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Work Week: इन राज्यों में 70 घंटे से ज्यादा काम कर रहे कर्मचारी, चौंकाने वाले आंकड़े आए सामने

Working hours in India 2025: इंफोसिस के फाउंडर सप्ताह में 70 घंटे काम की सलाह देते हैं। वहीं, एलएंडटी के चेयरमैन एसएन सुब्रह्मण्यन 90 घंटे काम की वकालत करते हैं। दोनों के विचारों पर काफी बवाल मच चुका है।

Author Edited By : Neeraj Updated: Feb 21, 2025 14:32
Photo Credit: Garrigues

Latest Work Week Data: कामकाजी घंटों को लेकर छिड़ी बहस के बीच सामने आई एक रिपोर्ट चौंकाने वाली तस्वीर पेश करती है। इस रिपोर्ट के अनुसार, देश की 4.55% आबादी हर सप्ताह 70 घंटे से ज्यादा काम कर रही है। बता दें कि इंफोसिस के फाउंडर नारायण मूर्ति सप्ताह में 70 घंटे काम की सलाह देते रहे हैं। जबकि एलएंडटी के चेयरमैन ने उनसे दो कदम आगे बढ़ते हुए कहा था कि कर्मचारियों को संडे सहित वीक में 90 घंटे काम करना चाहिए।

ये राज्य हैं टॉप पर

प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (EAC-PM) के हाल ही में जारी वर्किंग पेपर के अनुसार, गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल और केरल की पहचान ऐसे टॉप 5 राज्यों के रूप में की गई है, जहां कर्मचारियों से सप्ताह में 70 घंटे से ज्यादा काम लिया जा रहा है। बिजनेसलाइन की रिपोर्ट में प्रकाशित आंकड़ों से पता चला है कि गुजरात में 7.2%, पंजाब में 7.1% और महाराष्ट्र में 6.6% आबादी हर हफ्ते काफी ज्यादा काम कर रही है।

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यहां सबसे कम अनुपात

‘भारत में रोजगार-संबंधी गतिविधियों में बिताया गया समय’ शीर्षक वाले इस वर्किंग पेपर में बताया गया है कि झारखंड, असम और बिहार में 70 घंटे से अधिक काम करने वालों का अनुपात सबसे कम है, जो क्रमशः 2.1 प्रतिशत, 1.6 प्रतिशत और 1.1 प्रतिशत है। इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के वरिष्ठ आर्थिक विश्लेषक पारस जसराय का कहना है कि उच्च जीडीपी वाले राज्यों में प्रति सप्ताह 70 घंटे से अधिक काम करना संरचनात्मक आर्थिक लाभ को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि गुजरात और महाराष्ट्र जैसे राज्य, जो औद्योगिक राज्य हैं, और कर्नाटक और तेलंगाना, जो IT स्टेट हैं, में बिहार और यूपी जैसे कृषि प्रधान राज्यों की तुलना में काम के घंटे अधिक हैं।

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शहर में अधिक काम

रिपोर्ट में अलग-अलग राज्यों के विभिन्न उद्योगों में कामकाजी गतिविधियों की अवधि का उल्लेख किया गया है। इसमें बताया गया है कि फिक्स्ड सैलरी वाले व्यक्ति आमतौर पर देश में अन्य लोगों की तुलना में प्रतिदिन अधिक देर तक काम करते हैं। इसी तरह, शहर में रहने वाले अपने ग्रामीण समकक्षों की तुलना में हर दिन लगभग एक घंटा अधिक काम करते हैं। वहीं, सर्विस सेक्टर में कार्यरत सेल्फ एंप्लॉयड गुड्स प्रोडक्शन में काम करने वालों की तुलना में औसतन अधिक घंटे काम करते हैं।

हेल्थ पर बुरा असर

सप्ताह में 70 घंटे या उससे अधिक काम को भले ही इंडस्ट्री लीडर सही मानते हों, लेकिन इसके कर्मचारी के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ते हैं। आर्थिक सर्वेक्षण 2024-25 ने सप्ताह में 60 घंटे से अधिक काम करने के स्वास्थ्य पर पड़ने वाले नकारात्मक प्रभाव को दर्शाया है। सर्वेक्षण में रिसर्च के हवाले से बताया गया है कि डेस्क पर लंबे समय तक काम करने से मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो सकता है। विशेष रूप से, जो व्यक्ति प्रतिदिन 12 या उससे अधिक घंटे डेस्क पर बिताते हैं, उनके स्वास्थ्य को काफी ज्यादा नुकसान पहुंच सकता है और उन्हें स्ट्रेस का भी खतरा रहता है।

First published on: Feb 21, 2025 02:12 PM

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