YEIDA Scheme 2024: यीडा जो प्लॉट और फ्लैट की स्कीम लेकर आया है उसमें लोग बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं। लेकिन इसका दूसरा पहलू भी है, क्योंकि कई लोगों ने यीडा की स्कीम्स में पैसा तो लगा दिया है लेकिन वह इससे खुश नहीं हैं। इसकी वजह है यहां पर मिलने वाली बेसिक जरूरतें। भले ही यीडा के फ्लैट बिक गए हों लेकिन वह अभी भी खाली पड़े हैं। लोग इसमें रहने आते भी हैं तो ज्यादा दिनों तक रुक नहीं पाते हैं। जानिए इसके पीछे की पूरी कहानी?
कहां आ रही परेशानी?
यीडा ने प्लॉट योजनाएं शुरू की, लेकिन जेवर एयरपोर्ट के आसपास विकसित किए जा रहे नए शहर में कई बुनियादी जरूरत की चीजें नहीं हैं। जिसमें सरकारी स्कूलों, कॉलेज और अस्पतालों की कमी है। इस क्षेत्र में निवेश कई बड़ी कंपनियां जिसमें पतंजलि और रजनीगंधा का नाम शामिल हैं। लेकिन यह सुरक्षा, स्कूल और अस्पताल जैसी सुविधाओं नहीं दे पा रहे हैं जिसके चलते उनको कर्मचारियों को ग्रेटर नोएडा या नोएडा से लाने-ले जाने पर मजबूर हैं।
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किफायती सरकारी स्कूलों के आभाव की वजह सेमजदूर तबके के लोग अपने बच्चों की पढ़ाई के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इसी के साथ एक बड़ी समस्या सरकारी अस्पतालों की कमी भी है। स्थानीय लोगों का मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सवाल है कि वह अपने सपनों का शहर कैसे बसांएगे अगर वहां पर बुनियादी चीजों पर ही ध्यान नहीं दिया जा रहा है?
खाली पड़े हैं फ्लैट
यीडा की स्कीम के तहत सेक्टर 22 में लोगों ने फ्लैट खरीदे लेकिन उसमें से ज्यादातर खाली ही पड़े हैं। जानकारी के मुताबिक, बुनियादी ढांचे और सुविधाओं की कमी की वजह से इन बिल्डिंग में केवल 4 से 5 परिवार ही रहते हैं। आपको बता दें कि NEWS24 ने इन मुद्दों को समय-समय पर उठाता आया है, लेकिन यमुना प्राधिकरण के अधिकारियों ने इन्हें हल करने में बहुत कम दिलचस्पी दिखाई है।
आज यमुना में बुनियादी चीजों का अभाव है, जिससे सवाल उठता है कि शहर को रहने लायक बनने में कितना वक्त लगेगा? विशेषज्ञों का मानना है योगी सरकार एक संपन्न, आत्मनिर्भर शहर को बनाने में कम से कम 20 साल या उससे ज्यादा का वक्त लग सकता है। वहीं, अगर बुनियादी जरूरतों को समझते हुए कुछ उपाय निकाला जाए तो लोगों की वहां रहने में दिलचस्पी बढ़ सकती है।
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