने में विफल रहती है, तो वह ब्याज का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगी।
-कंपनी को यह भी निर्देश दिया गया है कि वह 861 रुपये की राशि, यात्रा की तारीख से वसूली तक 12 फीसदी सालाना की दर से ब्याज के साथ लौटाए।

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Nitin Arora

First published on: Aug 20, 2022 12:03 PM

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