Stock Market News: भारत सहित दुनियाभर के शेयर बाजार इस समय उतार-चढ़ाव से गुजर रहे हैं। अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप का शासन शुरू होने के बाद बाजार से मिलने वाले रिटर्न को लेकर अनिश्चतता और बढ़ गई है। इस बीच, दुनिया के सबसे बड़े सॉवरेन वेल्थ फंड ‘नॉर्जेस बैंक इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट’ के सीईओ निकोलाई टैंगन ने मार्केट को लेकर चेताया है।
भारत में है बड़ा निवेश
नॉर्जेस बैंक इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट ने भारत की कई कंपनियों में निवेश किया हुआ है। इसमें HDFC बैंक, रिलायंस, ICICI बैंक, एयरटेल, इंफोसिस और TCS से लेकर जोमैटो, नायका और डीमार्ट जैसी कंपनियां शामिल हैं। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया के सबसे बड़े सॉवरेन वेल्थ फंड ने भारत में करीब 30 अरब डॉलर से अधिक की पूंजी लगाई है।
पहले से ज्यादा जोखिम
निकोलाई टैंगन का कहना है कि बाजार में बहुत कम रिटर्न का दौर आ गया है। शेयर बाजार आज पहले से ज्यादा जोखिम पर है। टैंगन के अनुसार, अमेरिकी टैरिफ से प्रेरित मुद्रास्फीति 2025 में सबसे बड़े बाजार जोखिमों में से एक है। दावोस में World Economic Forum में बोलते हुए उन्होंने कहा कि यदि आप वित्तीय बाजारों के लिए जोखिम को देखें, तो मुझे लगता है कि मुद्रास्फीति निश्चित रूप से एक जोखिम है, जो सभी टैरिफ द्वारा संचालित है।
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कम नहीं होगी महंगाई
अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए टैंगन ने कहा कि अमेरिका से अब जो सुझाव आ रहे हैं, उनमें से कई संभावित रूप से मुद्रास्फीति बढ़ाने वाले हैं। वे और अधिक मुद्रास्फीति का कारण बन सकते हैं। श्रम आपूर्ति कम हो सकती है, टैरिफ अधिक हो सकते हैं, ये सभी चीजें मुद्रास्फीति को बढ़ावा दे रही हैं और इसलिए यह निश्चित नहीं है कि मुद्रास्फीति कम हो जाएगी।
US फेड भी चिंतित
अमेरिका का केंद्रीय बैंक भी महंगाई को लेकर चिंता जाता चुका है, इसी के चलते पिछली बार की ब्याज दरों में कटौती के बाद भी मार्केट में गिरावट देखने को मिली थी। अमेरिका दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और वहां से आने वाले हर खबर पूरी दुनिया के बाजारों को प्रभावित करती है। ऐसे में यदि निकोलाई टैंगन की आशंका सही साबित होती है तो भारत का बाजार भी दबाव का सामना कर सकता है।
ब्याज दरों पर संशय
एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिकी निवेशकों के मन में शेयर बाजार के भविष्य को लेकर आशंकाएं बढ़ रही हैं। क्योंकि केंद्रीय बैंक के वर्ष 2025 के आर्थिक अनुमान गलत साबित हो सकते हैं और यदि ऐसा होता है तो फेडरल रिजर्व ब्याज दरों में फिर से वृद्धि कर सकता है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर US फेड ब्याज दरों में उम्मीद से कम कटौती करता है या ब्याज दरें बढ़ाता है, तो अमेरिकी शेयर मार्केट में बड़ी गिरावट संभव है। इस सूरत में भारत सहित दूसरे कई देशों की बाजार भी प्रभावित हो सकते हैं।