सोने की कीमतें 1 लाख के आंकड़े से नीचे आ गई हैं। इस ऐतिहासिक ऊंचाई पर सोना ज्यादा देर तक नहीं टिक सका। गोल्ड प्राइस में आई बड़ी गिरावट से उन एक्सपर्ट्स के अनुमान फिर से चर्चा में आ गए हैं, जिन्होंने सोने में नरमी के दावे किए थे। डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 2 अप्रैल को लगाए गए जवाबी टैरिफ के बाद कई एक्सपर्ट्स ने कहा था कि सोने की डिमांड में कमी आएगी और इसके दाम गिरेंगे।
कितने गिरे दाम?
गोल्ड प्राइस आज यानी 23 अप्रैल को 3 हजार रुपये गिरे हैं। गुड रिटर्न्स के अनुसार, 24 कैरेट वाला 10 ग्राम सोना अब 98,350 रुपये के भाव पर मिल रहा है। जबकि 22 अप्रैल को इसके दाम चढ़कर 1,01,350 रुपये पर पहुंच गए थे। इस तरह सोने की कीमतों में 3000 रुपये की बड़ी गिरावट दर्ज हुई है। वहीं, चांदी 1,01,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर मिल रही है।
बदल रही तस्वीर
बीते कुछ समय में सोने ने बहुत तेजी से उड़ान भरी है। अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापारिक तनाव और टैरिफ को लेकर खींचतान की वजह से सोने की कीमतों में उछाल देखा गया। इंटरनेशनल मार्केट में सोना महंगा हुआ और भारत में भी इसके दाम चढ़ गए। हालांकि, अब यूएस और चीन का टकराव खत्म होने के संकेत मिल रहे हैं। डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि चीन पर टैरिफ कम किया जाएगा। यदि ऐसा होता है, तो दोनों देशों के बीच तनाव कम हो जाएगा। इससे गोल्ड की डिमांड घट सकती है और इसी वजह से दाम एकदम से 3 हजार लुढ़क गए हैं।
अब क्या है अनुमान?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर यूएस-चीन के बीच हालात सामान्य होते हैं, तो अगले 6 महीनों में सोना करीब 75,000 रुपये प्रति 10 ग्राम पहुंच सकता है। हालांकि, अगर दोनों देशों में टैरिफ विवाद और बढ़ा, तो इसकी कीमत 1,38,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक भी जा सकती है। मॉर्निंगस्टार के मार्केट स्ट्रैटेजिस्ट जॉन मिल्स ने कुछ वक्त पहले कहा था कि सोने की कीमतों में गिरावट आ सकती है। गोल्ड गिरकर 1,820 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच सकता है। इस हिसाब से देखें तो भारत में सोने की कीमतों में करीब 40,000 रुपये से ज्यादा की कमी आ सकती है।
समझाया पूरा गणित
जॉन मिल्स ने गोल्ड की कीमतों में कमी के अनुमान को समझाते हुए कहा था कि सोने की डिमांड और सप्लाई के बीच का अंतर अगले कुछ सालों में तेजी से कम हो सकता है। जब सोना महंगा होता है, तो इसकी माइनिंग बढ़ जाती है। 2024 की दूसरी तिमाही में गोल्ड माइनिंग का औसत मुनाफा 950 डॉलर प्रति औंस था, जो 2012 के बाद सबसे ज्यादा है। पिछले साल दुनिया में सोने का कुल भंडार 9% बढ़ा है। कई देश बड़े पैमाने पर सोने का उत्पादन बढ़ा रहे हैं। इसके अलावा, पुराना सोना भी रीसाइकल किया जा रहा है। इससे बाजार में उपलब्ध सोने की मात्रा तेजी से बढ़ रही है। सप्लाई ज्यादा होने से कीमतों पर दबाव बढ़ेगा और सोना सस्ता हो जाएगा।
अब क्या करें निवेशक?
कमोडिटी एक्सपर्ट्स का कहना है कि चीन के प्रति अमेरिका की नरमी से वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता अब कम हो रही है, इससे सोने जैसी सेफ हेवन एसेट की डिमांड में कमी आ सकती है और प्राइस गिर सकते हैं। सोने में मुनाफावसूली भी देखी गई है। बड़े निवेशक सोने के मौजूदा मूल्य का लाभ उठाने के लिए अपना कुछ निवेश बेचकर प्रॉफिट कमा रहे हैं। यह भी संभव है कि दो -तीन सत्रों की मुनाफावसूली के बाद सोना फिर से चढ़ जाए। उनके अनुसार, यहां से सोना किस दिशा में जाएगा, यह समझने में कुछ दिन लगेंगे। इसलिए किसी बड़े निवेश से बचना चाहिए। हालांकि, हर गिरावट पर कुछ न कुछ खरीदारी अच्छी रणनीति है।
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